शाहिद अंसारी
मुंबई:अपहरण और वसूली के मामले में घिरे ऐंटी करप्शन ब्युरो में बतौर डीवाईएसपी रायगढ़ होते हुए सिंचाई घोटाले की जांच करने वाले इंस्पेक्टर सुनील कलगुटकर के खिलाफ़ चल रही सुनवाई पूरी हो गई है अब जल्द ही मानव अधिकार आयोग कलगुटकर पर कानूनी कार्रवाई करने के लिए फैसला सुनाएगा।
अपहण और वसूली की वारदात में शामिल इंस्पेक्टर सुनील कलगुटकर के खिलाफ़ पिछले साल ऐंटी करप्शन ब्युरो ने अपनी रिपोर्ट पेश की थी जिसमें कलगुटकर को दोषी पाते हुए कार्रवाई के नाम पर जनरल ट्रांस्फर कर दिया गया था इस ट्रांस्फर को लेकर कलगुटकर ने मैट में दस्तक दीथी लेकिन जनवरी 2017 में कलगुटकर की अर्ज़ी मैट ने ठुकरात हुए जनरल ट्रांस्फर को सही करार दिया था।
नियम और कानून के मुताबिक सुनील कलगुटकर ने ऐंटी करप्शन ब्युरो में तीन साल काम का समय बिता चुका था।और इस दौरान उसने ऐंटी करप्शन ब्युरो का चोला पहेन कर वसूली का बाज़ार गरम किया और कई लोगों के खिलाफ़ गैर कानूनी कार्रवाई की थी।इसी फ़र्जी कार्रवाई में रायगढ़ की अदालत ने अपने एक फैसले में कहा कि सुनील कलगुटकर अपने फाएदे के लिए किसी को भी बली का बकरा बना देता है और वह इस तरह के काम के लिए मास्टरमाइंट है।हैरान कर देने वाली बात यह है कि कलगुटकर का पिछले साल बतौर इंस्पेक्टर रत्नागिरी तबादला किया गया लेकिन कलगुटकर ने सीक लीव लेकर अब तक ड्युटी ज्वाइन नहीं की।
कलगुटकर की दास्तान-ए-वसूली और अपहरण
मामला 2015 का है जब इ टेंडर के माध्यम से 15 काम के ठेके दिए गए थे जिसमें यह ठेका दो कंपनियों को मिला।इनमें से दो ठेकेदारो को यह काम सौंपे गए एक ठेकेदार का नाम एडी इंजीनियर पुणे जबकि दूसरे का नाम सचिन सालुंखे है।कंपनी के टेंडर में से 15 काम थे और इसमें से 8 काम सचिन सालुंखे को और 7 काम ए.डी इंडीनियर्स को सौंपे गए।
ए.डी इंजीनियर्स ने अपने काम को पूरा कर रायगढ़ पटबंधारे विभाग को सौंप दिया जबकि 8 काम जो सचिन सालुंखे को मिले थे वह पूरे नहीं किए गए।जिसके बाद यह काम भी सालुंखे ने एडी इंजीनियर्स को सैंप दिए।लेकिन जब पैसे लेने की बारी आई तो एडी इंजीनियर्स ने अपना नक्शा जमां कर दिया जबकि सचिन सालुंखे जमां करने मे असमर्थ रहा।यहीं से शुरू हुआ फ़र्जी ट्रैप,वसूली और अपहरण का घिनावना खेल।
दरअसल काम का नक्शा ना जमां करने पर जब सचिन सालुंखे को ठेकेदारी के चेक नहीं मिले तो रायगढ़ के डी.वाई एसपी सुनील कलगुटकर ने यहां इंट्री की और फिर वसूली और पर्ज़ी ट्रैप का गोरख धंधा चल पड़ा।इस दौरान सुनील कलगुटकर और ठेकेदार सचिन सालुंखे अपने साथियों के साथ शिकायतकर्ता इंजानियर सुभाष झगड़े को फर्ज़ी ट्रैप केस लगाकर तंग करना शुरू करदिया।ताज्जुब इस बात का कि यह ट्रैप एक बार भी कामयाब नहीं हुआ।और सुभाष झगड़े को डी.वाई एसपी सुनील कलगुटकर ने ठेकेदार सचिन सालुंखे को चेक देने के लिए प्रेशर बनाने लगे।लेकिन सुभाष झगड़े ने हर बार यही कहा कि जबतक काम का नक्शा जमां नहीं किया जाएगा तबतक वह चेक रिलीज़ नहीं किया जासकता।लेकिन जब फर्ज़ी ट्रैप के नाम पर फंसाने की धमकी लगातार उन्हें मिलने लगी तो उन्होंने चार चेक रिलीज़ कर दिए और बाकी के चेक रिलीज़ करने के लिए काम का नक्शा जमां करने के लिए कहा लेकिन ठेकेदार सचिन सालुंखे नक्शा जमां करने मे असमर्थ रहा।और इस दौरान कई जगहों पर सुनील कलगुटकर अपनी टीम के साथ अचानक आधमकते और जबरन अपने दोस्त ठेकेदार का चेक रिलीज़ करने की धमकी देते।और ना देने की सूरत में फर्ज़ी केस में फसाने की धमकी देते रहते।
मामले में नया मोड़ तब आया जब 2 जून 2015 को सुभाष झगड़े कोकन भवन नई मुंबई कार्यालय में विभागी कार्य पूरा करने के बाद बाहर निकलने लगे तो ठेकेदार सचिन सालुंखे और डी.वाई एसपी सुनील कलगुटकर अपनी टीम के साथ पहुंचे उनके सामने ठेकेदार ने धक्का मुक्की करते हुए चेक की मांग की जिसके बाद उन्होंने मामले को देख तुरंत 100 नंबर पर फोन कर पुलिस मदद मांगी और पास की ही एक ट्राफिक पुलिस चौकी में मदद के लिए गए।उसी दौरान डी.वाई एसपी सुनील कलगुटकर और ठेकेदार सचिन सालुंखे उस ट्राफिक चौकी में दाखिल हुए और यह कहकर कि ट्रैप लगा है यह सुनकर सारे पुलिस कर्मी बाहर चले गए कलगुटकर ने सुभाष झगड़े के दोनों फोन बंद कर दिए और वहां से अपनी प्राइवेट कार में उन्हें बैठाकर नई मुंबई सरकारी गेस्ट हाउस जाने लगे।इस दौरान तथाकथित पंच कलगुटकर के पीछे दूसरी गाड़ी में बैठे थे और कलगुटकर ने उनसे कहा कि चेक इनका रिलीज़ करो और मुझे सहयोग करो और जैसे ही सरकारी गेस्ट हाउस में पहुंचे वहां उनका फोन उन्हें दे दिया गया और कहा कि विभाग को काल कर चेक रिलीज़ करवाओ और मुझे 50 लाख रूपए दो नहीं तो फर्ज़ा कार्रवाई में ऐसा फंसाओंगा कि जिंदगी भर जेल की चक्की पीसनी पड़ेगी।
वसूली का यह खेल 6 घंटे तक सरकारी गेस्ट हाउस में चलता रहा झूटी कार्रवाई के नाम पर सुभाष झगड़े को बंधक बना कर रखा गया और उनसे जबरन विभाग में फोन करवाकर चेक मंगाया गया और उन्हें छोड़ दिया गया।लेकिन 50 लाख की डिमांड कलगुटकर की तरफ से लगतार जारी रही।यहां तक कि उन्होंने उनके विभाग के लोगों से भी संदेश भेजवाया कि झगड़े महाराष्ट्र के किसी भी कोने में होगा तो मैं उसे छोडूंगा नहीं क्योंकि अबतक उसने 50 लाख रूपए जो वसूली की रकम थी उसने दिया नहीं।
झगड़े ने इसी मामले को महाराष्ट्र ह्युमन राइटस् कमीशन की दहलीज़ पर पर दस्तक दी जिसके बाद इस मामले में सुनवाई पूरी हो गई अब लोगों कि निगाहें हेयुमन राइट्स कमीशन के फैसले पर टिकी हुई हैं।
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