लंबे समय से मुंबई से झोपड़ों को हटाने की सरकारी मुहिम चल रही है , झोपड़पट्टी में रहने वालों को सरकारी स्कीम का फायदा मिले न मिले लेकिन इस से प्राइवेट बिल्डर लाबी ने जम कर मलाई खाई है यही वजह है कि मुंबई और मुंबई सटे इलाकों में हजारों झोपड़पट्टी धारकों की फाइलें बिल्डरों ने अपने अपने प्रोजेक्ट में शामिल कर के करोड़ों काम रहे हैं।मुंबई के ई वार्ड के अंतर्गत नागपाडा से आग्रिपड़ा रे रोड इलाकों में मौजूद झोपड़ों को बिल्डर कौड़ियों के दाम पर लेकर उसे महंगी कीमतों पर बेच रहे हैं चूंकि इन झोपड़ों की फाइलों को बिल्डर अपने प्रोजेक्ट में फ्लैट देकर उसे बाजार की कीमत पर बेच रहे हैं और सरकार से इसके लिए अलग से fsi भी ले रहे हैं मतलब साफ है कि बिल्डर दोनों हाथों से झोपड़ी की फाइलों से लूट मार कर रहे हैं।
मुंबई के मझगांव में स्थित अल्फा माना रेजिडेंसी भी इसी से झोपड़े की झोल वाली सेटिंग के कॉकटेल की जीती कहती मिसाल है यहां बीएमसी के दस्तावेजों के अनुसार 20 झोपड़ा धारकों को घर दिए गए हैं लेकिन जब हमने यहां का जायजा लिया तो पता चला कि झोपडेवालों का यहां दूर दूर तक कोई आता पता नहीं है बल्कि उन घरों में कोई और ही रह रहा है और मतलब साफ है इस प्रोजेक्ट के बिल्डरों ने झोपड़ा धारकों को टोपी दूसरों को पहना दी और बदले में मार्केट की कीमत के मुताबिक हम कर मलाई बटोरी है।
दरअसल, ए एम रेजिडेंसी के ऊपर यह आरोप लग रहा है कि बिल्डर सलीम मोटरवाला और उनके पार्टनर सुहैल इश्क़ ने बड़े पैमाने पर घोटाला किया है। अल्फा माने ग्रुप ने बीएमसी ई वार्ड को एक पत्र लिखकर अपने प्रोजेक्ट में चुने गए 20 झोपड़ा मालिकों को घर देने की इच्छा जाहिर की, और ई वार्ड ने उसे स्वीकार भी कर लिया है इन 20 झोपड़ीवासियों को घर देने के बदले बिल्डर को भारी एफ.एस.आई. मिली। लेकिन सवाल यही है कि क्या यह घर झोपड़वासियों को दिए गए हैं।
क्योंकि जो जा करी हमें मिली है उसने उस बात का खुलासा हुआ है कि जिस दिन ए एम रेजिडेंसी में नए झोपड़ा मालिकों के घर के रजिस्टर किए गए, उसी दिन उन सभी 20 झोपड़ों की फाइलों के घरों को केवल 14 लाख रुपये में बेचा बताकर बिल्डर और उनके परिवारवालों के नाम ट्रांसफर कर दिया गया, और अब यह सभी 20 घर मार्केट रेट से बेचे जा रहे हैं।इस से बिल्डर ने एक ही झटके में करोड़ों के वारे न्यारे कर लिए और fsi अलग से ले ली।अब ऐसे में अहम सवाल यह उठता है कि जिन्हें यह फ्लैट बेचे गए हैं क्या उन लोगों को यह मालूम है कि उन्होंने झोपड़े वाली स्कीम में मिले घर खरीदे या बिल्डर के घर क्योंकि कार्रवाई की जद में न केवल बिल्डर रहेगा बल्कि वह सभी लोग रहेंगे जिन्होंने झोपड़े के बदले में मिलने वाले फ्लैट खरीदे।
जिन झोपड़े में रहने वालों ने अपनी पूरी जिंदगी फुटपाथ पर बिताई है उनके झोपड़े दस से 14 लाख रुपए में खरीदकर उनके बदले में मिलने वाले घर करोड़ों के बेचे का रहे हैं और कहा जा रहा है कि इस में समाजवादी पार्टी के और बीजेपी के करीबी विधायक रईस शेख की अहम भूमिका है क्योंकि वह यहीं से कॉर्पोरेट भी थे और उससे पहले बिल्डरों के लाइज़नर रहे उन्होंने बिल्डरों को इसका फायदा पहचाने के लिए उनके झोपड़ों को औने पौने भाव में लेने और बीएमसी से सेटिंग कर बिल्डर की झोली में पहुंचाने का काम किया है इस तरह से इस इलाके से सैकड़ों झोपड़ों की बलि देकर उन्हें मुंबई से बाहर कर के उनके ही कंधे पर पैर रख कर बिल्डर,नेता और बीएमसी ने जमकर मलाई खाई है।
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