मुबंई:सोलापुर में लघु उद्दोग के लिए सरकार से ली गई ज़मीन पर बंगले बनाने वालों पर मुबंई हाई कोर्ट की गाज गिरने वाली है।हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इसकी जांच के लिए जिला न्यायालय लीगल सर्विस अथार्टी का गठन करे जो इस बात की जांच करे कि सरकार से लघु उद्दोग के लिए ली गई ज़मीन पर लोगों ने बंगले कैसे बनाए साथ में कलेक्टर द्वारा इस ज़मीन पर किस तरह से बंगले बनाने अनुमति दी गई इसकी भी जांच की जाए।हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 6 हफ्ते के अंदर यह कमेटी अपनी रिपोर्ट कोर्ट मे पेश करे।
इस बारे में एडोकेट राजेशवर पांचल ने बताया कि लघु उद्दोग को लिए सरकार ने यहां मौजूद 60 लोगों की टीम गठित कर तकरीबन 8 एकड़ की जगह 25 करोड़ रूपए में दे दी लेकिन यहां जिन लोगों को जगह दी गई उन लोगों ने बंगले बना डाले और ग्राउंड फ्लोर पर कंपनी खोली जबकि उसके ऊपर रहने के लिए बंगले बना डाले।इसके साथ साथ लोगों ने 60 की संख्या बढ़ा कर 105 कर दी जबकि सरकार की ओर से जारी किए गए फरमान में कहा गया था कि 60 लोगो से ज्यादा लोगों को इस कमेटी में नहीं शामिल किया जाएगा लेकिन 60 लोगों ने और भी लोगों को इस जगह को बेचा और साथ में उन्हें भी इस कमेटी का हिस्सा बना लिया।कारोबार के लिए सरकार से कोड़ियों के भाव में ली गई जगह जहां 60 लोग थे उनमें से पुराने मात्र 9 लोग बचे बाकी 96 लोग ऐसे थे जिन्हें पुराने लोगों ने बेच दिया जिन नए लोगों को बेचा गया।इस तरह से नए लोगों को इसी जगह से जो प्टाल बेचे गए वह भी करोड़ों में बेचे गए।तकरीबन 8 एकड़ में फैली इस ज़मीन की कीमत इस वक्त आसामान को छूने लगी जब इस ज़मीन से सट कर ही सोलापुर एयरपोर्ट बनाया गया जिसके बाद गैर कानूनी तरीके से लोगों को करोड़ों मे यह ओपन प्लाट बेचे गए और लोगों ने वहां अपने बंगले भी बनाए डाले।
सोलापुर के याचिकाकर्ता दत्ता वाघमारे ने कहा कि सराकर से कोड़ियों के भाव में ली गई ज़मीन को जो मात्र लघुउद्दोग के लिए दी गई थी उसपर ना सिर्फ न लोगों ने बंगले बनाए बल्कि उसे करोड़ों में बेचकर अपनी जेबें भरी हैं जिसको लेकर उन्होंने हाई कोर्ट मे दस्तक दी थी क्योंकि इस मामले में कई सरकारी विभाग खुद मिले हुए थे।ब ऐसे मे जब हाईकोर्ट नें इस मामले में कड़ा रुख जाहिर किया है तो यकीनन इस ज़मीन पर मौजूद अवैध बंगलों पर सरकारी हथौड़ा चलना तय हैं।
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