मुंबई: मुंबई के बांद्रा कोर्ट में लीलावती हॉस्पिटल के ट्रस्टियों द्वारा दर्ज कराए गए केस के सिलसले में सुनवाओ थी कोट ने कोर्ट ने इस बारे में याचिकर्ताओं से पूछा कि इस बारे में क्या जानते हो कोर्ट के पूछे जाने के बाद लीलावती हॉस्पिटल ने दो अपने ही लोगों को कोर्ट के समक्ष पेश किया और उनकी गवाही भी दर्ज हुई इनमें से एक प्राइवेट कोट्रेक्टर है जबकि दूसरा लीलावती में ही कार्यत इंजिनियर है।
बयान में बताया गया कि प्रशांत मेहता की तबियत खराब रहती थी उनकी मां चारु मेहता ने कहा कि उनकी केबिन की मरम्मत की जाए उन लोगों ने 21 सितंबर 2023 को रिपेयरिंग का काम शुरू किया तो उन्हें 8 कलश मिले कूह कलश में चावल ,कुछ सफेद पावडर , थे कुछ बाल भी थे।जबकि प्राइवेट कोट्रेक्टर ने अपने बयान इससे ।उल्टे जुलता बयान दिया उसने यह भी हॉस्पिटल के जरिए उसका पांच भी करवाया गया राजेश मेहता को 8 कलश सौंप दिए गए उसकी फोटो और वीडियो ग्राफी भी कराई गई वह उनके ही कब्जे में है ।
https://youtu.be/lCrwpOCJhoY?si=d5WpJo0SJbnAy0c4
इन दोनों बयानों के बाद आप अंदाजा लगाइए कि इन दोनों में इंसानी हड्डियों का कोई जिक्र नहीं जिसका जिक्र परमबीर ने इस हियरिंग से महज दो दिन पहले कहकर मीडिया में वैसी ही सुर्खियां बटोरी जैसे एंटीलिया की कहानी रची है जो बाद में झूठी साबित हुई और उनके पंटर सचिन वजे जो उस वक्त मजे ले रहे थे बाद में इसी फर्जी कहानी और मनसुख के मर्डर करने के बाद सलाखों के पीछे पहुंच गए। कहा जाता है कि सुनवाई से दो दिन पहले इस तरह की कहानी और प्रेस कांफ्रेंस का मतलब यह होता है कि मीडिया में फर्जी कहानियों टिचकी देकर कैसे सुर्खियां बटोरी जाएं जिससे जुडिशरी पर दबाव बनाया जा सके हालांकि पुलिस थाने में यह दबाव बनाने में अबतक पम्मो नाकाम रहे ।
दूसरी अहम बात यह सब कुछ हुआ लेकिन यह पंचनामा और बाकी जो भी ढकोसले बाजी की गई उसमें मुंबई पुलिस का कोई रोल या दखल नहीं रहा है मानो ऐसा लगता है कि हॉस्पिटल के साथ साथ इनकी खुद की न्याय संहिता है जो सब कुछ खुद ही कर रहे।
परमबीर ने प्रेस कांफ्रेंस में ऐसा बताने की कोशिश की जैसे वह अभी पुलिस कमिश्नर हैं और जो भी प्रक्रिया हुई वह भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत हुई जबकि ऐसा कुछ नहीं ।उन्होंने अपने बयान में जगह खोदने की बात की जबकि गवाहों का बयान उनके बयान से मैच नहीं खाता अब इससे परमबीर की कहानी और गवाहों के बयान मेल नहीं खाते या यह कहें कि कहानी की मशक उन्हें सही से नहीं कराई गई बिल्कुल वैसे ही जैसे एंटीलिया की कहानी में झोल था और इस झोल को झट से तत्कालीन डीसीपी एटीएस शिवदीप लांडे ने पकड़ लिया।
लेकिन मीडिया में दोनों गुरु और चेले ने जगह लंबे वक्त तक इन फर्जी कहानियों को गढ़ कर बना ली थी बल्कि इस पुरी साजिश का मुख्य किरदार और पम्मो के पंटर ने तो इस साजिश पर पर्दा डालने के लिए एक रिपोर्टर को ही बलि का बकरा बनाने की ठान ली थी लेकिन उससे पहले सचिन वजे की ही कहानी का पर्दा फाश हुआ और वह किसी और को अपनी कहानी किरदार बनाता वह खुद असल हकीकत का विलन साबित हुआ और आज सलाखों के पीछे है।
अब सुनाते हैं लीलावती हॉसपिटल की लूट की कहानी यह कहानी लंबे समय से चल रही है लेकिन ब्लैक मैजिक की यह कहानी कुछ नई थी जिसने मीडिया में अपनी जगह भी बना ली यानी तीर सही जगह लगा अब कोर्ट में यह कहानी टिक पाएगी यह एंटीलिया के जैसे ही टॉय टॉय फिश होजाएगी यह देखने वाली बात होगी।क्योंकि मुंबई पुलिस ने पम्मो के फर्जी और मनगढ़ंत कहानियों से वाकिफ है इसलिए इन्हें ज्यादा अहमियत नहीं दी गई हालांकि 3 फरवरी को बांद्रा पुलिस ने इस फिल्मी कहानी का ऑपरेशन करने के लिए 4 फरवरी कोनलीलवरी हॉस्पिटल के ट्रस्टी को तलब किया था उनसे वह सामग्री भी मांगी थी लेकिन पुलिस ने इस कहानी पर विश्वास नहीं किया यही वजह है कि यह मामला दर्ज कराने में नाकाम साबित हुए।
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