बॉम्बे लीक्स ,मुंबई
पिछले कुछ महीने से मस्जिदों में महिलाओं को सामूहिक नमाज अदा नहीं करने देने पर सवाल खड़े किए जाते रहे है। इसी बहस के बीच इस रमजान मुंबई की मस्जिदों में पहली रमजान की रात से एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।देश के इन दोनों बड़े शहरों की मस्जिदों में मर्दों के साथ औरतें भी सामूहिक तौर पर तरावीह की नमाज अदा करने नजर आएंगी।इसके लिए मुंबई की जामा मस्जिद में महिलाओं के लिए तरावीह पढ़ने का प्रबंध किया गया है। क्राफॉर्ड मार्किट, भिंडी बाजार में स्थित जामा मस्जिद में कुछ समय पूर्व महिलाओं के लिए एक ख़ास कमरे का इंतज़ाम किया गया था जहां पर महिलाओं के लिए वजू करने का भी बंदोबस्त किया गया था। जहां बड़ी संख्या में महिलाएं नमाज़ अदा करने पहुंचती हैं।
जामा मस्जिद मुंबई के चेयरमैन शोएब खतीब का कहना है कि यह पहला अवसर है जब महिलाएं मस्जिद में तरावीह पढ़ सकेंगी। वह कहते हैं कि बड़ी संख्या में महिलाएं मस्जिद में नमाज़ अदा करने आती हैं। उनके आने जाने का रास्ता भी अलग होने के कारण किसी को भी असुविधा नहीं होती। न मस्जिद में नमाज़ पढ़ने आने वाले पुरुषों को और न ही महिलाओं को। शोएब खतीब ने बताया कि मस्जिद मैनेजमेंट मस्जिद में आने वाले हर नमाज़ी की सुख सुविधा पर विचार करता रहता है। महिलाओं के लिए इबादत की जगह के प्रबंध की सराहना ने हमें बहुत प्रोत्साहित किया। यही कारण है कि मस्जिद मैनेजमेंट ने ख्वातीन के लिए तरावीह पढ़ने के इंतज़ाम का ऐलान किया है।मस्जिद में नमाज़ अदा करने आई एक महिला ने तरावीह पढ़ने की इजाज़त के ऐलान को रमज़ान का कीमती तोहफ़ा करार दिया। वो कहती हैं कि मैं कभी कभी जामा मस्जिद में नमाज़ पढ़ने आती हूं। बहुत अच्छा महसूस होता है। लेकिन अब मैं पूरे रमज़ान तरावीह पढ़ने के लिए हर रोज़ मस्जिद आऊंगी।गौर किया जाए तो महिलाओं के मस्जिद में आने जाने को लेकर एक लम्बे समय से बहस चली आ रही है। परंतु मुंबई की जामा मस्जिद से समय समय पर नए नए निर्णय लोगों को उत्साह से तो भरते ही हैं, चकित भी कर देते हैं। भिंडी बाजार में एक दुकान में काम करने वाली महिला ने बताया कि जब मस्जिद में हमारे लिए एक अलग जगह का पूरी सुरक्षा के साथ प्रबंध किया तो हम लोग मस्जिद केप्रबंधन का धन्यवाद करते नहीं थक रहे थे। मैं ज़ौहर और असर की नमाज़ मस्जिद में जाकर पढ़ती हूं। तब से लेकर आज तक मेरी नमाज़ क्जा़ नहीं हुई है। मस्जिद मैनेजमेंट एक बार फिर बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने हमारे लिए फिर सोचा है। अब हम भी मस्जिद में जाकर तरावीह पढ़ेंगे और ज़्यादा से ज़्यादा सवाब हासिल करेंगे। एक दूसरी महिला जिन का घर मस्जिद के क़रीब ही है वो कहती हैं कि मेरी हर रोज़ यह कोशिश होगी कि मुझे पहली सफ़ में जगह मिले।बिना किसी परेशानी, अपने खास रास्ते से , अपने ख़ास कमरे तक पहुंच कर वजू कीजिए और बा जमात तरावीह की नियत बांध लीजिए। जी हां, मुंबई की जामा मस्जिद में पुरुषों के साथ साथ महिलाएं भी इस बार तरावीह पढ़ेंगी। माइक, स्पीकर और दूसरे तमाम इंतज़ाम कर लिए गए हैं। शोएब खतीब कहते हैं कि हमें अंदाज़ा है कि महिलाएं बड़ी संख्या में मस्जिद पहुंचेंगी। हम उनके स्वागत के लिए तैयार हैं।इस मसले पर उलेमाओ का कहना है कि मस्जिदों के दरवाजे हमेशा महिलाओं के लिए खुले रहे हैं और रहेंगे।मुस्लिम महिलाओं ने इस बात का स्वागत किया है कि महिलाओं को ईदगाह ऐशबाग में तरावीह की नमाज अदा करने की खास व्यवस्था की गई है।
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