• कांग्रेस और सपा सहित माया के भी वोट में सेंध लगा गई टीम मोदी , विपक्ष के लिए इस गणित का हल बना चुनौती।
लखनऊ ब्यूरो | बॉम्बे लीक्स
लखनऊ : पीएम मोदी ने अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान अपना पहला कैबिनेट विस्तार कर दिया है।टीम मोदी के कैबिनेट विस्तार के पीछे का सच आगामी उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव है।टीम मोदी के कैबिनेट विस्तार में उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले चुनाव को देखते हुए सूबे से सबसे ज्यादा सात मंत्री बनाए गए हैं।जानकारी के मुताबिक टीम मोदी में यूपी से तीन दलित, तीन ओबीसी और एक ब्राह्मण समुदाय को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर विपक्ष की मजबूत घेरा बंदी की गई है। किया गया है। मोदी द्वारा यूपी में जातीय और क्षेत्रीय किले के मद्देननर मजबूत चक्रव्यूह का समीकरण तैयार किया गया है।गढ़ा गया है।जोकि विपक्ष के लिए काफी जोखिम भरा दावँ साबित हो सकता है।
मोदी मंत्री मंडल में यूपी चुनाव की तर्ज पर सात मंत्रियों को शामिल कर बीजेपी कोटे से पंकज चौधरी, भानु प्रताप वर्मा, बीएल वर्मा, कौशल किशोर, एसपी सिंह बघेल और अजय मिश्र पर दांव खेला गया है। मोदी टीम में अपना दल की अनुप्रिया पटेल को भी नाराज नही किया गया है। टीम मोदी में 9 मंत्री पहले से मौजूद रहे है लेकिन अब यह आंकड़ा 16 पार कर गया है। सूबे में 80 लोकसभा और 75 जिले के आंकड़ो पर गौर किया जाए तो एक मंत्री को पांच जिले की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।देखा जाय तो अमित शाह ने दाव खेलकर 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में पांच-पांच जिलों में बैठकें करके बीजेपी का कमल खिलाया था। शाह का ज़िम्मा अब इन्हीं मंत्रियों के कंधों पर होगा।
खबर के मुताबिक पीएम मोदी और अमित शाह का जल्द ही यूपी दौरा शुरू होने का आभास है।पीएम मोदी जुलाई माह में कभी भी यूपी में कई परियोजनाओं की सौगात करने वाले है।यूपी में विपक्ष को धराशाई करने के लिए अब लगातार केंद्र सौगातों की लड़ी खड़ी करेगा।जोकि टीम मोदी द्वारा 2022 के चुनाव के लिए मजबूत सियासी आधार माना जा रहा है। यूपी कोटे से राजनाथ सिंह, डा. महेंद्र नाथ पांडेय, जनरल वीके सिंह, स्मृति ईरानी और हरदीप पुरी पहले से मंत्री है। ऐसे में ब्राह्मण को कैबिनेट में शामिल कर विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे ब्राह्मणों से भेदभाव के मुद्दे को भी दबाने का प्रयास किया गया है।पीएम मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव से ही बीजेपी के पाले में आ खड़े हुए यूपी में पिछड़ा और अन्य पिछड़ा वर्ग से तीन नए मंत्री बनाकर पीएम मोदी ने ‘साथ और विकास’ का संदेश दे दिया है।।मोदी का यह दांव पिछड़ों को पाले में वापसी कराकर समाजवादी पार्टी की जमीन खत्म करने का है। वही बसपा का वोट बैंक में सेंध लगाकर 22 फीसद अनुसूचित जाति के वोट भी भाजपा अपनी तरफ करने रणनीति तय कर चुकि है। जिसके बाद टीम मोदी में दलित वर्ग से भी तीन मंत्री बनाये गए है।
वहीं टीम मोदी ने पूर्वांचल में भी दांव खेला है। जहां पिछड़ों में कुर्मी समुदाय भी यादवों की तरह सियासी तौर पर काफी ताकतवर माना जाता है।इस समाज पर सभी पार्टियों की नजर रहती है। इसके लिए हमेशा से बीजेपी अपनी ओर खींचने के लिए प्रदेश अध्यक्ष के साथ क्षेत्रीय अध्यक्ष का भी चेहरा आगे करती रही है। जिसके बाद गोरखपुर बेल्ट से कुर्मी समुदाय से आने वाले महाराजगंज के सांसद पंकज चौधरी जगह देकर इस समाज को साधा गया है।पंकज चौधरी छह बार के सांसद हैं और पूर्वांचल के कुर्मी समाज के बीच अच्छी पैठ रखते है।
वहीं उत्तर प्रदेश में कुर्मी समाज पर नजर डाले तो प्रदेश के कई ऐसे जिले है जहां पर कुर्मी समाज का खासा बोलबाला है।प्रदेश के कई ऐसे जिलों में कुर्मी समाज पर ही जीत और हार की परिस्थिति तय होती है।यही वजह है कि आज प्रदेश की मौजूदा परिस्थिति में कुर्मी समाज के बीजेपी के छह सांसद और 26 विधायक सियासत की रणनीति में है।जिसके तहत टीम मोदी ने इस समाज को भी अपने अधीन करने हेतु दो मंत्रियों को मंत्रिमंडल में शामिल किया है।देखा जाय तो इस समाज का वर्चस्व इतना है कि सीएम मोदी के मंत्रिमंडल में भी कुर्मी समुदाय के तीन मंत्री है। पश्चिमि यूपी में अनुसूचित जाति को भी साधने में टीम मोदी ने कोई कसर नही छोड़ी है। जिसके तहत आगरा के सांसद एसपी बघेल को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। बघेल समाज यूपी में अति पिछ़ड़ी जाति में खासा वोट बैंक है। मोदी ने कैबिनेट में जगह देकर पाल और बघेल समुदाय को अपने पाले में करने की कोशिश की है।
पीएम मोदी की कैबिनेट में ओबीसी से आने वाले बीएल वर्मा को भी शामिल किया गया है।वर्मा ओबीसी के लोधी समाज से आते हैं जो कल्याण सिंह के दौर से बीजेपी का कोर वोटबैंक माना जाता है। यूपी में लोध समुदाय करीब 3 फीसदी का आंकड़ा पार कर चुका है।यह समाज है तो कम लेकिन सपा का इस समाज पर खासा पर प्रभाव माना जाता है। वही दूसरी तरफ लोधी समाज से कल्याण सिंह की बीमारी के चलते राजनीति में सक्रियता कम हो गई है। जिसके बाद कैबिनेट में लाकर यूपी के लोध समुदाय को साधने का बड़ा दांव चला गया हैं।माना जा रहा है कि बृज क्षेत्र से लेकर रुहेलखंड और बुलंदेखंड की पट्टी तक लोधी समुदाय सियासी तौर पर बीजेपी के लिए ट्रंप कार्ड का ईक्का बन सकते है।पासी समाज को साधने के लिए कौशल किशोर पर पासा फेंका गया है। कौशल दलित वर्ग के पासी समुदाय से है जोकि अवध और पूर्वांचल में सियासी तौर पर काफी महत्वपूर्ण है।क्योंकि दलितों में जाटव-चमार के बाद सबसे बड़ी आबादी पासी समुदाय की सूबे में है।पासी समाज कभी कांग्रेस का मजबूत वोटबैंक हुआ करता था।जिसके तहत पीएम मोदी ने कौशल किशोर पर दांव खेलकर कई मकसद साधने की कोशिश की है।
दलित समुदाय से आने वाले भान प्रताप वर्मा को भी जगह दी गई है। भानु प्रताप वर्मा जालौन से पांच बार के सांसद है। भानु दलितों में कोरी समाज में पैठ रखते है। देखा जाए तो बुंदेलखंड और कानपुर के बेल्ट में कोरी समुदाय की अहम भूमिका मानी जाती है। कैबिनेट में जगह देकर कोरी समाज को सियासी तौर पर बड़ा दिया गया है।
वही देखा जाए तो यूपी की सियासत में ब्राह्मण वोटर काफी निर्णायक भूमिका में रहता है। जिसके बाद सांसद अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल में जगह देकर नाराज़ ब्राह्मण समाज को भी खुश किया गया है।सूबे में भले ही ब्राह्मण वोट बैंक 8 से 10 फीसदी का तो है लेकिन सियासती नजर से यह समाज कई दर्जन सीटों पर असर डालता है। मोदी कैबिनेट में ब्राह्मण चेहरे के तौर पर महेंद्रनाथ पांडेय मंत्रिमंडल में अपनी जगह बनाये हुए है।भाजपा ने आने वाले चुनाव के मद्देनजर यूपी की सियासत में गुजरात मॉडल की तर्ज पर सत्ता में वापसी का जो गणित सजाया है।फिलहाल विपक्ष के लिए इस गणित को हल।करना इतना आसान नही लगता।
Post View : 63862