मुंबई: मुंबई के आग्रिपाड़ा इलाके में मौजूद यह नथानी टॉवर वक्फ की मिल्कियत पर बना हुआ है वक्फ की इस मिल्कियत को नथानी बिल्डर कंपनी ने खरीद कर डेवलप किया है और इसके लिए उन्होंने वक़्फ़ बोर्ड से 9 मार्च 2009 को तात्कालीन वक्फ बोर्ड के सीईओ S S Ali क़ादरी से noc ली है। लेकिन तहरीक ए अवकाफ के अध्यक्ष शब्बीर अंसारी ने इस noc और मिल्कियत के फर्जीवाड़े पर सवाल उठाते हुए कई अहम खुलासे किए अंसारी ने बताया की किस तरह से वक्त की मिल्कियत की सौदेबाजी की जा रही है और इसमें खुद वक्फ बोर्ड के अदना से आला अफसरान शामिल हैं।
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सब से पहले वक्फ बोर्ड की ओर से जारी की गई इस noc के बारे में जानते हैं इसमें क्या लिखा है और किन पहलुओं को देखते हुए यह जारी की गई है।
इस noc में कहा गया है को महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड ने मुंबई हाई कोर्ट में दाखिल एक याचिका नम्बर 3107 में दिनांक 26 अक्टूबर 2007 का हवाला देते हुए महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड ने 3 अप्रैल 2008, 27 मई 2008 तथा 21 नवंबर 2008 को आयोजित बैठक में इस मामले पर विस्तार से चर्चा की गई और इस मीटिंग के जरिए महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड को मोहम्मदअली नूरभॉय बंदूकवाला ट्रस्ट को noc देने में कोई आपत्ति नहीं है।
841.98 वर्ग मीटर की यह वक्फ मिल्कियत जिसके किराएदार जिन्हें साबूवाला बिल्डिंग के रूप में जाना जाता है, उसे मेसर्स नैथानी पारेख कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड या उनके नामांकित व्यक्तियों द्वारा सहमत विचार के लिए “जैसा है जहां है” के आधार पर और बोर्ड की noc ” के लिए आवेदन को स्वीकार किया जाता है।
अब इसमें जो शर्तें हैं उसपर एक नजर डालते हैं लेनदेन के खिलाफ ट्रस्टियों द्वारा डेवलपर मेसर्स नैथानी पारेख कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड मुंबई से प्राप्त 72,50,000/- रुपये की यह रकम जिसे शब्दों में सिर्फ केवल बहत्तर हजार पचास हजार रुपये लिखा गया है यह रकम ट्रस्ट की बैंक खाते में जमा करना होगा जिसका ब्याज का उपयोग मंशा-ए-वक्फ प्राप्त करने के लिए किया जाएगा। ट्रस्टी वक्फ अधिनियम, 1995 के प्रावधानों के अनुसार हर साल 7% वक्फ फंड का भुगतान करेंगे।ट्रस्टी वक्फ बोर्ड को वक्फ फंड के रूप में 5 लाख रुपये तक का योगदान देंगे।
अब आते हैं कि आखिर यह noc कैसे दी गई किस बुनियाद पर दी गई बाद बोट ने हाइ कोर्ट की जिस याचिका का हवाला देकर जो noc दी है हमने उस याचिका के बारे में तफ्तीश की तो ओट चला कि इस याचिका का और इस वक्फ मिल्कियत का कोई संबंध ही नहीं है वक़्फ़ बोर्ड ने आंख बंद कर के इस याचिका का हवाला देते हुए इस मिल्कियत की सौदेबाजी को लेकर noc जारी कर दी। वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन समीर काजी ने इस मामले में कार्रवाई की बात कही।
जबकि वक़्फ़ के ही ऑफिसर s S Gunjan ने बताया कि इस noc को लेकर जो फैसले लिए गए उसे पास नहीं क्या गया इसके लिए उस दौरान वहां सीईओ कादरी मौजूद थे और उन्होंने कोई ऑब्जेक्शन नहीं लिया ।और बोर्ड के सदस्यों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई यह वक्फ के कानूनों की उल्लंघन करने जैसा है।और बिना किसी को पूछे सरकार को इसकी रिपोर्ट भेज दी गई यह प्रस्ताव devlopment के लिए है यह स्पष्ट ही नहीं था।उन्होंने बिना बताए इसकेनलिए टेंडर जो निकाला वह एक छोटे से लोकल अखबार में निकाला।गुंजन का जाने का इंतजार किया गया और कादरी ने noc जारी कर दी।गुंजन ने आब्जेक्शन लिया था।
अंसारी कहते हैं कि यह ट्रस्ट मोहम्मदअली नूरभॉय बंदूकवाला ने पहले तो वक्फ बोर्ड को मिलने वाले फंड दिया है लेकिन noc में बहुत बड़ी घपले बाजी है क्योंकि ss गुंजन ने मना किया था और जब वह चले गए तो कादरी ने यह noc जारी की अंसारी कहते हैं कि इसके लिए कोरम में कम से कम बोर्ड में 6 लोग का रहना जरूरी है जबकि तारिक अनवर और कादरी की मौजूदगी में यह noc दी गई जबकि बोर्ड में टू थर्ड मोजोरिटी रहना जरूरी है।बिना उसके किसी भी तरह की noc देना गैर कानूनी है।और उस से भी सब से बड़ी धोखाधड़ी यह है कि हाइ कोर्ट के जिस याचिका को बुनियाद बनाया गया वह याचिका और इस मिल्कियत का कली संबंध ही नहीं है।हमने इस बारे में नथानी कंसट्रक्शन कंपनी के ऑनर हमीद नथानी से बात की उन्होंने इस बारे में कैमरे के सामने बात करने से इनकार किया।
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