• सिध्धु के लिए अब बाहर का रास्ता या फिर दिल्ली की राजनीति में होगी शुरुआत ,क्योंकि अब एक नाव में मुश्किल है कैप्टन और सिध्धु कि सवारी।
• राहुल गांधी के हस्तछेप पर पंजाब में हुई बैठक में नेताओ ने रखी सिध्धु की असलियत।
पंजाब ब्युरो | बॉम्बे लीक्स |
चंडीगढ़ : पंजाब कांग्रेस में लंबे समय से जारी अंतर्कलह का हल आलाकमान के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है। जिसे दूर करने के लिए हाईकमान लंबे समय से माथा पच्ची करता रहा है।लेकिन इस बार पूर्व काँग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने स्वयं मोर्चा संभालते हुए इस पूरे मामले को जमीनी स्तर से हल करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।
राहुल गांधी ने पिता राहुल गांधी एवं दादी इंदिरा गांधी के नक्शेकदम पर नेताओ की आपसी गुटबाज़ी को जमीनी स्तर पर समझते हुए हल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण फैसले के साथ मंझे हुए राजनीतिक खिलाड़ी के तौर पर कार्य शुरू कर दिया है। माना जा रहा है जस बार राहुल गांधी का फैसला जनता जनाधार के पक्ष में होगा।
दरअसल विगत कई वर्षों से पंजाब कांग्रेस के अंतर्कलह का समाधान पार्टी हाईकमान के लिए भी टेढ़ी खीर रहा है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और क्रिकेटर से नेता बने नवजाेत सिंह सिद्धू के विवाद का अंत मुश्किल हो गया है। जिसके बाद राहुक गांधी द्वारा रखी गई एक खास बैठक में पंजाब के कांग्रेस नेताओं ने कैप्टन और सिध्धु के बीच जारी विवाद में कैप्टन का पक्ष लिया बल्कि साफ शब्दों में इशारा दे दिया है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू का अब एक नाव में सवार रहना मुश्किल है।
बैठक में राहुल गांधी एक एक करके पंजाब के नेताओं का टटोलते हुए कैप्टन और सिद्धू को लेकर कई सवाल करते रहे। जिसके बाद अब पंजाब कांग्रेस की कलह को लेकर राहुल गांधी पंजाब के नेताओं से सीधे-सीधे संवाद कर रहे है। राहुल गांधी कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ और राज्य सभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा से भी मिले थे। राहुल गांधी ने दो हिस्सों में मंत्रियों व विधायकों से मुलाकात करी। बताया जाता है कि इस दौरान राहुल ज्यादातर नेताओं के मन को पढ़ने की कोशिश करते रहे।
राहुल गांधी के नेताओं के करीबी सूत्रों के अनुसार विधायको के साथ हुए संवाद के दौरान राहुल ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर विशेष तौर पर सवाल किये। जिसके बाद एक विधायक ने साफ-साफ कह दिया कि अब एक नाव पर कैप्टन और सिद्धू सवार नहीं रह सकते हैं।विधायक ने दावा किया कि कैप्टन के बगैर प्रदेश में काम चल नहीं सकता।जरूरत है सिद्धू को अरजेस्ट करने की जिसे पार्टी हाईकमान को विचार करना होगा।मतलब साफ है कि पंजाब में कैप्टन के पक्ष में पार्टी हाईकमान को अच्छा फीड बैक मिल चुका है।फीड बैक इस तरफ इशारा करता है कि कैप्टन के बिना कांग्रेस पंजाब में जनाधार खो सकती है।जबकि सिध्धु की मौजूदगी से पार्टी को कोई खास फर्क नही पड़ने वाला।
जानकारों के मुताबिक राहुल की इस मुलाकात के दौरान सिद्धू को जनता एवं नेताओ का समर्थन नहीं मिल सका। राज्य सभा सदस्य शमशेर सिंह दूलो ने सिध्धु पर सवाल उठाते हुए कहा कि आज जो दलितों की बात करने वाले सिध्धु तब कहा थे जब जहरीली शराब पीकर 126 लोगों की मौत हो गई थी, मरने वाले अधिकतर दलित थे।ऐसे समय में इन नेताओं को दलितों की याद क्यों नहीं आई।जबकि सिद्धू तो स्वयं अमृतसर के ही विधायक है। आकंड़े बताते है कि सबसे ज्यादा मौते भी अमृतसर में ही हुई है।
बातचीत में पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले का भी मुद्दा सामने आया।दूलो ने कहा कि राज्य सभा में सवाल उठाने के बाद केंद्र सरकार ने एससी विद्यार्थियों के लिए 303 करोड़ रुपये का फंड भेजा। इसमें से भी 64 करोड़ रुपये का घोटाला हो गया। कहा कि आज टकसाली कांग्रेसियों के मान-सम्मान को बहाल करने व उन्हें तरजीह देने की जरूरत है। दूलो ने अनुसार उन्होंने राहुल के सामने चीज़ों को रखा है।अब फैसला राहुल को लेना होगा। राहुल से बातचीत में शिक्षा मंत्री विजय इंदर सिंगला, राणा गुरजीत सिंह, लखबीर लक्खा, बलविंदर सिंह शेरोवाली, ब्रह्म मोहिंद्रा, सुखविंदर सिंह डैनी, कैप्टन संदीप संधू ने भी राहुल गांधी से मुलाकात कर अपनी बात रखी।
सूत्रों के मुताबिक एक विधायक द्वारा पंजाब कांग्रेस में जारी मतभेद का जिम्मेदार सिध्धु को ठहराया गया।कहा कि पंजाब में सरकार का कोई विरोध नहीं था, लेकिन सिद्धू द्वारा सरकार के खिलाफ बोल-बोल कर माहौल खराब करने को कोशिश की गई। कहा गया कि सिद्धू खुद को शोपीस बताने वाले सिध्धु के बल पर पंजाब में कांग्रेस जीतती रही है।हालांकि सीएम कैप्टन के कामकाज पर विधायको ने कई बार सवाल खड़े किए लेकिन बैठक में सिध्धु को स्वीकार करते हुए चेहरा कैप्टन का ही स्वीकार किया है।
माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद सिध्धु को पंजाब से अलग दिल्ली में शिफ्ट किया जा सकता है।वही दूसरी तरफ सिध्धु के अडियल रवैय्ये को देखते हुए उन्हें पार्टी से बाहर कही भी जाने की छूट दी सकती है।क्योंकि सिध्धु के पक्ष में जनता जनाधार शून्य का फीड बैक पार्टी हाईकमान को मिल चुका है।सीएम कैप्टन का कामकाजों पर सवाल खड़ा करने के बावजूद नाराज़ विधायक भी कैप्टन को ही पंजाब का चेहरा स्वीकार कर रहे है।क्योंकि यदि सिध्धु को पंजाब कांग्रेस में जगह देने की गलती दोबारा की गई तो आने वाले आगामी चुनाव में सिध्धु के बयानों पर पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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