बॉम्बे लीक्स,दिल्ली
बिहार में हुई 23 जून की विपक्षी एकता की बैठक के बाद अब बेंगलुरू में बैठक होने जा रही है।बताया जा रहा है कि इस बैठक में दो दर्जन से अधिक दल इस बैठक में हिस्सेदार होंगे। बैंगलोर में होने जा रही इस बैठक का संयोजन कांग्रेस से है।ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बैठक से कितने खुश हो रहे होंगे,इस बात का कयास सियासी गलियारों में ज़ोर पकड़ रहा है।क्योंकि इस बैठक में स्वयं संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यूपीए की संयोजक और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी शामिल होंगी।
गौरतलब है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को मजबूत चुनौती देने के लिए विपक्षी एकजुटता को विस्तार देने की जवाबी रणनीति अपनायी है। इस क्रम में बेंगलुरू में होने वाली विपक्षी एकजुटता की बैठक में 24 दलों को आमंत्रित कर विपक्ष के राष्ट्रीय फलक को बढ़ाने का फैसला किया गया है।वहीं स्वास्थ्य वजहों से अपनी राजनीतिक सक्रियता को काफी सीमित कर चुकीं सोनिया गांधी पहली बार विपक्षी एकता से जुड़ी किसी पहल में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होंगी। 18 जुलाई को विपक्ष के तमाम नेता अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा को शिकस्त देने के लिए साझा रणनीति और स्वरूप के विकल्पों पर गहन विचार विमर्श करेंगे।एमडीएमके, फारर्वड ब्लॉक,आरएसपी और आईयूएमएल समेत आठ ऐसे दलों को बेंगलुरू बैठक में निमंत्रण दिया गया है, बता दें कि यह वो पार्टियां है जिन्हें पटना में विपक्षी एकता की पहली बैठक में नहीं बुलाया गया था। विपक्षी राजनीति की सरगर्मियों को और गंभीरता देने के लिए संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी भी बेंगलुरू की बैठक में शामिल होंगी।विपक्षी एकता की इस बैठक में ऐसे दलों को ही न्यौता दिया गया है जो प्रत्यक्ष रूप से भाजपा की राजनीतिक शैली और विचारधारा के खिलाफ मैदान में खड़े होते हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर पटना में 23 जून को हुई पहली बैठक में 16 दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया था और 15 पार्टियों के नेता इसमें शामिल हुए थे।जनता दल यूनाईटेड (JDU) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बेंगलुरू की बैठक के लिए बुलावा आ चुका है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह भी नीतीश के साथ जाएंगे। जदयू से और एक मंत्री का नाम संभव है। दूसरी तरफ राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का नाम पक्का हो चुका है। पार्टी की तरफ से एक और नेता जाएंगे और ज्यादा संभावना मनोज झा के नाम की है। 23 जून को पटना में हुई बैठक का संयोजन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था, हालांकि कई नेताओं को पटना बुला लाने में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की अहम भूमिका रही थी। ऐसे में सोनिया द्वारा विपक्षी एकता की बैठक का संयोजन करना नीतीश कुमार के लिए कांटों भरा ताज हो सकता है।।
पटना में हुई बैठक में फैसला हुआ था कि अगली बैठक का संयोजन कांग्रेस करेगी। पटना में हुई बैठक के दौरान कई नेताओं ने इस बैठक के आयोजन के लिए नीतीश कुमार को बधाई के साथ धन्यवाद दिया था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘बैठक के संयोजक’ शब्द का इस्तेमाल भी किया, हालांकि उम्मीद से उलट इस बैठक के बाद मीडिया के सामने संयोजक पद पर नाम को लेकर घोषणा नहीं की गई। नीतीश इस नाम के हकदार थे। लेकिन, घोषणा नहीं हुई। तभी यह आशंका थी कि अगली बैठक में कुछ तो होगा। क्या होगा, इसकी भनक अब बिहार पहुंच गई है। भाजपा के खिलाफ चल रहे मौजूदा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सर्वेसर्वा सोनिया गांधी भी कांग्रेस के संयोजन से बेंगलुरू में प्रस्तावित बैठक में शामिल हो रही हैं। सोनिया पहले से भाजपा विरोधी दलों के गठबंधन की चेयरपर्सन हैं।वहीं पटना आने में राहुल गांधी भी हिचकिचा रहे थे, लेकिन अहम सवाल अब यह है कि अब जब सोनिया बैंगलोर में विपक्षी एकता का संयोजन करेंगी तो जदयू और नीतीश कुमार की अगली रणनीति क्या होगी।
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