• 26 जनवरी के घटना पर रखी निष्पक्ष जांच की मांग-कहा सरकार चाहे तो हम बातचीत को तैयार।
दिल्ली ब्यूरो | बॉम्बे लीक्स
नई दिल्ली : किसान नेता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि 22 जुलाई से शुरू होने वाले संसद सत्र के दौरान हमारे 200 किसान संसद भवन के पास धरना प्रदर्शन करेंगे।साथ ही टिकैत ने सरकार से कहा कि 26 जुलाई को हुई घटना की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। टिकैत ने दावा किया कि यदि सरकार चाहे तो वो कृषि कानून के मुद्दे पर सरकार से बातचीत करने के लिए तैयार है।
राकेश टिकैत के अनुसार संयुक्त राष्ट्र में नए कृषि बिलों का मुद्दा उठाए जाने को लेकर बयान जारी करते हुए कहा कि मैंने ये नहीं कहा था कि कृषि क़ानूनों को लेकर संयुक्त राष्ट्र जाएंगे।बल्कि मेने कहा था कि 26 जनवरी के दिन हुई घटना की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि यदि भारत सरकार बातचीत करना चाहती है तो हम इसके लिये तैयार है।टिकैत ने कहा की 22 जुलाई से हमारा दिल्ली जाने का कार्यक्रम शुरू होगा।दरअसल कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन अभी भी तक जारी है।ऐसे में टिकैत के अनुसार 22 जुलाई से संसद सत्र की शुरूआत में 22 जुलाई से 200 किसान संसद के पास धरना देंगे।
राकेश टिकैत ने संयुक्त राष्ट्र में नए कृषि बिलों का मुद्दा उठाए जाने पर कहा कि मैंने ये नहीं कहा था कि कृषि क़ानूनों को लेकर संयुक्त राष्ट्र जाएंगे।बल्कि मेने कहा था कि 26 जनवरी के घटना की निष्पक्ष जांच हो। साथ ही कहा था कि अगर यहां की एजेंसी जांच नहीं कर रही है तो क्या हम संयुक्त राष्ट्र में जाएं? एक निजी टेलिविज़न चैनल में बातचीत के दौरान टिकैत ने पूछा की सरकार मंडियों के द्वारा 1 लाख करोड़ रुपए कैसे पहुंचाएगी? ये अनाज के पैसे तो दे नहीं रहे है। सरकार मंडियों को लोन देने की संस्था कैसे बनाएगी।
कहा कि सरकार दिल्ली में बैठकर ही ये बात बोलती है कि उन्हें नहीं पता होगा कि गांवों में किसान अनाज की ट्रोली लिए क्यों घूम रहे है। एमएसपी पर खरीद नहीं होती है। टिकैत ने कहा कि अब तक मुश्किल से कुल अनाज की 40 फीसदी खरीद हुई होगी।किसान से सस्ते में अनाज खरीद कर एफसीआई को भेजा जाता है। टिकैत ने कहा कि नारियल बोर्ड का सीईओ अब प्राइवेट आदमी बनेगा,जोकि सरकार का न सिर्फ चहेता होगा बल्कि ऊपर से नोमिटिड भी होगा।
टिकैत के अनुसार पहले बोर्ड में 4 मेंबर हुआ करते थे जोकि अब 6 मेंबर बना दिए जाएंगे।बनने वाले सभी मेंबर केन्द्र के अपने लोग होंगे। कहा कि आज संस्थाओ में पूरी तरह से फेरबदल करना मतलब एक तरह से संस्थाओं पर कब्जा करना है।पूरे देश में संघ के लोगो को बिठाने का काम सरकार कर रही है। राकेश टिकैत ने आंदोलन खत्म करने और बातचीत पर कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कंडीशनल बात नहीं करेंगे, क्योंकि वो हमारे एडवाइजर नहीं है कि उनके प्रावधानों पर बात करी जाए। उनका कहना है कि आंदोलन खत्म कर लो। ऐसे में जब पहले ही कंडीशन लगा दी गई है कि कानून खत्म नहीं किये जायेंगे तो किसी बातचीत की जाए। ऐसे में लगता नही है कि सरकार कृषि कानूनों को लेकर किसी प्रकार की कोई बातचीत करना चाहती है।
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