बॉम्बे लीक्स ,दिल्ली
केंद्र सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर बताया है कि दिल्ली अध्यादेश क्यों लाया गया है।दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में खारिज करने की अपील की थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे सुनवाई में लाते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा था।जिसके बाद केंद्र सरकार ने बताया कि इस अध्यादेश को लाने के पीछे सरकार का मकसद क्या था।केंद्र ने इस अध्यादेश को सही ठहराया है और कहा है कि मंत्रियों ने सोशल मीडिया पर आदेश अपलोड कर अफसरों के खिलाफ अभियान चलाया। आप के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने विजिलेंस अफसर को निशाना बनाया। रात 11 बजे के बाद फाइलों को अपने कब्जे में लेने के लिए विजिलेंस दफ्तर पहुंच गई।
गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली में अध्यादेश लाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई।आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने इस अध्यादेश को चुनौती दी हुई है। जिसके बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका का विरोध करते हुए इसे खारिज करने की अपील की।केंद्र सरकार की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट इस याचिका को खारिज कर दे।केंद्र का कहना है कि ये याचिका ‘आधारहीन’ और ‘मनमानी’ है और कानूनी या संवैधानिक आधार की बजाय राजनीति से प्रेरित है।इस मामले में अमित शाह के गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए केजरीवाल सरकार पर कई बड़े आरोप भी लगाए हैं।गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार पर राष्ट्रीय राजधानी को ‘पंगु’ बनाने और सतर्कता विभाग के अफसरों को परेशान करने का आरोप अपने हलफनामे में लगाया है।कहा कि दिल्ली सरकार की अध्यादेश बिना किसी विधायी क्षमता के जारी करने की दलील गलत है।कानूनी या संवैधानिक आधार पर नहीं, बल्कि राजनीतिक आधार पर बेतुकी और निराधार दलीलें दी गई हैं।यदि संसद में परीक्षण किए जाने वाले अध्यादेश पर रोक लगा दी गई तो इससे दिल्ली के प्रशासन की अपूरणीय क्षति होगी। अध्यादेश संसद के मानसून सत्र में पेश होने की संभावना है।सुप्रीम कोर्ट को इस मुद्दे पर फैसले के लिए मॉनसून सत्र के खत्म होने का इंतजार करना चाहिए।दिल्ली सरकार की पहली याचिका दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (DERC) के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति को लेकर थी।जबकिं दूसरा मामला दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ था।CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा- दिल्ली सरकार और उप-राज्यपाल वीके सक्सेना मिलकर DERC के चेयरमैन का नाम तय करें।कोर्ट ने कहा- LG और मुख्यमंत्री दोनों ही संवैधानिक पदों पर हैं। इन लोगों को लड़ाई-झगड़े से ऊपर उठना चाहिए। दोनों साथ बैठें और DERC के चेयरमैन का नाम तय कर हमें बताएं।वहीं केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए कहा कि संविधान का आर्टिकल 246(4) संसद को भारत के किसी भी हिस्से के लिए और किसी भी मामले के संबंध में कानून बनाने का अधिकार देता है जो किसी राज्य में शामिल नहीं है।केंद्र ने कहा कि संसद सक्षम है और उसके पास उन विषयों पर भी कानून बनाने की शक्तियां हैं, जिनके लिए दिल्ली की विधानसभा कानून बनाने के लिए सक्षम होगी।हालांकि, इस मामले में अभी तक फैसला नहीं हुआ है। मामले की अगली सुनवाई गुरुवार यानी 20 जुलाई को होगी। कोर्ट तब तय करेगा कि अध्यादेश का मामला संविधान पीठ को भेजा जाए या नहीं।
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