
लेखपाल द्वारा रिपोर्ट
कौशांबी: Bombay Leaks ने कौशांबी जिले के अतरसुइया इलाके में जिस मिल्कियत की खबर प्रकाशित की है इस मामले में और भी कई अहम खुलासे हुए हैं जिस में से अहम यह है की इस मामले में सम्बन्धित लेखपाल को दो बार जांच रिपोर्ट तहसील कार्यालय में जमा की गई है जिस में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है की यह मिल्कियत खोंपा के रहिवासी स्वर्ग मोहम्मद ताकि पुत्र मोहम्मद शफी और उनके परिवार के उन सभी लोगों की है जो जीवित हैं इसके अलावा इस परिवार से और न ही इस जगह से किसी का कोई संबंध नहीं है यह रिपोर्ट Bombay Leaks ke पास मौजूद है।

फर्जी परिवार रजिस्टर जिसमें तस्लीम रज़ा और शाह हुसैन के बीच फर्क मात्र एक महीने का है और इनकी माता का नाम इस रजिस्टर से गायब है क्योंकि वह नाम असल मालिकों कब्जेदारों से मिलता जुलता नहीं है
उस मामले में लेखपाल की वह रिपोर्ट हमारे हाथ लगी है जिस में लेखपाल ने दो दो बार अपनी रिपोर्ट संबंधित कार्यालय को सौंपी है जहां मामला विचाराधीन है लेकिन हैरानी इस बात की फर्जी और जाली दस्तावेजों को बुनियाद बना कर तस्लीम रज़ा और शाह हुसैन ने बड़ी ही चालाकी से मामले की सुनवाई में मिल्कियत पर अपना दावा बताने में हर संभव प्रयास किया।
अब कुछ तथ्य हैं जिस बारे में मौजूदा तहसीलदार भुपाल सिंह के समक्ष असल दावेदारों ने फर्जी दावेदारों की फर्जीवाड़े की पोल खोलते हुए बताया जिस में सबसे अहम यह है की फर्जी दावेदारों का मौजूदा मिल्कियत से और न ही उनके हकदारों और कब्जेदार परिवार से कोई संबंध ही नहीं है और न ही कोई रिश्ता है यह बातें लेखपाल ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट की है।
परिवार रजिस्टर जिस में फर्जी दावेदारों ने खुद के पिता का नाम मो. तकी पुत्र मो. शफी बताया है लेकिन हैरानी इस बात की कि उसमें इनकी अपनी माता का कहीं नाम व निशान तक नहीं है और न ही इस पेपर पर किसी सरकारी अफसर या रिकार्ड अफसर के दस्तखत तक नहीं हैं।
चूंकि असल मालिक जिनका 75 साल से कब्जा है और सरकारी रिकॉर्ड में भी वही हैं उनके नाम से मिलते जुलते नाम का गैर कानूनी फायदा उठाने के लिए ही तस्लीम रज़ा और शाह हुसैन ने इस फर्जीवाड़े का प्लान बनाया।और इसी मिलते जुलते नाम से बाकी दस्तावेज भी बनाए गए हैं।
लेकिन सब से हैरान कर देने वाली यह है की फर्जी दावेदार तस्लीम रज़ा और शाह हुसैन दोनों भाईयों की पैदाइश में केवल एक महीने का ही फर्क है जबकि मनुष्य के पैदा होने की मियाद 9 माह होती है यह जग जाहिर है।
फर्जी दावेदार तस्लीम रज़ा और शाह हुसैन ने अपने पिता की मौत 2003 में बताई लेकिन 75 साल से इनके परिवार के लोगों ने कोई दावा नहीं किया लेकिन जब इनके खुद के पिता से मिलते जुलते नाम वाले असल मालिक मुहम्मद तकि जीवित रहे तब तक इनकी कोई दावेदारी नहीं रही 2015 में जब उनका देहांत हुआ तो उसके बाद इन्हें मिलते जुलते नाम की भनक लगी और इन्हों ने खुद का शजरा भी तैयार किया लेकिन झूठ कहीं न कहीं पकड़ा जाता है परिवार रजिस्टर से ही इनका झूठ पकड़ा गया।
कौशांबी जिले में अतरसुइया में मौजूद बाग और ट्यूबवेल जो की 12 बीघा के आस पास है यह मिल्कियत खोंपा के रहने वाले स्वर्गी मुहम्मद शफी के नाम पर सन 1949 से रजिस्टर्ड है उनके देहांत के बाद यह जगह उनके बेटे स्वर्गी मुहम्मद तकि के नाम पर रिकॉर्ड में चढ़ा दी गई मुहम्मद तकि का देहांत 2015 में हुआ जिसके बाद परिवार में मौजूद उनके बेटों और पोतों ने सन 2021 इस मिल्कियत में अपना नाम खसरा खतौनी दर्ज कराया जिनके नाम सईददुज्जमा , असीफुज्जमा , सबीहुज्जमा के बेटे मोहम्मद जावेद ,मुहम्मद जुनेद,मुहम्मद शुएब, स्वर्गी मुहम्मद फसीहुज्जमा हैं।
75 साल पुरानी जिस जगह पर स्वर्गी मुहम्मद शफी और उनके परिवार के का कब्जा है जिसे अतरसुइया का रहिवासी बताने वाले जबकि अतरसुइया में किसी जमाने में किराए पर रहने वाले अहेरड़ा के रहिवासी तस्लीम रज़ा और शाह हुसैन ने खसरा खतौनी में फर्जी दस्तावेजों के सहारे तत्कालीन तहसीलदार रामजी राय से साठ गांठ कर के अपना नाम दर्ज करा कर उसे हैदर अली नाम के व्यक्ति से 45000 में बेच दिया मामला प्रकाश में तब आया जब असल कब्जेदारों ने खसरा खतौनी में अपना नाम कटा देखा।
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