बॉम्बे लीक्स ,महारास्ट्र
नासिक : देश के प्रमुख प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में प्याज के भावों को लेकर मुनाफाखोरी का आरोप लगा है।प्याज़ की गिरे हुए दामों को लेकर किसान काफी नाराज है।आलम यह है कि इन दिनों महाराष्ट्र की मंडियों में प्याज़ का भाव 50 पैसे तक गिर चुका है।जहाँ किसानों से 75 और 50 पैसे प्रति किलो तक प्याज की खरीद की जा रही है।प्याज़ का इतना गिरा हुआ भाव अब राज्य के प्याज उत्पादक किसानों के लिए परेशानी का कारण बनता जा रहा है।माना जा रहा है कि अब तक भावों में यह सबसे निचले स्तर का भाव बन गया है। इस बार प्याज़ की पैदावार काफी अधिक हुई है।जिसके चलते महारास्ट्र में किसानों ने प्याज़ की अच्छी पैदावार की है।वही देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादको में महारास्ट्र हमेशा से अव्वल रहा है।लेकिन इस बीच महारास्ट्र में किसान इन दिनों कौड़ियों के भाव प्याज बेचने के लिए मजबूर हैं।
महाराष्ट्र के कई बाजारों में प्याज के दाम में इतनी गिरावट आ गई है कि किसानों को लागत भी नहीं मिल पा रही। जिससे किसान परेशान हैं।अहमदनगर जिले की अकोले मंडी में 15 मई को प्याज का न्यूनतम रेट सिर्फ 150 रुपये प्रति क्विंटल रहा। जबकि पुणे जिले की जुन्नर मंडी में 300 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम दाम रहा।ऐसे में किसान सरकार से सवाल कर रहे हैं कि इस तरह इनकम डबल कैसे होगी।कमोबेश यही हाल देश भर में जारी है।कही प्याज़ का भाव आसमान पर तो कही कौड़ियों के भाव में भी नही है।हालत यह है कि प्याज का भाव 150 तो कहीं 200 रुपये प्रति क्विंटल के रेट पर तय हो रहा है।
जबकिं बिहार में हालात महाराष्ट्र के अलग है।जहाँ प्याज़ का भाव 1000 से 1600 रुपये प्रति कुंटल पर चल रहा है।देखा जाए तो बिहार भी प्याज उत्पादन में 5.61 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है।जबकिं केरल की मंडी में प्याज़ का भाव 4500 रुपये प्रति क्विंटल तक का दाम पहुंच गया है। महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि महाराष्ट्र में ट्रेडर्स की लॉबी बहुत मजबूत है।वो अपने हिसाब से मार्केट को चलाती है।कहा कि इस तरह मुनाफा कमाने वालो पर सरकार का कोई अंकुश नहीं है।कहा कि मजबूरी में महाराष्ट्र राज्य प्याज़ उत्पादक संगठन रास्ता रोको आंदोलन कर रहे हैं। फिर भी नैफेड और अन्य संस्थाएं सस्ते दामों पर किसानों से प्याज खरीद रही हैं।प्याज़ उत्पादक संगठन के लोगों का आरोप है कि सरकार तो सस्ते प्याज़ पर रोक नहीं लगा रही है लेकिन इसका फायदा आम उपभोक्ता को नहीं मिल रहा है। केवल बड़े व्यापारी खरीदकर अपने गोदाम भर रहे हैं। ऐसे में किसानों को कहीं से भी राहत नहीं मिलती देख वे मुफ्त में प्याज़ बांट रहे हैं।
सरकार से नाराज़ कुछ किसानों ने तो कई कुंटल प्याज़ पर बुलडोजर चलवाकर अपनी नाराजगी प्रकट की है।किसानों का कहना है कि इतना कम रेट में प्याज बेचने से बेहतर हम इसे फेंक देना पसंद करते है।कहा कि जो भाव में प्याज़ की बिक्री हो रही है।उस भाव में लागत तो दूर की बात है, खेत से मंडी तक का खर्च भी नही निकल रहा है।तो प्याज की लागत तो बहुत दूर खेत से मंडी तक लाने का खर्च भी नहीं निकल रहा हैं।महाराष्ट्र प्याज़ उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले ने किसानों के नुकसान की भरपायी के लिए सरकार से मुआवज़े की मांग की है। कृषि मामलों के एक्सपर्ट देवेंद्र शर्मा ने लिखा है कि इसीलिए किसानों को लागत की न्यूनतम गारंटी देना जरूरी हो गया है।
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