शाहिद अंसारी
मुंबई:कुलाबा पुलिस थाने ने पिछले महीने जिस होटल मालिक और वेटर को 7 अप की जगह स्प्राइट देने के मामले में जिन चार लोगों पर सरकारी काम में दखल देने का मामला दर्ज किया था Bombay Leaks में ख़बर प्रकाशित होने के बाद पुलिस ने उसी तेज़ी से कोर्ट में चार्चशीट भी दाखिल कर दी है।लेकिन इस तेज़ी में पुलिस ने सुबूत के तौर पर जो फ़र्ज़ी दस्तावेज़ तय्यार कर कोर्ट में जमा किए वह पुलिस के लिए ही सर दर्द बन सकते हैं।
कांस्टेबल संतोष कोली के ज़रिए 27 अक्तूबर को हॉकर्स पर कार्रवाई को लेकर जो कहानी गढ़ी गई उसको लेकर कुलाबा पुलिस ने कोर्ट में ड्युटी की लिस्ट जमा की है जिसमें उन्होंने बताया कि 27 अक्तूबर को शिकायतकर्ता कांस्टेबल संतोष कोली को कुलाबा इलाके में दीपावली के लिए बंदोबस्त पर लिए तैनात किया गया था और सुबह 10 बजे का समय दिया गया था।खास बात तो यह है कि 27 अक्तूबर की यह ड्युटी लिस्ट सीनियर पीआई कुलाबा ने 27 अक्तूबर को ही बनाई है।हालांकि बंदोबस्त की ड्युटी लिस्ट हमेशा एक दिन पहले तय्यार की जाती है।इस से पता चलता है कि जिस तेज़ी से पुलिस ने झूटा मामला दर्ज किया और जिस तेज़ी से कहानी गढ़ी सी तेज़ी से झूटे सुबूत भी तय्यार करने कोर्ट मे चार्जशीट भी दाखिल कर दी।कोर्ट में पेश किए गए इस ड्युटी की लिस्ट को तय्यार करने में कुलाबा सीनियर पीआई ने आउटवर्ड नंबर तक नहीं लिखा जबकि इस लिस्ट को उन्होंने डीसीपी ज़ोन 1,एसीपी साउथ कंट्रोल,एसीपी कुलाबा डिवीज़न को भेजने की बात लिखी है जिसकी कॉपी Bombay Leaks के पास मौजूद है।
सब से अहम सवाल यह उठता है कि इस लिस्ट को अगर एक बार सही मान भी लिया जाए तो दीवाली के बंदोबस्त में तैनात कांस्टेबल आखिर उस दिन हॉकर्स के खिलाफ़ कार्रवाई पर कैसे मैदान में उतर गया जैसा कि कुलाबा पुलिस थाने के सीनियर पीआई विजय धोपावकर कहानी सुना रहे हैं।हालांकि सीसीटीवी में साफ़ तौर पर दिखाई दे रहा है कि कांस्टेबल संतोष कोली उस वक्त जब 7 अप की जगह स्प्राइट और हॉकर्स पर कार्रवाई में बाधा डालने की बात कर रहे वहां दूर दूर तक हॉकर्स पर कार्रवाई का दूर दूर तक कोई लेना देना ही नहीं।हम आपको घटना का सीसीटीवी के अनुसार समय बता रहे हैं जिसमें कोली सफेद रंग की शर्ट पहने हुए थे और 2 बजकर 22 मिनट पर वह अपने दूसरे साथी के कांस्टेबल झेंडे के साथ गोकुल होटल के वेटर से 7 अप मांगा जिसके बाद 7 अप न होने की वजह से स्प्राइट देने पर 2 बजकर 25 मिनट पर कोली ने वेटर को मारना शुरू किया।उसके बाद कोली ने होटल मैनेजर सतीश के फोन से होटल के मालिक दिनेश पुजारी को फोन किया और होटल मालिक 2 बजकर 35 मिनट पर होटल पहुंचा।
इस दौरान होटल मालिक या दूसरे लोगों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि को कोली कांस्टेबल है कोली ने होटल मालिक को 7 अप की जगह स्प्राइट देने की बात की लोकिन होटल मालिक को तबतक पता चल चुका था कि कोली ने वेटर और मैनेजर को मारा है जिसके बाद होटल मालिक ने कोली को कहा कि तुमने मारा है तो इसकी माफी मांगो।जिसके बाद कोली ने होटल मालिक को भी गालियां दी और कहा कि देखता हूं तो इधर कैसा होटल चलाता है तब तक होटल मालिक ने कोली के कंधे पर हाथ रख कर धक्का मारा और कहा कि जो करना है कर ले।
पुलिस की तरफ़ से सरकारी काम काज में दखल देने के नाम पर झूटे केस बनाने का यह कोई पहला मामला नहीं है।क्योंकि यह सब से आसान फ़ार्मूला है जो पुलिस किसी पर कभी भी आज़मा सकती है लेकिन झूट को सच बदलने में वह भूल जाते हैं कि सच प्रताड़ित हो सकता है पर पराजित नहीं।
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