बॉम्बे लीक्स , राजस्थान
राजस्थान में चुनावी माहौल के बीच सचिन पायलट कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किलें बनते जा रहे है।ऐसे में अहम सवाल खड़ा होता है कि क्या सचिन पायलट राजस्थान में कांग्रेस के लिये पंजाब के नवजोत सिंह सिध्धु साबित होंगे।हालांकि पायलट भी एक।मंझे हुए राजनेता की तरह फूंक फूंककर बयान और कदम बढ़ा रहे है।
गौरतलब है कि सचिन पायलट की ओर से तीन प्रमुख मांगों को लेकर गहलोत सरकार को दिया गया अल्टीमेटम समाप्त होने को है। पायलट द्वारा दी गई अल्टीमेटम की अवधि 31 मई को पूसमाप्त हो रही है।तो वहीं हालात को देखते हुए नहीं लग रहा है, कि गहलोत सरकार पायलट के अल्टीमेटम को लेकर गंभीर है।और अगर ऐसा नही हुआ तो मान लीजिए आगामी 31 मई के बाद राजस्थान का सियासी समीकरण बदल सकता है।सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट और प्रदेश में होने वाले चुनाव को लेकर रणनीति तय करने को लेकर बातचीत के लिए गहलोत को 29 तारीख को दिल्ली आना है।जबकिं इससे पहले 27 तारीख को गहलोत को दिल्ली जाना था लेकिन उनका दौरा कथित तौर पर खराब तबीयत के कारण रद्द कर दिया गया। अपने दिल्ली दौरे के दौरान अशोक गहलोत पार्टी अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे से मिलेंगे।जानकारी के मुताबिक पार्टी नेतृत्व सचिन पायलट को अलग से बातचीत के लिए बुला सकता है।वहीं अशोक गहलोत की ओर से पायलट को लेकर दिए गए ‘बुद्धि के दिवालियापन’ के बयान से सियासी लड़ाई में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है।देखा जाए तो दिल्ली में गहलोत और पायलट की सुलह को लेकर 26 मई को होने वाली बैठक भी स्थगित हो गई। इस बैठक के स्थगित होने के बाद लोगों के बीच यह चर्चा है कि 31 मई तक अगर पायलट की बातों को नहीं माना गया तो वह क्या कदम उठाएंगे।11 मई को सचिन ने अजमेर से जन संघर्ष यात्रा शुरू की थी। इस यात्रा के समापन पर पायलट ने जयपुर में अपने तीन प्रमुख मुद्दों को उठाते हुए गहलोत सरकार को 31 मई तक का अल्टीमेटम दिया था। इसमें आरपीएससी बोर्ड को भंग कर पुनर्गठित करने, वसुंधरा सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार मामलों की जांच करवाने और पेपर लीक मामले में पीड़ित युवाओं को आर्थिक मुआवजा दिलवाने की मांग उठाई थी। इस दौरान पायलट ने जनसभा में गहलोत को खुली चुनौती देते हुए कहा कि यदि उनकी मांगे 31 मई तक नहीं मानी गई तो, पूरे प्रदेश में आंदोलन किया जाएगा। हालांकि पायलट की चेतावनी के बाद कांग्रेस आलाकमान भी परेशान नजर आया। इसको लेकर आलाकमान का नजरिया पायलट को लेकर कुछ हद तक नरम भी दिखा।दरअसलकांग्रेस हर संभव कोशिश में है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच संतुलन बनाकर राजस्थान विधानसभा चुनाव में उतरे, ताकि पार्टी को सियासी नुकसान न हो सके।इसके लिए दोनों नेताओं की दिल्ली में आलाकमान के साथ अलग-अलग बैटकें होनी हैं। गहलोत ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि हम मानते हैं कि पूरी कांग्रेस एकजुट होकर लड़ेगी और हम चुनाव जीतकर आएंगे।
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