बॉम्बे लीक्स, कर्नाटक
कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अब नया नाटक शुरू होता दिख रहा है। सीएम और डिप्टी सीएम पद पर माथापच्ची के बाद अब विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर पेंच फंसता दिख रहा है।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कर्नाटक में वरिष्ठ कांग्रेस नेता, जिन्हें विधानसभा में अध्यक्ष पद की पेशकश की जा रही है, वो इस पद को मनहूस मानते हुए जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं। इसी के चलते पार्टी को इस पद के लिए वरिष्ठ नेताओं को मनाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि कर्नाटक सरकार के सामने विधानसभा स्पीकर के चुनाव को लेकर एक नई समस्या आ गई है। स्थिति यह है कि कोई विधायक स्पीकर बनने को राजी नहीं है।बताया जा रहा है कि कांग्रेस बी.आर. पाटिल, वाई.एन. गोपालकृष्ण, टी.बी. जयचंद्र, एच.के. पाटिल जैसे सीनियर नेताओं में से कि एक का नाम विधानसभा स्पीकर के लिए आगे कर सकती है। हालांकि ये सभी नेता इस पद पर आसीन नहीं होना चाहते हैं।विधायकों का मानना है कि कर्नाटक में विधानसभा स्पीकर की कुर्सी मनहूस है और जो भी वहां बैठता है, चुनाव में उसकी हार हो जाती है।दरअसल कर्नाटक विधानसभा के इतिहास में 2004 के बाद से ऐसे उदाहरण मिले हैं जब विधानसभा अध्यक्ष रहे नेता को हार का सामना करना पड़ा या उनका राजनीतिक करियर ही समाप्त हो गया।बता दे कि साल 2004 में कृष्णा को विधानसभा अध्यक्ष बनाए गए और वे 2008 में हारे। 2013 में कगोडू थिम्मप्पा अध्यक्ष बने और वे 2018 में हारे. 2016 में के.बी. कोलीवाड चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे और 2018 के आम चुनाव में टिकट मिली तो वो भी हार गए। इसके अलावा 2019 में उपचुनाव भी नहीं जीत सके। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सिद्धारमैया अगला विधासभा अध्यक्ष डॉ. जी. परमेश्वर को बनाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया, जिसके बाद उन्हें कैबिनेट में जगह दी गई।अधिकतर यही सोच रहे हैं कि अगर मिले तो मंत्री पद या फिर विधायक रहना ही ठीक है क्योंकि कोई भी अपने राजनीतिक करियर पर दांव लगाना नहीं चाहता है।कांग्रेस ने इस बार कर्नाटक में प्रचंड जीत हासिल की और 135 सीटें जीती हैं, जबकि बीजेपी 65 सीटों पर ही सिमट गई है।भगवा पार्टी को बड़ा झटका लगा है।
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