बॉम्बे लीक्स ,बिहार
23 जून को पटना में आयोजित होने जा रही विपक्षी दलों की महाबैठक पर सबकी निगाहें लगी है।तो वहीं बैठक से पहले नीतीश कुमार की मुहीम को झटके पर झटका लग रहा है।बैठक से पहले ही या तो नीतीश कैबिनेट के मंत्री सरकार का साथ छोड़ रहे है तो दूसरी तरफ विपक्षी एकता की बैठक को लेकर अब टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने नीतीश के सामने कांग्रेस को लेकर बड़ी शर्त रख दिया है।ऐसे में भाजपा के खिलाफ सीएम नीतीश कुमार के एकजुटता की पहल पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है।
गौरतलब है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की कवायद में जुटे हुये है।इसी क्रम में नीतीश ने बिहार में विपक्षी एकता की बड़ी बैठक 23 जून को रखी है।इस महागठबंधन की बैठक में भाजपा के विरोधी दलों को आमंत्रित किया गया है।लेकिन बैठक से पहले ममता बनर्जी ने बड़ी शर्त रख दी है।ममता ने नीतीश के माध्यम से बयान जारी किया है कि कांग्रेस अगर बंगाल में सीपीएम के साथ चुनाव लड़ेगी तो वह भाजपा के खिलाफ उनके समर्थन की उम्मीद न करें।ममता के मुताबिक कांग्रेस तो बहुत राज्यों में रही है। ऐसे में वे बंगाल में हमारी शर्त पर चले।कहा कि अगर कांग्रेस संसद में हमारा सहयोग चाहती है तो हम भाजपा के खिलाफ उनका साथ देने को तैयार हैं लेकिन बंगाल में CPI(M) से हाथ मिलाने के बाद आप हमसे सहयोग की उम्मीद मत करें।टीएमसी चीफ ने कहा कि कांग्रेस बीजेपी की गोद में बैठी है और बीजेपी कांग्रेस की गोद में। ममता बनर्जी ने कहा, ”अगर कांग्रेस पश्चिम बंगाल में बीजेपी से तालमेल करती है।तो उसे राज्य में हमसे समर्थन की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।बता दें कि बंगाल पंचायत चुनाव में कांग्रेस ने सीपीआई(एम) के साथ गठबंधन किया है।इसका ऐलान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने किया था।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पटना में जिस महाबैठक की पहल खुद ममता बनर्जी ने की थी, वे हीं इससे गायब रहेंगी तो अन्य विपक्षी पार्टियों के बीच संदेश को लेकर संशय बरकरार हो गया है।ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या कांग्रेस ममता दीदी की शर्त मानकर केंद्र की सत्ता पाने के लिए बंगाल में टीएमसी से समझौते करेगी।हालांकि कयास यह भी लगाए जा रहे है कि इस बैठक में ममता स्वयं न शामिल होकर पार्टी के किसी अन्य नेता को महाबैठक में भेजने की योजना पर काम कर सकती है। हालांकि, नीतीश कुमार ने पहले ही सभी विपक्षी दलों को दो टूक कह दिया है कि बैठक में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का होना जरूरी है।
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