शाहिद अंसारी
मुंबई:2 दिसंबर को मुबंई पुलिस ने ट्वीटर पर सुहास नेवासे नाम के कांस्टेबल द्वारा उस कारनामे को पोस्ट किया गया जिसने क ऐसे शख्स को मौत के मुंह से बचा लिया जो 50 फिट ऊपर से अपनी जान देने के लिए तय्यार था लेकिन नवासे ने अपनी हाजिर दिमागी से उस शख्स को मौत के मुंह में से जाने से रोका बल्कि उसे एक नई जिंदगी दी।यह वारदात साकीनाका पुलिस थाने की है मानसिक तनाव में घिरा 35 साल का युवक नवाब अब्दुल मंसूरी शराब के नशे में संघर्ष नगर की पहाड़ी पर चढ़ अपनी जान देने की लिए ठान ली मौका-ए-वरादात पर पीएसआई महात्रे पहुंचे।यह बहुत ही मुश्किल काम था कि एक शख्श शराब के नशए मे 50 फिट ऊपर खड़ा अपनी जिंदगी खतम करने के लिए तय्यार था और ऐसे में पुलिस वालों ने उसे 30 मिनट तक उलझाए रखा और फिर एक अदना से हवदार की हाजिर दिमागी ने उसे मरने से बचा लिया।बचाए गया युवक राजस्थान का रहने वाला है और वह उस इलाके की फुटपाथ पर रहता है।
इस डिपार्टमेंट में ऐसे न जाने कितने पुलिस वाले हैं जो अपनी जिंदगी दांव पर लगा कर न जाने कितने लोगों को नई जिंदगी देते हैं लेकिन उनके यह कारनामे और यह जांबाज़ी शायद रोज़मर्रा की जिंदगी में और भागदौड़ में लोगों तक पहुंचने से पहले ही दफन हो जाती हैं।कई मौकों पर ऐसा भी होता है कि एक छोटी से ओहदे पर कार्यरत पुलिसकर्मी कुछ ऐसे भी काम कर जाते हैं जिसे प्रोत्साहन मिलना चाहिए लेकिन विभाग और वरिष्ठ अधिकारी उन्हें प्रोत्साहित ही नही करते।लेकिन वही अधिकारी उसे मामूली सी गलती पर न जाने कौन कौन सी सज़ाऐं देने के लिए तय्यार हो जाते हैं जिसकी व्याख्या शायद पुलिस मैनुअल में ही नहीं होती।बावजूद इसके वह अदना सा सिपाही वह सारी जिल्लतें बर्दाशत करता है और उसकी यह आवाज़ वरिष्ठ अधिकारियों के कान तक पहुंचने से पहले ही उसके मन में ही रह जाती हैं।
साल 2011 में मुंबई के ताड़देव इलाके में मारूती पाटिल नाम के एक हवलदार छुट्टी के दिन एक ऐसे चैन स्नेचर को पकड़ कर पुलिस के हवाले किया जिसने कुछ ही देर पहले किसी की चैन चुराई थी हवलदार को शक हुआ उसने पकड़ने की कोशिश की लेकिन वह भागने लगा। साइकल पर सवार हवलदार ने साइकल खड़ी की और उसे दौड़ा कर पकड़ा और पुलिस के हवाले किया इस बात से खुश होकर मुबंई पुलिस कमिश्नर अरुप पटनाएक ने उसे अपने चैंबर में बुलाकर 1500 रूपए के इनाम से नवाज़ा।आज जब मारूती पाटिल से बात की गई तो वह कहते है कि जब उन्हें पुलिस कमिश्नर ने अपने चेंबर में बुलाकर इनाम से नवाज़ा वह दिन उनकी ज़िंदगी का सब से खास दिन था।क्योंकि उन्हें इस काम के लिए महाराष्ट्र भर से लोगों ने बधाई दी।
घटना साल 2012 की है कि है जब वरली सी लिंक से एक महिला अपनी जान देने के लिए पानी मे कूद गई वरली पुलिस थाने में कार्यरत एक हवलदार जिसे खुद तैरना नहीं आता था वह महिला की जान बचाने के लिए कूद गया और उसे बचाने मे कामयाब हो गया उस दौरान मुबंई पुलसि ज़ोन 3 मे कार्यरत डीसीपी किशोर जाधव थे उन्होंने उस हवलदार के इस कारनामे को प्रोत्साहित किया और तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अरुप पटनाएक को यह जानकारी जैसे ही मिली उन्होंने उसे अपने कार्यालय मे बुला कर शाबाशी दी तकरीबन 30 हजार रूपए का इनाम भी दिया।
लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि मुबंई पुलिस के ही एक वरिष्ठ अधिकारी ने बांद्रा वरली सी लिंक वाली घटना को लेकर सवाल करने लगे कि आखिर हवलदार ने जहां समुंद्र मे कूद कर महिला की जान बचाई वहां पानी कितना था उनको यह सोचने की शायद रोज़ी नहीं हुई कि पानी कम था या ज़्यादा किसी को मौत के मूंह से बचा कर नई जिंदगी देने वाले हवलदार ने जो काम किया वह ज्यादा अहमियत रखता है या पानी कितना कम था कितना ज़्यादा।उन्हें शायद शक था कि उसने खास मेहनत नहीं की।शायद यही सोच उस छोटे से पुलिस सिपाही का मनोबल कम कर देती है जो ओहदे से तो छोटा होता है लेकिन काम ऐसे कर जाता है जो केबिन और एसी में बैठ कर आदेश देने का काम करने वाले वरिष्ठ अधिकारी भी नहीं कर पाते हैं।
इस तरह के हिम्मत भरे काम करने वाले हौसलामंद पुलिसकर्मियों की खासी तादाद पुलिस विभाग में है लेकिन शायद वरिष्ठ अधिकारी उन्हें देखने या उनकी हौसला अफज़ाई करने का हौसला ही नहीं रखते।इस लिए वरिष्ठ अधिकारियों को चाहिए कि उन पुलिसकर्मियों के कारनामों की हौसला अफ़ज़ाई करें तो यकीनन एक खासी तादाद ऐसे लोगों की देखने को मिलेगी क्योंकि अदना हो या आला है तो पुलिस वाला।
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