शाहिद अंसारी
मुंबई:अपना पद और पावर के दुरपयोग कर मनमाना फ़रमान जारी करने वाले आई.जी. कोकण रेंज प्रशांत बुरडे ने अपना फ़रमान वापस ले लिया है।मुंबई हाई कोर्ट में आज मामले की सुनवाई के दौरान आई.जी. कोकण रेंज की ओर से अपना फ़रमान वापस लेने के लिए पत्र दाखिल किया गया है जिसको लेकर इस मामले की सुनवाई समाप्त हो गई हैं।लेकिन शिकायतकर्ता पुष्कर दामले ने कहा कि अब इस मामले में हम हरजाने की मांग करेंगे क्योंकि इस तरह से आ.जी कोकण रेंज ने न जाने कितने लोगों की जिंदगियां तबाह की हैं।
क्या था मामला
सीआरपीसी की धारा 110 के तहेत कार्रवाई को लेकर मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।मामला बहुत ही दिलचस्प बन गया क्योंकि इस आदेश को पारित करने वाले थे आई.जी कोकण रेंज प्रशांत बुरडे।जिन्होंने हाल ही में सीआरपीसी की धारा 110 का सहारा लेकर आईपीसी की धारा 354,376 के तहेत याचिकाकर्ता पुष्कर दामले पर दर्ज हुई FIR के बाद कार्रवाई करने का आदेश जारी किया था।याचिकाकर्ता पुष्कर दामले के वकील भावेश परमार का कहना है कि पुलिस को धारा 110 के तहेत कार्रवाई करने का अधिकार है लेकिन जब एक आरोपी को कोर्ट ज़मानत पर रेहा कर देती है तो आखिर पुलिस को ज़रिए उसके खिलाफ़ इस धारा के तहेत कार्रावाई करने का कैसे अधिकार प्राप्त हो गया।परमार ने काह कि धारा 110 के तहेत कार्रवाई करने का प्रावधान पुलिस को है लेकिन चुनिनदा मामलों में ही है उसके लिए बाकायदा नियम और कानूनी बनाए गए हैं लेकिन इसके बावजूद आई.जी कोकण रेंज प्रशांत बुरडे द्वारा जो सरकुलर जारी किया गया उसमें आईपीसी की धारा 354 और 376 को लेकर भी धारा 110 के तहेत कार्रवाई का जो फरमान जारी किया गया वह सरासर दादगिरी और कानून का मज़ाक उड़ाने के जैसा है।जिन चुनिनदा धाराओं पर सीआरपीसी 110 के तहेत कार्रवाई का प्रावधान है उसमें आईपीसी की धारा 354 और 376 का उल्लेख ही नहीं है।यही नहीं यह आदेश संबंधित आरोपी के साथ साथ कोकण रेंज के हर उस आरोपी पर लागू कर दिया गया जिसपर आईपीसी की धारा 354 और 376के तहेत मामले दर्ज किए जाते हैं सरकुलर में जारी आदेश के मुताबिक उस आरोपी के खिलाफ़ कोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद सीआरपीसी 110 के तहेत कार्रवाई की जाए।हालांकि यह फ़रमान मात्र कोकण रेंज में ही लागू किया गया अबतक महाराष्ट्र के किसी और क्षेत्र में यह नहीं लागू किया गया।
लेकिन मुंबई हाईकोर्ट ने इस मामले में जब जवाब तलब किया तो पहले तो आई.जी. कोकण रेंज ने कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की लेकिन जब कोर्ट में यह पैंतरा भी काम नहीं आया तो उन्होंने हार मान कर अपने द्वारा जारी किए गए मनमाने फरमान को वापस लेने में ही अपनी भलाई समझी।
इस मामले में Bombay Leaks ने 15 जनवरी को ख़बर छापी थी और यह बताया था कि इस फ़रमान को लागू कर के वरिष्ठ अधिकारी आरोपियों का साथ देते हैं।14 मार्च को कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आई.जी. से जवाब मांगा और आज उन्होंने हथियार डाल कर अपने द्वारा जारी किए गए इस फरमान को गैर कानूनी मानते हुए वापस ले लिया।
एडोकेट भावेश परमार ने बात चीत करते हुए बताया कि यह बहुत ही शर्म और अफसोस की बात है कि किस तरह से आरोपियों को मदद करने के लिए महाराष्ट्र पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी अपनी केबिन में ही बैठ कर मनमाना फ़रमान जारी कर देते हैं लेकिन वह यह नहीं सोचते कि उनके स्वयं स्वार्थ के चक्कर में न जाने कितने बेगुनाहों की जिंदगियां खराब होजाती हैं इसलिए हम जल्द ही दामले को हुई तकलीफ़ को लेकर मुआवज़े की मांग करेंगे और कोकण रेंज में मौजूद हर उस व्यक्ति जिस पर इस मनमाने फ़रमान का इस्तेमाल कर उसे परेशान किया गया उसको लेकर कानून का मज़ाक उड़ाने वालों से कोर्ट के ज़रिए कानूनी कार्रवाई की मांग करेंगे।
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