बॉम्बे लीक्स ,दिल्ली
दिल्ली सेवा विधेयक को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है. अब यह दिल्ली में कानून बन गया है। भारत सरकार के नोटिफिकेशन में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम 2023 को लागू करने की जानकारी दी गई है।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 1 अगस्त को संसद में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश किया था।यह कानून राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर अध्यादेश की जगह लेगा।इनमें से कम से कम दो विधेयक, जो अब कानून बन गए हैं का विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध किया था।
गौरतलब है कि दिल्ली सेवा विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है। इसी के साथ अब यह कानून बन गया है। भारत सरकार की अधिसूचना में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम 2023 को लागू करने की जानकारी दी गई है। इससे पहले सरकार ने सात अगस्त को संसद से दिल्ली सेवा विधेयक पारित हो गया था। राज्यसभा ने 102 के मुकाबले 131 मतों से ‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2023’ को मंजूरी दी थी। लोकसभा ने इसे तीन अगस्त को पास कर दिया था।जो कानून लागू हो गए हैं, उनमें जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) अधिनियम, 2023; राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2023; डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023; जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम, 2023 शामिल हैं। इनमें भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) अधिनियम, 2023; राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2023 और अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023 भी शामिल हैं।इन अधिनियमों से संबंधित गजट अधिसूचना जारी कर दी गयी है।पिछले सप्ताह भी, संसद द्वारा पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी दिए जाने के बाद सात नए कानून प्रभावी हो गए।ये कानून थे- खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023; सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) अधिनियम, 2023, वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2023। इसके अलावा, इनमें संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 2023; संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) अधिनियम, 2023; बहु राज्य सहकारी सोसायटी संशोधन अधिनियम 2023 और जैविक विविधता (संशोधन) अधिनियम, 2023 भी शामिल हैं।
बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने सरकार के प्रस्तावित कानून का बचाव किया था. उन्होंनें कहा था कि ‘यह अध्यादेश सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को संदर्भित करता है जो कहता है कि संसद को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से जुड़े किसी भी मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार है। संविधान में ऐसे प्रावधान हैं जो केंद्र को दिल्ली के लिए कानून बनाने की अनुमति देते हैं। इससे पहले केंद्र और अरविंद केजरीवाल सरकार के बीच आठ साल तक चली खींचतान के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि चुनी हुई सरकार दिल्ली की बॉस है।विधेयक को लेकर 131 सांसदो ने पक्ष में और 102 सांसदों ने विपक्ष में मतदान किया था।आम आदमी पार्टी के नेता राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल सहित कई बड़े नेता जैसे संजय सिंह, राघव चढ्डा ने यह दावा किया था कि यह बिल राज्यसभा में विपक्षी दलों की एकजुटता के सामने नहीं टिक पाएगा। केजरीवाल ने इस बिल के समर्थन में कई राज्यों का दौरा कर विपक्षी पार्टियों से सहयोग मांगा था।
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