• साइटोमेगालो वायरस की पुष्टि कोरोना को मात दे चुके में दर्ज हुई-
हाईलेवल के महंगे मॉलेक्यूलर की रिपोर्ट से खुलासा।
कर्नाटका ब्यूरो | बॉम्बे लीक्स
कर्नाटक : कोरोना से ठीक हुए मरीजों को अब एक नया वायरस अपनी चपेट में ले रहा है। जी हां देश में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच अब कोरोना से ठीक हुए मरीजों में एक नया संक्रमण दर्ज किया गया है।जिसका नाम साइटोमेगालो वायरस बताया जा रहा है।जानकारी के मुताबिक कोरोना से जो मरीज़ ठीक हो चुके उन्ही मरीजों में यह वायरस पाया जा रहा है।यह वो मरीज़ है जिनकी इम्यूनिटी या तो बहुत कम है या उन्हें कोरोना के गंभीर लक्ष्णों से ठीक करने के लिए स्टेरॉयड्स दिए गए थे।
जानकारी के मुताबिक ऐसे नए वायरस के मामले बेंगलुरु से सामने आए है।बताया जा रहा है कि जयानगर स्थित अपोलो अस्पताल में 63 साल के बुजुर्ग को एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। लेकिन कोरोना से ठीक होने के बाद उनमें ये नया संक्रमण दर्ज किया गया है। इस संक्रमण की चपेट में आने से उनकी मौत हो गई। दूसरी तरफ मणिपाल अस्पताल में भर्ती 50 साल के एक और मरीज में यही संक्रमण पाया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अपोलो में भर्ती हुए 63 साल के मरीज में साइटोमेगालो वायरस कोरोना होने के 4 हफ्ते बाद पाया गया था।जिसके बाद मरीज़ के हाईलेवल महंगे मॉलेक्यूलर टेस्ट करवाने पड़े। सीएमवी जैसे वायरस का पता लगाने के लिए लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट सैंपल की जरूरत पदतिन्ही। बताया जा रहा है कि उन्हें स्टेरॉयड देने की वजह से हाइपरटेंशन और डायबिटीज जैसी बीमारियां भी थी।
अपोलो हॉस्पिटल में पल्मोनोलॉजी और क्रिटिकल केयर के चीफ और बीबीएसपी के एक्सपर्ट कमिटी के मेंबर डॉ रविंद्र मेहता के।अनुसार सीएमवी ज्यादातर इम्युनोकॉम्प्रोमाइज्ड मरीजों पर अटैक करता है।आमतौर पर इसका पता लगाना इसलिए मुश्किल होता है क्योंकि इसके लिए हाईलेवल के टेस्ट करने की जरूरत के साथ साथ सही सैंपल की भी जरूरत होती है।इसके लिए ब्रोंकोस्कोपी के जरिए भी एक कोरोना के मरीज में इस वायरस की पहचान की गई थी।लेकिन बाद में उनकी मौत हो गई थी। मेंहता के अनुसार सीएमवी जैसे वायरस से बचाव के लिए डायबिटीज को नियंत्रण में लाना काफी जरूरी होता है।साथ ही इसके लिए कोरोना मरीजों में स्टेरॉयड के इस्तेमाल को भी कम किए जाने की जरूरत पड़ती है।
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