कौशाम्बी: फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कौशाम्बी के अतरसुइया इलाके में करोड़ों की पुश्तैनी जगह के रिकॉर्ड पर फर्जी कागजात की बुनियाद पर दो भू माफिया तस्लीम रज़ा और शाह हुसैन को उस वक्त मुंह को खानी पड़ी जिस समय तहसीलदार मंझनपुर ने उनके विरुद्ध फैसला सुनाया है।
अपने फैसले में तहसीलदार ने सप्ष्ट किया की इस मामले में असल कब्जेदार जिनकी मिल्कियत बाग और ट्यूबवेल जो की 12 बीघा के आस पास है यह मिल्कियत खोंपा के रहने वाले स्वर्गी मुहम्मद शफी के नाम पर सन 1949 से रजिस्टर्ड है उनके देहांत के बाद यह जगह उनके बेटे स्वर्गी मुहम्मद तकि के नाम पर रिकॉर्ड में चढ़ा दी गई मुहम्मद तकि का देहांत 2015 में हुआ जिसके बाद परिवार में मौजूद उनके बेटों और पोतों ने सन 2021 इस मिल्कियत में अपना नाम खसरा खतौनी दर्ज कराया जिनके नाम सईददुज्जमा , असीफुज्जमा , सबीहुज्जमा के बेटे मोहम्मद जावेद ,मुहम्मद जुनेद,मुहम्मद शुएब, स्वर्गी मुहम्मद फसीहुज्जमा हैं।
चूंकि फर्जी दावेदार भू माफिया तस्लीम रज़ा और शाह हुसैन और तहसीलदार रामजी राय ने मिलकर साजिश रची और बिना नोटिस दिए इन लोगों ने मिल्कियत पर अपना नाम चढ़ा लिया जबकि रिकार्ड में कहीं कोई ऐसे दस्तावेज नहीं मिले जिस से यह साबित हो की असल मालिकों को कोई नोटिस जारी की गई या किसी प्रकार का मौका दिया गया यह तत्कालीन तहसीलदार रामजी राय भी इसी साजिश में शामिल होते हुए असल मालिकों के नाम रिकार्ड पर होने के बावजूद भूमाफियाओं का नाम चढ़ा दिया भू माफिया तस्लीम रज़ा और शाह हुसैन ने इसी बात का फायदा उठाया और उसे 45 लाख की बेच भी दी ।
अपने आदेश में तहसीलदार भुपाल सिंह ने स्पष्ट कहा कि मृतक मो तकी की मौत के बाद उनके परिवार के लोगों ने अपना नाम चढ़ा लिया लेकिन जब भू माफिया तस्लीम रज़ा और शाह हुसैन ने अपना नाम चढ़ाया तो उन्हें न तो नोटिस और ना ही किसी प्रकार की कोई जानकारी दी गई यह सरासर कानून के खिलाफ है और यह उनके साथ अन्याय करने जैसा है।मामले को अगली सुनवाई 6 मई को होगी।
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