बॉम्बे लीक्स ,महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में एक बार फिर से सत्ता परिवर्तन के संकेत मिलने लगे है।लेकिन इस बार सत्ता परिवर्तन कुछ ऐसे होने के आसार है ,जिसकी कल्पना कर पाना मुश्किल होगा।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एनसीपी नेता अजीत पवार भाजपा संग सरकार बनाने वाले है।लेकिन इस बात का अंदेशा लगाना अभी उतना जरूरी नही ,जितना जरूरी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नजर गड़ाना।शिवसेना से बागी विधायकों की योग्यता और अयोग्यता का फैसला सुप्रीम कोर्ट में सुरक्षित है।इस फैसले के आने के बाद महाराज की राजनीति में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है।
वही अजीत पवार भी वर्तमान समय में भाजपा के खिलाफ खुलकर बयानबाज़ी करने से परहेज करते देखे जा रहे है।हाल ही में अजीत पवार ने पीएम मोदी की डिग्री मामले में हुए सवाल पर मोदी की तारीफ भी की थी।ऐसे में महाराष्ट्र की राजनीति में फ़िलहाल उथल-पुथल और अनिश्चितता के संकेत मिल रहे हैं। इसकी गवाही बीते दिनों में हुए घटनाक्रम दे रहे हैं। जिनपर अगर बारीकी से नजर दौड़ाएं तो लगता है कि महाराष्ट्र में कुछ बड़ा सियासी परिवर्तन देखने को मिल सकता है।माना जा रहा है कि शिवसेना का मामला सुप्रीम के फैसले के बाद अजित पवार बीजेपी में समर्थकों संग शामिल हो सकते हैं या फिर बीजेपी के साथ हाथ मिलाकर सरकार स्थापित कर सकते हैं।मामले को अगर समझा जाये तो सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना के बागी विधायकों का मामला सुरक्षित रख लिया गया है। ऐसे में इस बात की संभावना है कि एकनाथ शिंदे के 16 विधायक अपात्र घोषित हो जाते है तो जाएं महाराष्ट्र की शिंदे फडणवीस सरकार गिर सकती है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा को इस बात का अंदेशा हो चुका है कि शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य घोषित किया जा सकता है।ऐसे में भाजपा ने अजीत पवार पर दावँ चलना शुरू कर दिया है।देखा जाए तो अजीत पवार यदि बीजेपी के साथ जाते हैं तो उनका मुख्यमंत्री बनने का सपना पूरा हो सकता है।देखा जाए तो एनसीपी के एक तिहाई विधायक अजीत के साथ खड़े है। लिहाज अजीत और उनके विधायकों पर किसी तरह का दल बदल विरोधी कानून भी लागू नहीं होगा।वही कहा यह भी जा रहा है कि बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के मुद्दे शरद पवार ने अजित पवार से कहा है कि इस विषय पर वह खुद फैसला लें। पवार बीजेपी से साथ जाकर अपने कई दशक पुराने करियर पर दाग नहीं लगाना चाहते हैं। वहीं अजित पवार के समर्थक यह चाहते हैं अजित पवार पहले शरद पवार का आशीर्वाद लें. उसके बाद आगे बढ़ें। समर्थक इस बात से भी डर रहे हैं कि कहीं साल 2019 की तरह का वाकया न हो। उस समय अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस की सरकार महज 80 घंटों में ही गिर गयी थी। शरद पवार बीजेपी के साथ जाने से हिचक रहे हैं। अजित पवार के समर्थकों को पता है कि पार्टी के संरक्षक के खिलाफ जाने का मतलब राजनीतिक आत्महत्या हो सकती है। क्योंकि शरद पवार की जनता के मूड को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। इसलिए, एनसीपी के विधायकों ने अजित पर किसी तरह शरद पवार का आशीर्वाद लेने का दबाव डाला है।
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