मुंबई: साउथ मुंबई के कॉटन ग्रीन स्थित घोडपदेव इलाके के म्हाडा बिल्डिंग में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। माहिम पुलिस स्टेशन ने फैयाज़ अंसारी नामक व्यक्ति के खिलाफ म्हाडा फ्लैट को फर्जी और डुप्लिकेट दस्तावेजों के ज़रिए बेचने और लोगों से पैसे वसूलने के आरोप में मामला दर्ज किया है। इस मामले में FIR नंबर 219/2025 के तहत भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएं 318(4), 336, 338, 339 और 34 लगाई गई हैं।
आरोपी फैयाज़ अंसारी पर आरोप है कि उसने म्हाडा के नियमों को पूरी तरह दरकिनार कर सरकारी योजना के तहत बने फ्लैट को ऐसे बेचा जैसे वह उसका निजी मकान हो। लोगों को भरोसे में लेने के लिए उसने म्हाडा के नकली अलॉटमेंट लेटर और अन्य दस्तावेज तैयार किए, और उनसे मोटी रकम वसूल कर सपनों का घर बेचने का झांसा दिया।
म्हाडा की नियमों के मुताबिक, किसी भी आवंटित फ्लैट को एक निश्चित अवधि (अक्सर 5 साल की लॉक-इन अवधि) के भीतर बेचना कानूनी रूप से मना है। लेकिन आरोपी ने इन सभी नियमों को ठेंगा दिखाते हुए पूरे आत्मविश्वास के साथ म्हाडा आवंटित फ्लैट को प्राइवेट प्रॉपर्टी की तरह बेचने का खेल रच डाला।
इस घोटाले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, यह घोटाला केवल एक-दो सौदों तक सीमित नहीं है, बल्कि कई लोगों को इसी तरह ठगा गया है। जांच एजेंसियों को आशंका है कि इस गिरोह में और भी लोग शामिल हो सकते हैं, और आने वाले दिनों में नए खुलासे हो सकते हैं।
फिलहाल पुलिस इस बात की भी पड़ताल कर रही है कि आरोपी ने कितने लोगों से पैसे लिए, किन-किन दस्तावेजों का इस्तेमाल किया, और क्या इस पूरे प्रकरण में कोई सरकारी कर्मचारी भी शामिल है।
सवाल यह भी उठता है कि आखिर फैयाज़ अंसारी जैसे लोग इतनी आसानी से सरकारी योजनाओं का फायदा उठाकर आम जनता को कैसे धोखा दे रहे हैं? म्हाडा जैसी प्रतिष्ठित संस्था के नाम पर ठगी करना कोई आम बात नहीं है, और ऐसे में यह मामला पूरे सिस्टम की सतर्कता पर भी सवाल खड़े करता है।
पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी म्हाडा फ्लैट की खरीदारी से पहले उसकी कानूनी स्थिति की पूरी जानकारी लें और ऐसे किसी एजेंट या व्यक्ति के झांसे में न आएं जो सरकारी फ्लैट को निजी सौदा बताकर पैसे मांगता हो।
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