•अजादारों ने सरकारी गाईड लाईन का पालन करते हुए निकाला अलम ताबूत और ताज़िया के साथ विशाल जुलूस।
• पुलिस सुरक्षा की रही चाक चौबंद व्वस्था-जगह जगह नियाजे हुसैन की लगाई गई सबीलें।
मुंबई ब्यूरो | बॉम्बे लीक्स
मुंबई : दस मुहर्रम यानी यौमे आशूरा पर शुक्रवार को इमामबाड़ा ज़ैनबिया भिन्डी बाज़ार से या हुसैन या हुसैन की सदाओं के बीच इमाम हुसैन की जरीह-ए-अकदस उठाई गई।जहां गमगीन नौहो पर शिया अजादारो ने मातम और नोहाख्वानी की।इमाम हुसैन की जरीह-ए-अकदस के साथ तमाम तरह के अलम और ताबूत भी थे।
हर साल की तरह इस बार भी शिया समुदाय ने इमाम हुसैन की शहादत पर आशुरे का जुलूस निकाला।कोरोना महामारी के बीच शिया समुदाय ने सरकारी गाईड लाईन का पालन करते हुए मुंबई भिंडी बाज़ार के ज़ैनबिया इमामबाड़े से शाम 4 बजे जुलूस निकाला।जिसका समापन जेजे ब्रिज रहमताबाद होते हुए कर्बला में हुआ।
इस अवसर पर जगह जगह इमाम हुसैन की सबीलें लगाई गई थी।सरकारी गाईड लाईन के अनुसार जुलूस में सिर्फ उन्ही अजादारों को शामिल होने की परमिशन दी गई थी जोकि जिन्होंने कोरोना की दोनों डोज़ ले रखी है।
इस अवसर पर
पर अजादार सुबह से ही इमामबाड़ा ज़ैनबिया में एकत्र हो रहे थे।इमामबाड़े में शाम 3:30 पर मौलाना जफर अब्बास ने मजलिस पढ़ी। जिसमें बयान-ए-कर्बला का ज़िक्र किया।जिसे सुनकर अजादार रो पड़े। इसके बाद मातम करते हुए अजादारो इमाम हुसैन का जुलूस निकाला।जगह जगह पर पुलिस सुरक्षा मौजूद रही।
इमामबाड़े पर मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना जफर अब्बास मौलाना यासूब अब्बास मिर्ज़ा ने मजलिस बयान करते हुए कहा कि रसूल के नवासे इमाम हुसैन ने इंसानियत और भाईचारे कायम रहने के लिए जालिम यजीद की अपनी इमामत के समय में उसकी कोई गलत बात नहीं मानी और न ही उसके सामने सर झुकाया। उन्होंने ने दुनिया को सच्चे और नेक रास्ते पर चलने का पैगाम दिया। इसके लिए उन्होंने अपने परिवार सहित 72 साथियों को बलिदान कर दिया। मौलाना ने कहा कि इससे सबक लेना चाहिए कि जुल्म और अत्याचार के सामने झुकने नहीं चाहिए। इसीलिए 14 सौ साल से आज तक उनकी शहादत पर गम मनाते आ रहे है।
मजलिस में बयान हो रहे कर्बला की जंग का वाक्य सुनकर अजादार मातम करते रहे और इमाम हुसैन को याद करते रहे। इसके बाद जुलूस ठीक 4 बजे कर्बला के लिए रवाना हुआ।कोरोना कॉल में सरकारी गाइड लाइन का पालन करते हुए अजादार जुलूस में शामिल नही हुए।लेकिन जगह जगह सड़को पर खड़े अजादार इमाम हुसैन की जियारत कर मातम करते रहे।या हुसैन या हुसैन की सदाओं से मुंबई की सड़कों पर काले लिबास में ईमाम हुसैन को श्रंद्धाजलि अर्पित की गई।स्थानीय प्रशासन द्वारा भी ईमाम हुसैन की शहादत पर जुलूस के दौरान पूरी तरह से अपनी ड्यूटी निभाई गई।इस अवसर पर हजारों की तादाद में शिया अजादार मौजूद रहे।वैसे तो उद्धव सरकार द्वारा सरकारी गाईड लाइन के अनुसार अज़ादारी की इजाजत दी हुई थी।जिसके बाद जगह जगह मुंबई समेत संपूर्ण महाराष्ट्र में चांद रात से ही मोहर्रम की मजलिस मातम जुलूस होता रहा।लेकिन बड़े जुलूस के लिए कोरोना काल में सख्ती बरती गई।
जुलूस में मौजूद सभी अजादारों ने सरकार एवं प्रशासन का शुक्रिया अदा किया।इस मौके पर कुर्ला की अंजुमन लश्करे अब्बास के मेंबर और साहेबेब्याज़ मोहम्मद सलीम खान(उर्फ सलीम गोल्डन) ने उद्धव सरकार और प्रशासन का शुक्रिया अदा किया।उन्होंने कहा कि सरकार ने हमे मोला की मजलिस मातम करने की अनुमति दी और प्रशासन ने हमे कोरोना प्रोटोकॉल के तहत गमे हुसैन मनाने के लिए हमे पूरा सहयोग किया।जिसका हम सभी अजादारों की तरफ से आभार है।
अजादारों के अनुसार डोंगरी इलाके में शिया समुदाय की तादाद खासी है।ऐसे में डोंगरी थाने के सीनियर पीआई शबाना शेख ने इलाके के लोगों से एक दिन पहले ही अनुरोध किया था कि करोना काल में कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए हो ,जितने लोगों को जुलूस निकालने को इजाज़त दी गई है वही अजादार जुलूस निकालें।जिसके बाद लोगों ने इस पर अमल किया और शांतिपूर्वक जुलूस निकाला गया। कई जगहों पर मातम को लेकर इजाज़त मांगी गई थी लेकिन सरकारी फरमान के चलते पुलिस ने मना कर दिया। जिस पर लोगों ने सहमति जताते हुए कोर्ट के आदेशों का ख्याल किया और सीमित व्यक्तियों के साथ जुलूस में शिरकत की।
फिलहाल मोहर्रम खत्म हो गया।ताज़िया दफन के बाद सभी अजादारों को इंतज़ार है कि अगले मोहर्रम का ताकि मोला हुसैन के लिए फिर से मातम किया जा सके।देश दुनिया में फैली कोरोना महामारी के लिए महफूज़ियत की दुवाये मांगी गई।
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