• वाझे डायरेक्ट परमबीर को करता था रिपोर्ट-चार्जशीट बनने तक परमबीर पर लटकती रहेगी शक की तलवार।
मुंबई ब्यूरो | बॉम्बे लीक्स
मुंबई : पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर से सीबीआई और एनआईए कड़ी पूछताछ कर सकती है।बॉम्बे हाईकोर्ट से सीबीआई को इशारा मिल चुका है। दरअसल पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की शिकायत पर महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई की जांच चल रही है।यह जांच परमबीर सिंह की शिकायत के बाद कोर्ट के आदेश पर हो रही है।लेकिन अब खुद परमबीर सिंह के खिलाफ सीबीआई जांच शुरू हो सकती है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को सीबीआई से इशारों-इशारों में बहुत कुछ कह दिया।
बॉम्बे हाईकोर्ट की बात के बाद परमबीर सिंह की मुसीबतें और बढ़ गई है। बॉम्बे हाईकोर्ट के अनुसार यह दावा नहीं कर सकता कि वह निर्दोष है, बल्कि वह बराबर का जिम्मेदार है। हाई कोर्ट की यह टिप्पणी अपरोक्ष रूप से सचिन वाझे की 16 साल निलंबन के बाद पुलिस में बहाली को लेकर थी।
हाईकोर्ट के अनुसार, कोई भी प्रशासन प्रमुख यह कहकर बेगुनाही का दावा नहीं कर सकता कि केवल कार्यपालिका के आदेशों का पालन कर रहा था। प्रशासन का मुखिया भी उतना ही जिम्मेदार होता है। माना कि मंत्री ने सचिन वाझे को बहाल करने को कहा हो, लेकिन क्या प्रमुख और शीर्ष पद पर बैठा व्यक्ति अपने कर्तव्यों का पालन किए बिना आदेशों का पालन कर सकता है? हाईकोर्ट के न्यायधीश शिंदे ने कहा कि हम सीबीआई से जांच का दायरा बढ़ाने की उम्मीद करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि सीबीआई यह पता लगाए कि इस मामले में षडयंत्रकारी कौन है?
परमबीर सिंह ने मार्च में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अनिल देशमुख के संबंध में पत्र लिख आरोप लगाया था कि मिनिस्टर अनिल देशमुख ने सचिन वाझे पर हर महीने 100 करोड़ रुपये की उगाही का दबाव डाला था। जिसके बाद हाई कोर्ट के आदेश पर केस सीबीआई को सौंपा गया था।इसके बाद ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच शुरू कर दी थी।इस मामले में सचिन वाझे से जेल स्टेटमेंट लिया गया था। इस मामले में सीबीआई भी सचिन वाझे का कई बार स्टेटमेंट ले चुकी है।
लेकिन अब तक यह रहस्य बना हुआ है कि सचिन वाझे की क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट यानी सीआईयू में नियुक्ति किसने की थी।जांच के दौरान पता चला है कि सचिन वाझे की सीआईयू में पोस्टिंग का विरोध तत्कालीन मुंबई क्राइम ब्रांच चीफ संतोष रस्तोगी ने किया था। संतोष रस्तोगी इन दिनों NIA में कार्यरत है।जबकि एनआईए एंटीलिया जिलेटिन और हिरेन मनसुख मर्डर की जांच कर रही है।
फिलहाल NIA परमबीर सिंह का स्टेटमेंट ले चुकी है बावजूद इसके अब तक उन्हें आरोपी नही बनाया गया है।पुलिस सूत्रों के अनुसार जब परमबीर सिंह का स्टेटमेंट लिया गया था, तब तक क्राइम ब्रांच के सीनियर इंस्पेक्टर सुनील माने और पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की गिरफ्तारी नहीं हुई थी। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या माने और शर्मा ने परमबीर सिंह का नाम लिया है।फिलहाल चार्जशीट बनने तक यह एक रहस्य बना रहेगा और परमबीर सिंह पर तलवार लटकती रहेगी।
देखा जाए तो इस मामले को लेकर महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस की तरफ से परमबीर सिंह के खिलाफ कई प्रकार की जांच बिठा दी गई है।आने वाले कल में यदि आने वाले दिनों में परमबीर सिंह के खिलाफ कोई बड़ा कानूनी ऐक्शन लिया गया तो कोई हैरानी की बात नही होगी।क्योंकि सचिन वाझे जूनियर स्तर के अधिकारी होने के बावजूद सीधा कमिश्नर को रिपोर्ट करते थे। ऐसे में वाझे और परमबीर सिंह का डायरेक्ट कनेक्शन होने के कारण परमबीर के इर्द गिर्द शक की सूई गहराती जा रही है।
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