
बॉम्बे लीक्स ,दिल्ली
मोदी सरनेम मामले में दोषी करार दिए गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। राहुल ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है।जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने इस मामले में गुजरात सरकार, पूर्णेश मोदी और अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर दस दिनों में जवाब देने को कहा है। वहीं पूर्णेश मोदी के वीकल महेश जेठमलानी ने कहा कि मुझे जवाब दाखिल करने के लिए 3 हफ्ते का वक्त चाहिए। इस पर जस्टिस गवई ने कहा- मैं नहीं समझता कि जवाब उत्तर दाखिल करने की जरूरत है।कोर्ट का ऑर्डर 150 पेज का है। अब इस मामले में चार अगस्त को अगली सुनवाई होगी।
गौरतलब है कि 2019 में राहुल ने प्रधानमंत्री मोदी आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी और भगोड़े कारोबारी नीरव मोदी की तुलना करते हुए विवादित बयान दिया था।बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने इसके खिलाफ गुजरात के सूरत की कोर्ट में आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि उन्होंने मोदी नाम वाले सभी लोगों को चोर बताया है। इस साल 25 मार्च को सूरत के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (CJM) ने माना कि एक अनुभवी नेता और सांसद होने के नाते राहुल को एक पूरे वर्ग को अपमानित करने वाला बयान नहीं देना चाहिए था।CJM ने राहुल को IPC की धारा 500 के तहत 2 साल की सज़ा दी।वहीं गुजरात हाई कोर्ट से राहत न मिलने के चलते सुप्रीम कोर्ट पहुंचे राहुल की याचिका आज जस्टिस बी आर गवई और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच में सुनवाई के लिए लगी सुनवाई की शुरुआत में जस्टिस गवई ने कहा कि उनके पिता के कांग्रेस पार्टी से करीबी संबंध थे। उनके भाई आज भी कांग्रेस के सदस्य हैं। ऐसे में दोनों पक्षों के वकील बताएं कि उन्हें सुनवाई करनी चाहिए या नहीं।पूर्णेश मोदी के लिए पेश वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि उन्हें इस ओर कोई आपत्ति नहीं।राहुल गांधी के लिए पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने भी जेठमलानी से सहमति जताई। इसके बाद कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए सुनवाई की अगली तारीख तय कर दी।दरअसल, जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(1) के तहत किसी मामले में 2 साल या उससे अधिक की सज़ा पाने वाला व्यक्ति सांसद या विधायक पद के अयोग्य हो जाता है।इतना ही नहीं, सज़ायाफ्ता व्यक्ति सज़ा पूरी होने के 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता।इस चलते राहुल न सिर्फ संसद से बाहर हो गए हैं, बल्कि अगले कई सालों तक चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य हो गए हैं।सीजेएम ने राहुल को अपील करने के लिए 30 दिन का समय देते हुए उनकी सज़ा स्थगित कर दी।इस वजह से राहुल को जेल नहीं जाना पड़ा।बाद में सूरत की सेशंस कोर्ट ने राहुल की अपील पर सुनवाई करते हुए उन्हें नियमित ज़मानत दे दी। उनकी अपील अभी भी सेशंस कोर्ट में लंबित है। इसके बाद भी राहुल के हाई कोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने की वजह है उनकी संसद सदस्यता।
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