मुंबई : हर बार की तरह इस बार भी मुंबई पुलिस कमिश्नर संजय बर्वे गैंग ऑफ़ वासेपुर के चंगुल से बच निकले और जो आरोप उन पर लगे लगे थे उससे वह बरी हो गए क्योंकि बर्वे पर जो आरोप लगे थे उनको लेकर राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने खुद साफ़ कर दिया कि उनके बेटे और उनकी पत्नी की जो कंपनी थी को जो ठेका दिया गया था वह नियम और कानून के दाएरे में रहकर दिया गया वह भी पहले की सरकार के होते हुए उन्हें सरकार ने उस प्रोजेक्ट को शुरु करने की अमुमति दी थी।
गृह मंत्री अनिल देशमुख के इस बयान के बाद गैंग आफ़ वासेपुर को मुंह की खानी पड़ी क्योंकि बर्वे के रिटाएर्ड होने से पहले गैंग आफ़ वासेपुर का आखिरी दांव था जिससे हमेशा की तरह वह इस बार भी बच निकले और गैंग आफ़ वासेपुर को मुंह की खानी पड़ी।
चूंकि मुंबई बाग की महिलाओं और गृह मंत्री की मीटिंग थी जिसमें सीपी मुंबई ज्वाइंट सीपी ला ऐंड आर्डर को शामिल होना था यहां भी गैंग आफ़ वासेपुर ने हवा उड़ाई की बर्वे को तलब किया गया है जबकि सच्चाई यह थी कि उन्हें मुंबई बाग की महिलाओं के साथ बातचीत के लिए बुलाया गया था।
दरअसल डी कंपनी के खिलाफ हालिया कार्रवाई को लेकर बर्वे और क्राइम ब्रांच के ज्वाइंट सीपी को लेकर गैंग आफ़ वासेपुर में ज़बरदस्त नारज़गी पाई जा रही है क्योंकि मुंबई में बीते कई सालों से जिस आईपीएस अफसर की पुश्तपनाही में डी गैंग के गुर्गों ने मुंबई में आतंक मचा रखा था उन सब की धड़ा धड़ा गिरफ्तारियां शुरु हुई और उस गिरफ्तारी में एजाज लकड़ावाला को काफी अहम माना जाता है।
लकड़ावाला की गिरफ्तारी के बाद ही उस गैंग से जुड़े सारे गुर्गों की कुंडली क्राइम ब्रांच तक पहुंची और डी कंपनी के वह सारे लोग जिन का ठिकाना कभी मुंबई पुलिस कमिश्नर आफिस में बैठे उस अफसर का कार्यालय होता था जो अब वहां नहीं है और वह गुर्गे अब सलाखों के पीछे पहुंच गए हालांकि गिरफ्तारी और कार्रवाई का यह सिलसिला थमा नहीं अभी भी कई गिरफ्तारियां हो सकती हैं इस कार्रवाई और इन गिरफ्तारियों से नाराज़ गैंग आफ़ वासेपुर ने आखिरी पैंतरा आजमाने की कोशिश की लेकिन यहां भी नाकाम साबित हुए।
दरअसल मुंबई में किसी के बाप में ताकत नहीं की गैंग आफ़ वासेपुर के मुखिया के खिलाफ़ कार्रवाई कर ले ऐसे शब्दों की डायलाग बाज़ी करने वालों ने जब देखा की डी. कंपनी के वह गुर्गे जो मुंबई पुलिस की गिरफ्त में हैं वह कहीं मुंह न खोल दें इस खलबलाहट की वजह से उन्होंने निशाना बनाने की कोशिश की लेकिन यहां भी मौजूदा सरकार ने मामले को लेकर अपना पक्ष साफ़ कर दिया जिससे मामला आईने की तरह साफ़ हो गया।
इससे पहले बर्वे के कमिश्नर कार्यभार संभालने के बाद उनके और एक बिल्डर जिससे उन्होंने घर खरीदा था उसको लेकर माहौल तय्यार किया गया वहां फ्लॉप होने के बाद कोर्ट में उनके खिलाफ़ याचिका भी दाखिल की गई लेकिन दाल वहां भी नहीं गली। अब ऐसे में देखना होगा कि गैंग आफ़ वासेपुर और कौन सा नया शगूफा छोड़ती है।
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