
हूर विला बिल्डिंग के मालिक परिवार
Bombay Leaks Desk
मुंबई:अख़बार की आड़ में गुंडई और वसूली करने के कई मामले सामने आए अक्सर इन मामलों के खिलाफ़ पुलिस थानों में शिकायत भी की जाती है।लेकिन यह शिकायत भी मात्र कुछ लोगों के खिलाफ़ की जाती है।नहीं तो उस अख़बार की धौंस और गुंडई को लेकर पुलिस भी सहेम जाती है और वह भी उसका साथ देने लगती हैं।लेकिन आज के इस डिजिटल दौर में लोग धीरे धीरे जागरुक हो रहे हैं और अख़बार चलाने की आड़ में वसूली और गुंडई करने वालों को आम जनता ही बेनक़ाब कर रही है।लेकिन कुछ ऐसी मोटी चमड़ी के अख़बारी दादा अभी समाज में मौजूद हैं जो कौम की दुखती रग को पकड़ कर कौम की तर्जुमानी के खोखले दावे की आड़ से कौम के ही सीधे साधे तबक़े को अपना शिकार बनाने से नहीं चूकते।उनमें से ही एक घटना है उर्दू टाइम्स के मालिक सईद अहमद और उनके बेटे सुहैल की।पढ़ें Bomaby leaks की लंबी पड़ताल के बाद सईद के सितम की दास्तां।

उर्दू टाइम्स के एडिटर सईद अहमद
घटना साल 2012 की है जिसको लेकर Bombay Leaks वह खुलासे करेगा जो शायद इससे पहले किसी ने नहीं किया और किसी ने करने की कोशिश की तो उसे दबा दिया गया।Bombay Leaks इस बात की परवाह बिलकुल नहीं करता वह कोई भी हो समाज में शराफत का चोला पहेन कर अगर वह तांडव करेगा तो यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि लोगों को उसकी हक़ीक़त बताई जाई।नागपाड़ा पुलिस थाने में 11 मई 2012 को दर्ज FIR (154/2012) जो कि उर्दू टाइम्स के एडिटर सईद अहमद ने जान से मारने की धमकी के साथ साथ आर्म्स ऐक्ट के तहेत अपने मकान मालिक और उनके 22 वर्षी बेटे के खिलाफ़ मामला दर्ज करवाया था।और इस ख़बर को खुद के ही अख़बार मे फ्रंट पेज पर प्रकाशित कर जनता के सामने खुद को बहुत बड़ा पीड़ित साबित करने की कोशिश की।अब इस मामले में हम आपको बताऐंगे कि आखिर असल वजह क्या थी और सईद अहमद ने मकान मालिक के खिलाफ़ आखिरकार इस तरह के आरोपों के साथ मामला क्यों दर्ज कराया।
अपने बयान में सईद अहमद बताते हैं कि जिस बिल्डिंग में वह रहते हैं उसी में उनके मकान मालकिन के बेटे ने उन्हें रिवाल्वर तान कर घर खाली करने की धमकी दी और मकान मालकिन ने अपने बेटे को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि बेटा डरना नहीं चला देना गोली मैं पीछे हूं।
बस फिर क्या था पुलिस प्रशासन सब भिड़ गए सईद अहमद के इस बयान की पड़ताल किए बिना ही मकान मालकिन और उनके बेटे को जेल भेजने की तय्यारी शुरू कर दी।इस दौरान सईद अहमद ने उर्दू टाइम्स के एडिटर होने की वजह से वरिष्ठ अधिकारियों से जैकपॉट लगाना शुरू किया क्योंकि पुलिस थाने में मौजूद पुलिस वालों को भी पता था कि यह संभव नहीं है लेकिन उसी दौरान तत्कालीन ज्वाइंट सीपी रजनीश सेठ ने तत्कालीन डीसीपी को फोन कर रात 11 बजे ही पुलिस थाने पहुंचने का आदेश जारी किया यही नहीं मामले में तुरंत FIR दर्ज करने के लिए भी कहा।सईद अहमद के बताने के मुताबिक बिल्डिंग मालकिन और उनके बेटे के खिलाफ़ मामला दर्ज कर लिया गया। यही नहीं मामला दर्ज करने के बाद मकान मालकिन और उनके बेटे को गिरफ्तार भी किया गया।हालांकि हमने रजनीश सेठ से कई बार इस बारे में वजह जानने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।अब सही वजह आप सुनेंगे तो हैरान हो जाऐंगे।अख़बार की आड़ में गुंडई करने वाले सईद अहमद के चेहरे से गुंडागर्दी का मुखौटा अब तक नहीं उठा लेकिन जनता को विशेष रूप से मदनपूरा और नागपाड़ा के लोगों को जानना बेहद ज़रूरी है जिनके निकट यह शराफत का मुखौटा पहेन कर उर्दू टाइम्स में लंबे चौढ़े संपादकी लिखते हैं।
दरअसल 1985 में सईद अहमद ने हूर विला नाम की इस बिल्डिंग में पगड़ी सिस्टम के मुताबिक घर खरीदा लेकिन सईद जिस तरह से अख़्बार के दम पर लोगों से मलाई खाने में माहिर हैं उसी तरह से उनकी नज़ह इस बिल्डिंग पर थी और वह इसे अपनी गुंडई उर्दू टाइम्स के बैनर की आड़ में मुफ्त में हड़पने की कोशिश कर रहे थे।उन्होंने बिल्डिंग के मालिक हनीफ़ कुरैशी से बिल्डिंग डेव्लप कराने की इक्षा जताई जिसके बाद हनीफ़ कुरैशी ने उनसे बिल्डिंग की कीमत उस वक्त जो कि 25 करोड़ के आस पास थी वह मांगी।मकान मालिक के ज़रिए कीमत मांगने के बाद सईद अहमद आग बगोला हो गए क्योंकि वह उर्दू टाइम्स के दम पर मुफ्त में बिल्डिंग हड़पने के चक्कर में थे ऐसे में 25 करोड़ मांगे जाने पर सईद अहमद को बड़ा झटका लगा।ज़ाहिर सी बात है जिसे मुफ्त की लत पड़ गई हो तो भला वह कीमत क्यों चुकाए।
चूंकि सईद अहमद और मकान मालिक हनीफ कुरैशी एक दूसरे के कभी दोस्त हुआ करते थे लेकिन मुफ्त में बिल्डिंग न मिलने की वजह से दोस्ती दुशमनी में बदल गई इस दोस्ती में ही सईद अहमद को पता चला था कि मकान मालिक हनीफ कुरैशी के पास लाएसेंसी रिवाल्वर है इसी लिए उन्हें साज़िश रचते देर नहीं लगी। और उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों से दबाव बना कर मामला दर्ज करवा दिया।
हालांकि इससे ठीक 3 दिन पहले यानी 8 मई 2012 को भी सईद अहदम ने वरिष्ठ अधिकारियों के दखल के बाद नागपाड़ा पुलिस थाने में एक और FIR दर्ज कराई थी सईद अहदम ने अपनी बयान में कहा है कि उनके मकान मालिक के बेटे बिलाल हनीफ़ कुरैशी ने उन्हें कहा कि “ ए हरामज़ादे वहां क्या देख रहा है यहां देख। हमारे यहां रहना है तो ठीक से रह।नहीं तो घर बेच के निकल जा।अगर नहीं गया तो मेरे बाप के पास बंदूक है उससे मैं तुझे बताऊंगा नहीं तो एक दिन तुझे खत्म नहीं किया तो मेरा नाम नहीं।” और इस बयान पर भी सईद अहमद अपने वरिष्ठ अधिकारियों के दबाव से मामला दर्ज करवाने में कामयाब हो गए।
मामले में नया मोड़ तब आया जब सईद अहमद और पुलिस को पता चला कि मकान मालिक के पास जो लाएसेंसी रिवाल्वर है वह उन्होंने 2010 मे ही जमां कर दी थी और इस बात की जानकारी सईद अहमद को नही थी।अब वरिष्ठ अधिकारियों के दबाव से मामला तो दर्ज होगया लेकिन पुलिस के बस के बात नहीं थी कि कोई दूसरी रिवाल्वर का बंदोबस्त कर सईद अहमद के ज़रिए दिए गए झूटे बयान को सच साबित कर दे।
इस दोहरी FIR के बाद फिर से बिल्डिंग हड़पने के लिए एक और फार्मूला तय्यार किया गया इस बार इन दो केस के आधार पर मकान मालिक के खिलाफ़ तड़ीपार प्रक्रिया के लिए डिवीज़नल एसीपी के पास मामले की सुनवाई की गई लेकिन सईद अहमद का झूट का पुलिंदा वहां भी नहीं टिक पाया और वहां भी झूटे साबित हुए।दरअसल सईद अहमद की इस साज़िश के पीछे भी यह वजह थी कि मकान मालिक के खिलाफ़ इस तरह की झूटी FIR दर्ज करवा कर उनके परिवार पर तड़िपार की कार्रवाई कर उन्हें मुंबई से बाहर कर वह बिल्डिंग पर क़बज़ा कर लें लेकिन नाकामी उनके हाथ लगी।मकान मालकिन मुमताज़ हनीफ़ कुरैशी ने सईद अहमद के ज़रिए किए जा रहे ज़ुल्म की दास्तां Bombay Leaks को सुनाते हुए रो पड़ी उन्होंने कहा कि खुदा दुशमन को भी ऐसे पड़ोसी या ऐसे किराएदार न नसीब करे जैसे कि हमें मिले।उन्होंने कहा कि एक अख़बार चलाने वाले तो कौम की दर्द को बयान करते हैं लेकिन यह तो दर्द देने का काम किया है और अभी भी कर रहे हैं।इस ज़ुल्म को सहने के बाद खुदा ने हमें इतनी ताक़त दी है कि अगर सईद अहमद के जैसे दस लोग भी हमारी बिल्डिंग पर क़बज़ा करने की कोशिश करेंगे तो भी वह कामयाब नहीं होंगे।हमने अपनी शिकायत और अपना दर्द हर उस दहलीज़ बयान करने की कोशिश की लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों ने हमारी एक न सुनी जिसकी वजह से सईद के हौसले बुलंद होते रहे और वह हमें सताने में कोई कसर नहीं छोड़ा हमने कभी पुलिस थाने का मुंह नहीं देखा लेकिन इस शख्स ने हम पर न सिर्फ झूटे मामले दर्ज करवाया बल्कि जेल में भी पहुंचाया।हमारे पास खुदकुशी के अलावा कोई और चारा नहीं था लेकिन खुदा ने हमें हिम्मत दी और हम आज भी सईद के सितम से लड़ रहे।उन्होंने कहा कि फिलहाल यह मामला कोर्ट में चल रहा है और हमें यकीन है कि सईद के ज़ुल्म का भांडा एक न एक दिन ज़रूर फूटेगा और अवाम को इसकी सच्चाई का इल्म ज़रूर होगा।
Post View : 16