बॉम्बे लीक्स ,बिहार
एक तरफ जहां नीतीश कुमार विपक्षी एकता की तरफ कदम बढ़ा रहे है तो वही दूसरी तरफ बिहार सरकार में महागठबंधन का हिस्सा रहे जीतनराम मांझी की पार्टी के विधायक ने एनडीए के दामन थामते के संकेत देते हुए मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।वही अब सीएम नीतीश ने कहा है कि कैबिनेट में SC-ST कल्याण मंत्री और जीतन राम मांझी के बेटे डॉ. संतोष सुमन ने खुद से इस्तीफा नहीं दिया था।बल्कि मैन स्वयं उनसे इस्तीफा लिया था।सीएम नीतीश कुमार ने शुक्रवार खुद इस बात का खुलासा किया कि अगर वे विपक्षी एकता की बैठक में रहते तो मुखबिरी करते, यहां की रणनीति बीजेपी को जाकर बता देते।
गौरतलब है कि हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी लगातार महागठबंधन के खिलाफ बयान दे रहे थे। महागठबंधन के नेताओं को यह रास नहीं आ रहा था कि मांझी विपक्षी एकता की बैठक से पहले सीट बंटवारे की बात अभी से क्यों कर रहे हैं।मांझी अपने इलाके के विकास के लिए भाजपा नेता और गृह मंत्री अमित शाह से क्यों मिलने गए थे? महागठबंधन के नेताओं को यह बात भी पच नहीं रही थी।जीतन राम मांझी पर जदयू ने पैनी निगाह रखी थी। यह लगाया गया कि आखिर वह किसके इशारे पर यह सब कर रहे हैं। जब पता चला कि मांझी बड़े गेम में शामिल हैं तो जदयू के नीचे से जमीन खिसक गई। इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संतोष सुमन मांझी का इस्तीफा लेना ही बेहतर समझा।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मांझी ने अपनी पार्टी के लिए 5 सीटों की मांग रख दी थी।मांझी की इस मांग को लेकर बिहार का महागठबंधन असमंजस में था। ऐसे में विपक्षी एकता की बैठक से पहले जीतन राम मांझी के यह बोल महागठबंधन के नेताओं को ज्यादा रास नहीं आ रहे थे।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दूसरी बात तब पता चली, जब मांझी पर जदयू ने पैनी नजर रखना शुरू किया। इस दौरान पता चला कि महागठबंधन और विपक्षी एकता की होने वाली हर खबर भाजपा आलाकमान के पास जा रही है। महागठबंधन की हर गुप्त बैठक की खबर भाजपा नेताओं को लग जाती थी। अंदर क्या कुछ होता था, वह बाहर पता चल जाता था।मुख्यमंत्री जब भी मीटिंग करते थे, तमाम नेताओं के मोबाइल बाहर रखने का निर्देश दे दिया जाता था। कोई भी गजट सीएम हाउस ले जाने की मनाही होती थी। इसके बावजूद भी बात भाजपा तक पहुंच जाती थी। जदयू की जांच में पता चला कि हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा की तरफ से यह बातें लीक की जा रही हैं।नीतीश कुमार को तीसरा झटका तब लगा, जब उन्हें पता चला कि मंत्री संतोष सुमन 23 जून को ही इस्तीफा देने वाले हैं। उस दिन ही पटना में विपक्षी एकता की बैठक होने वाली थी। बैठक के पूरे स्वरूप को खराब करने और उसके मैसेज को लोगों तक न पहुंचने देने के लिए यह बड़ा दांव जीतन राम मांझी ने खेलना चाहा था।वहीं दो दिन में बिहार महागठबंधन की तस्वीर एकदम साफ हो गई है। नीतीश ने सबसे पहले संतोष सुमन का इस्तीफा स्वीकार किया। उसके बाद जदयू कोर्ट से रत्नेश सादा को नया मंत्री भी बना दिया और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी को भेदिया बताकर बड़ा हमला भी बोला है।नीतीश कुमार ने कहा, मैंने बोला था कि वो या तो जदयू में अपनी पार्टी का विलय करें या फिर यहां से जाएं। नीतीश ने मांझी पर भेदिया होने की तरफ इशारा किया और कहा, वो बीजेपी वालों से मिलते जा रहे थे।ठीक हुआ, हमसे अलग हो गए।अभी विपक्षी दलों की बैठक होनी है।अगर वो इस मीटिंग में बैठते तो अंदर की बात बीजेपी को पास कर देते।अच्छा हुआ कि वे हमारे पास से चले गए।वहीं बीजेपी से मिलने के बयान पर जीतनराम मांझी ने नीतीश कुमार पर पलटवार किया है। मांझी ने पूछा- कोई प्रमाण है क्या नीतीश कुमार के पास कि हम बीजेपी से मिलते थे। क्या नीतीश ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार नहीं बनाई है। उन्होंने कहा, वो तेजस्वी यादव को लॉलीपॉप दिखा रहे हैं।खुद एनडीए (बीजेपी गठबंधन) से मिल जाएंगे लेकिन तेजस्वी यादव को सीएम नही बनाएंगे।
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