बॉम्बे लीक्स ,महाराष्ट्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पुणे में लोकमान्य तिलक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मोदी को पुणेरी पगड़ी और उप्रणम देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार भी मौजूद रहे। एनसीपी में फूट के बाद पहली बार उपमुख्यमंत्री अजित पवार और शरद पवार एक साथ आए। इस मौके पर बोलते हुए शरद पवार ने अजित दादा का भी नाम लिया।शरद पवार के एनडीए के साथ मंच साझा किए जाने पर तमाम तरह के सियासी कयास लगने लगे है।
गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी को मंगलवार को पुणे में तिलक स्मारक ट्रस्ट की ओर लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। खास बात ये रही कि विपक्षी एकता की कवायद और एनसीपी में फूट के बीच शरद पवार भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बने और उन्होंने पीएम मोदी के साथ मंच साझा किया। इस दौरान दोनों नेताओं ने एक दूसरे का हालचाल भी लिया। हालांकि, पुरस्कार ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी दीपक तिलक के हाथों दिया गया।इस दौरान पीएम मोदी ने अवार्ड की राशि को नमामि गंगे योजना में देने का ऐलान किया।वहीं कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाथ मिलाने के दौरान एनसीपी के नेता शरद पवार में उनकी पीठ पर हाथ रखा। पीठ पर हाथ रखे जाने के बाद महाराष्ट्र सियासी गलियारों में तमाम तरह की चर्चाएं और हलचल होने लगीं। सियासी जानकारों का मानना है कि शरद पवार ने पीएम की पीठ पर यूं ही हाथ नहीं रखा है। शरद पवार की प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर उनके सहयोगी संगठन उद्धव ठाकरे की शिवसेना पहले से ही विरोध विरोध कर रही थी। बावजूद इसके अब जब शरद पवार ने इस कार्यक्रम में पवार ने शिरकत की और पीएम मोदी की पीठ पर हाथ रखा तो महाराष्ट्र की सियासत में फिर से एक बार सियासी हलचल मच गई है।दरअसल, शिवसेना शुरुआत से यह कहती आ रही थी कि शरद पवार को इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होना चाहिए। शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के नेता संजय राउत कहते हैं कि मंच साझा करने से संदेश गलत जाने की सबसे ज्यादा संभावनाएं हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में पीठ पर हाथ रखने की घटना को सामान्य से ज्यादा सियासी तौर पर देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषक तरुण तलपड़े कहते हैं कि महाराष्ट्र की सियासत में यह लगातार चर्चाएं होती रहती है कि कहीं ऐसा न हो कि शरद पवार सियासी लड़ाई में कहीं न कहीं अंत तक अपने भतीजे अजीत पवार के साथ आ जाएं। उसके पीछे का तर्क देते हुए तलपड़े कहते हैं कि हाल में ही अजीत पवार और उनके साथ गए एनसीपी के विधायक जब शरद पवार से मिलने गए थे तो अजीत पवार ने शरद पवार से आशीर्वाद देने और उनके साथ बने रहने की गुजारिश की थी।
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