शाहिद अंसारी
मुंबई:पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार के नए नए तरीके सामने आरहे हैं और उस बारे में सभी को जानकारी होते हुए भी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचारी को सहायता पहुंचा कर उसे एक एक ऊंचा मुकाम दिया जाता है जिसकी सब से बड़ी मिसाल मुंबई पुलिस विभाग में सीनियर पीआई की नियुक्ति।इस नियुक्ति को लेकर जो रास्ता अपनाया जा रहा है वह सवालों के घेरे में है।
Bombay Leaks मुबाइल एप डाउनलोड करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें https://play.google.com/store/apps/details?id=com.bombay.leaks
यह सच है कि पिछले कई सालों से सीनियर पीआई के इस पद पर रहने वाले पुलिस अधिकारी एक साज़िश के तहेत उसी पद पर रहने के लिए प्रमोशन मिलने के बाद एसीपी की पोस्ट को ठुकरा देते थे और उनकी आसानी के हिसाब से फिर विनती कर तुरंत एसीपी पोस्ट को स्वीकार भी कर लेते थे।सरकार के संज्ञान में यह बात आते ही साल 2015-16 में यह फैसला लिया गया कि एक बार प्रमोशन पोस्ट को ठुकारने वाले पुलिस अधिकारी को अगले दो सालों तक उसके बारे में प्रमोशन के किसी भी पद के लिए विचार नहीं किया जाएगा और उसे तैनात सीनियर पीआई की पोस्ट से हटा कर साइड पोस्टिंग पर तैनात कर दिया जाएगा।
भ्रष्टाचारी पुलिसकर्मियों के शातिर दिमाग ने इसका भी तोड़ निकाला और सीधे सीधे प्रमोशन ठुकराने के बजाए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से साठगाँठ कर खुद पर छोटे मोटे कारणों को लेकर सैलेरी में कटौती की सज़ा खुद से ही भुगतने लगते हैं और इस तरह से जो उनकी मंशा होती है वह पूरी हो जाती है।वह प्रमोशन की लिस्ट से खुद ब खुद बाहर हो जाते हैं।ऐसी हालत में प्रमोशन से इंकार किया यह आसानी से सिद्ध न होने के कारण वह साइड पोस्टिंग की नियुक्ति से भी वह बच जाते हैं।यहां सवाल यह उठता है कि संबंधित सज़ा पाने वाला वरिष्ठ अधिकारी यह किस काबलियत के आधार पर सीनियर पीआई पद पर कार्यरत रह कर आम जनता और अपने सहकारियों को न्याय दे सकता है जबकि वह खुद सज़ा भुगत रहा है।
ज्वाइंट सीपी लॉ ऐंड ऑर्डर के आदेश के मुताबिक किसी भी पुलिस अधिकारी के ऊपर विभागी और न्यायलीन आदेश के तहेत वह सजा काट रहा हो तो ऐसी हालत में संबंधित वरिष्ठ अधिकारी इस बात की तफ्सीली जानकारी पुलिस कमिश्नर और ज्वाइंट कमिश्नर लॉ ऐंड आर्डर को भेज कर उसे साइड पोस्टिंग पद पर नियुक्त करने के लिए पत्र व्यवहार करना जरूरीर है या उसकी उस साइड पोस्टिंग पर बदली हो जानी चाहिए।लेकिन सच्चाई इस आदेश से बिल्कुल अलग है जिसका सबसे बड़ा प्रमाण खुद पुलिस की नोटिस के अनुसार 14 सज़ा पाने वाले पुलिस अधिकारी साइड पोस्टिंग पद पर नियुक्त पाये गए थे।
विजय धोपावकर कुलाबा सीनियर पीआई हाल ही में यह काफी चर्चे में रहे वसूली का ठेका लेने वाले धोपावकर के ऊपर दो मामलो की जांच चल रही है बावजूद इसके इनकी पोस्टिंग कुलाबा पुलिस थाने के सीनियर पीआई के रूप में की गई है।हाल ही में इनके खिलाफ़ साउथ रीज़न के एडिशनल कमिश्नर प्रताप दिगांकर ने जांच के आदेश जारी किए हैं।पहले दो विभागी जांच का सामना कर सज़ा भुगतने वाले धोपावकर तीसरी सज़ा के नाम पर मज़ा करने का फिर से जुगाड़ लगा रहे हैं क्योंकि कुलाबा जैसी जगह में जमकर मलाई खाने का मौका मिलता है।कुंडलिक निगड़े पर आरोप है कि उनके अंतर्गत सांताक्रुज़ पुलिस थाने की एक होटल में समाजसेवा शाखा ने 16.1.2014 को छापे मारी की थी जिसके बाद इस मामले में इन पर कार्रवाई चल रही है और इस वजह से इनका एसीपी प्रमोशन रुक गया है और इन्हें सीनीयर पीआई की पोस्ट पर ही तैनात किया गया है।सुजाता पाटिल इन पर आरोप है कि दो दिन के बिना जानकारी के राजस्थान घूमने गई थीं जवाब मागने पर इन्होंने बोगस मेडिकल सर्टिफिकट जमा किया था और अपने जवाब में उन्होंने आत्महत्या करने की धमकी भी दी थी जिसके बाद एक साल की सैलरी इंक्रिमेंट पर रोक लगा दी गई है।माटुंगा ट्राफिक में तैनात होने के दौरान सुजाता पाटिल द्वारा राठौर नाम के पुलिसकर्मी को डीसीपी के सामने हाज़िर होने के लिए कहा गया जो कि उन्होंने नहीं किया हालांकि इस बारे में उन्हें कई बार बोला गया था इस मामले में उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों का पालन नहीं किया।उसी ट्राफिक पुलिस थाने में तैनाती के दौरान ड्युटी तैनाती के दौरान ड्युटी बुक में तकरीबन 2 महीने तक एंट्री नहीं की।इस दौरान जाधव नाम के एपीआई ने सरकारी रकम को अपने पास तकरीबन एक महीने तक रखा जिसके बारे में सुजाता पाटिल ने किसी तरह की कोई कार्रवाई नही की।विनय कुलकर्णी सीनियर पीआई वरली रह चुके हैं पनिशमेंट की फहरिस्त में इनका भी नाम है और इनका भी इंक्रिमेंट बंद है।अरुण विठ्ठल इनरकर सज़ा पाने वालों की फहरिस्त में इनका भी नाम है।
2016-17 में फिर से पुलिस निरिक्षक से लेकर एसीपी पोस्ट की प्रमोशन लिस्ट तय्यार की जा रही है और स्टाब्लिशमेंट बोर्ड की मंज़ूरी के बाद उसपर कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।लेकिन इस बार कुछ पुलिस अधिकारी जो सीनियर पीआई पद पर नियुक्त हैं वह फिर से एक बार जुगाड़ लगाकर ऊपरी कमाई खाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों से मिली भगत कर खुद के ऊपर सज़ा पाने वाली कार्रवाई का ढोंग कर के प्रमोशन के लिए अपात्र ठहराए जाने की फिराक में हैं जिनकी संख्या काफी ज़्यादा है।
अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या पुलिस कमिश्नर इस गंभीर विषय पर ध्यन देते हुए क्या उन लोगों के खिलाफ़ जिनपर डिपार्टमेंटल जाचं के बाद कार्रवाई जारी है उन्हें साइड पोस्टिंग देते हैं या फिर से मलाई खाने वाली पोस्ट पर नियुक्त करते हैं जिसके लिए वह खुद से खुद को सज़ा देने के फंडे पर अमल करते हुए यह जुगाड़ लगाता है।इस बारे में पूर्व आईपीएस अधिकारी और मशहूर वकील वाई.पी.सिंह ने कहा कि पुलिस थाने में या संवेदनशील जगहों में बेहतर छवि रखने वाले सीनियर पीआई को रखने की प्रक्रिया होती है क्योंकि न सब जगहों पर जनता का सीधे सीधे दखल होता है इसलिए इस तरह के भ्रष्टाचार मे शामिल पुलिस वालों को जो अपने से सीनियर पीआई की पोस्ट पर रहकर मलाई खाने के चक्कर में सज़ा लेकर मज़ा करते हैं उन्हें मेन स्ट्रीम में न रखकर उन्हें साइड पोस्टिंग देनी चाहिए और मेन स्ट्रीम में इनकी पोस्टिंग के पीछे जिन वरिष्ठ अधिकारियों का हाथ हो उनपर इसकी जवाबदही होते हुए उनके खिलाफ़ भी कार्रवाई करनी चाहिए।
Bombay Leaks मुबाइल एप डाउनलोड करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें https://play.google.com/store/apps/details?id=com.bombay.leaks
Post View : 34