बॉम्बे लीक्स
दिल्ली : भाजपा नेता शहनवाज हुसैन के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज करने का आदेश दिल्ली हाईकोर्ट ने जारी किया है।पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे और भाजपा के वरिष्ठ नेता शाहनवाज हुसैन के खिलाफ 2018 में ब्लात्कार का गंभीर आरोप लगा था।दिल्ली हाईकोर्ट ने एक पुराने मामले में पुलिस को आदेश दिया कि शाहनवाज के खिलाफ रेप समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया जाए।यही नही कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस मामले की जांच 3 महीने में पूरी कर ली जाए।
वहीं दुष्कर्म के इस मामले में FIR से राहत पाने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता शाहनवाज हुसैन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। दिल्ली की रहने वाली महिला ने जनवरी 2018 में निचली अदालत में याचिका दायर कर हुसैन के खिलाफ दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज करने की गुजारिश की थी। महिला ने आरोप लगाया था कि हुसैन ने छतरपुर फार्म हाउस में उसके साथ दुष्कर्म किया व जान से मारने की धमकी दी।
आरोप है कि पुलिस ने इस मामले में जांच करते हुए फ़ाइनल रिपोर्ट पेश करते हुए दलील दी थी कि इसमें शाहनवाज के खिलाफ कोई मामला नही बनता।जबकिं दिल्ली की मजिस्ट्रेटी कोर्ट ने 7 जुलाई को हुसैन के खिलाफ धारा 376/328/120/506 के तहत एफआईआर दर्ज करने का आदेश देते हुए कहा था कि महिला की शिकायत में संज्ञेय अपराध का मामला है। जवाब में दिल्ली पुलिस ने पेश अंतिम रिपोर्ट में तर्क रखा कि हुसैन के खिलाफ मामला नहीं बनता है।
जिसके बाद दिल्ली की अदालत ने पुलिस के सभी तर्क को खारिज कर दिया था।इस मामले में भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन के वकील ने शहनवाज के लिए अर्जी को चीफ जस्टिस एनवी रमना की बेंच के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए पेश किया लेकिन बेंच ने तत्काल सुनवाई न करते हुए अगले सप्ताह का समय दे दिया।शाहनवाज के वकील का मानना है कि इसमें तत्काल सुनवाई होनी चाहिए क्योंकि देरी होने पर एक राजनीतिक नेता की छवि खराब हो सकती है।
वहीं चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि अगले सप्ताह इस मामले की सुनवाई की जाएगी।शाहनवाज के वकील ने शीर्ष अदालत में कहा, ‘मेरे मुवक्किल का 30 सालों का सार्वजनिक जीवन है। उन्हें बेवजह बदनाम किया जा रहा है। यदि इस पर तत्काल सुनवाई नहीं होगी तो पुलिस एफआईआर दर्ज कर लेगी और ऐसी स्थिति में इस अर्जी का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा।’ बता दें कि बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा था। जिसमें शाहनवाज हुसैन के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया गया था।
इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा था कि शाहनवाज हुसैन की याचिका की कोई मेरिट नहीं है। इसलिए उसे खारिज किया जाता है। अदालत ने कहा था कि इस मामले में एफआईआर दर्ज की जाए और तीन महीने के अंदर रिपोर्ट सौंपी जाए कि कितनी जांच हुई है और क्या पाया गया है। जस्टिस आशा मेनन की बेंच ने अपने आदेश में कहा, ‘मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की ओर से एफआईआर का जो आदेश दिया गया है, उसमें कोई खामी नहीं पाई गई है।’ अदालत का कहना था कि पुलिस इस केस में एफआईआर दर्ज करे और फिर सीआरपीसी के सेक्शन 173 के तहत वह रिपोर्ट जमा कराए।
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