बॉम्बे लीक्स ,नई दिल्ली
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को की सज़ा सुनाने वाले जज की मुश्किलें बढ़ सकती है।सजा सुनाने वाले जज वर्मा के प्रमोशन के मामला सुप्रीम पहुँच चुका है।मोदी सरनेम पर फैसला सुनाने वाले जज वर्मा समेत 68 न्यायिक अफसरों के प्रमोशन को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 8 मई को सुनवाई करेगा। जस्टिस हरीश हसमुखभाई वर्मा ने ही 23 मार्च को ‘मोदी सरनेम’ से जुड़े मामले में राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उनकी सांसदी चली गई।हसमुख वर्मा सूरत के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट है।
गौरतलब है कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में कोर्ट के सीनियर अधिकारियों ने याचिका दायर की थी।बताया जा रहा है कि गुजरात के सीनियर सिविल जज कैडर के दो न्यायिक अफसरों, रवि कुमार मेहता और सचिन प्रजापति मेहता ने याचिका दायर की है। रवि कुमार मेहता गुजरात सरकार के लीगल डिपार्टमेंट में अंडर सेक्रेटरी के पद पर तैनात हैं। वहीं, सचिन प्रजापति मेहता गुजरात स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी में असिस्टेंट डायरेक्टर हैं। दोनों अफसरों ने अपनी याचिका में मांग की है कि हरीश हसमुखभाई वर्मा समेत 68 अफसरों के प्रमोशन को रद्द किया जाए और नए सिरे से मेरिट कम सिनियॉरिटी आधार पर लिस्ट तैयार की जाए।बता दें कि गुजरात हाईकोर्ट ने 10 मार्च 2023 को एक नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके मुताबिक हरीश हसमुख भाई वर्मा समेत कुल 68 जजों को ड्रिस्ट्रिक्ट जज कैडर में प्रमोट किया है। ये 68 जज, 65% प्रमोशन कोटा के तहत आयोजित परीक्षा में शामिल हुए थे और सफल रहे। हरीश हसमुखभाई वर्मा की बात करें तो उन्हें 200 अंकों की इस परीक्षा में 127 अंक मिले थे और सीनियर सिविल जज से डिस्ट्रिक्ट जज कैडर में प्रमोशन के योग्य पाए गए थे।याचिका में दावा किया गया है कि कई ऐसे अभ्यर्थी हैं जिन्होंने प्रमोशन के लिए हुई परीक्षा में ज्यादा अंक हासिल किये, लेकिन उनका सेलेक्शन नहीं हुआ। बल्कि उनसे कम अंक हासिल करने वाले कैंडिडेट को प्रमोट कर दिया गया है। आपको बता दें कि हरीश हसमुखभाई वर्मा का प्रमोशन के बाद ट्रांसफर भी कर दिया गया था और उन्हें राजकोट जिला न्यायालय में एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज नियुक्त किया गया है।शंका वाली बात यह है कि मार्च वाले नोटिफिकेशन से करीब ढाई महीने पहले, 29 दिसंबर, 2022 को जारी एक गैजेट नोटिफिकेशन के मुताबिक हरीश हसमुख भाई वर्मा को एडिशनल सीनियर सिविल जज व एडिशनल चीफ ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट से चीफ ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट व एडिशनल सीनियर सिविल जज के तौर पर प्रमोट किया गया था।हरीश हसमुख भाई वर्मा मूल रूप से गुजरात के वडोदरा के ही रहने वाले हैं। उन्होंने कानून (एलएलबी) की पढ़ाई गुजरात के बहुचर्चित महाराजा सयाजीराव कॉलेज से की है। 43 वर्षीय हरीश हसमुखभाई वर्मा एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद ज्यूडिशियल सर्विस में आए। जस्टिस वर्मा के पिता भी दिग्गज वकील रहे हैं। न्यायिक गलियारों में जस्टिस वर्मा की गिनती तेज-तर्रार जज के तौर पर होती है। वह समय के काफी पाबंद माने जाते हैं।
Post View : 58321