बॉम्बे लीक्स ,गुजरात
गुजरात की सूरत कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मानहानि मामले में दोषसिद्धी पर रोक की अपील खारिज कर दी है। याचिका खारिज करते हुए सूरत कोर्ट के जज ने अपने ऑर्डर में कहा कि सांसद और दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते राहुल गांधी को अपने शब्दों में ज्यादा सावधान रहना चाहिए था, जिसका लोगों के मन पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।उनको सोच समझकर बोलना चाहिए था।क्योंकि वह सांसद थे और देश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के पूर्व अध्यक्ष तक रह चुके हैं।
सूरत कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आरपी मोगेरा की अदालत ने 2019 के मानहानि मामले में सजा पर रोक लगाने की मांग पर कहा कि अपीलकर्ता जैसे व्यक्ति से “नैतिकता के उच्च स्तर” की अपेक्षा की जाती है और ऐसे बयान की उम्मीद नहीं की जाती है। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने जो सजा दी थी, वो कानूनी रूप से सही थी।अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आरपी मोगेरा की अदालत ने अपने आदेश में कहा, “अपीलकर्ता के मुंह से निकले कोई भी अपमानजनक शब्द पीड़ित व्यक्ति को मानसिक पीड़ा देने के लिए पर्याप्त हैं।” अदालत ने कहा कि अपमानजनक शब्दों का उच्चारण करने और ‘मोदी’ उपनाम वाले व्यक्तियों की तुलना चोरों से करने से निश्चित रूप से मानसिक पीड़ा होगी और शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की प्रतिष्ठा को नुकसान होगा।कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं और अपीलकर्ता के ऐसे कद को देखते हुए, उसे अपने शब्दों के साथ अधिक सावधान रहना चाहिए था, जिसका व्यापक प्रभाव होगा।अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता के वकील यह प्रदर्शित करने में विफल रहे कि उनकी सजा पर रोक न लगाकर उन्हें चुनाव लड़ने के अवसर से वंचित करने से उन्हें “बड़ी क्षति” होगी। कोर्ट ने राहुल गांधी के वकील के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि इस तरह एक समुदाय के खिलाफ मानहानि नहीं हो सकती।बता दें कि कांग्रेस नेता ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ तीन अप्रैल को सेशन कोर्ट का रुख किया था. उनके वकीलों ने दो आवेदन भी दाखिल किए जिनमें एक सजा पर रोक के लिए और दूसरा अपील के निस्तारण तक दोषी ठहराये जाने पर स्थगन के लिए था। सूरत की कोर्ट ने बीती 23 मार्च को बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी की ओर से दायर आपराधिक मानहानि के मामले में राहुल गांधी को दोषी करार दिया था और दो साल की सजा सुनाई थी।इसके बाद उन्हें लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य कर दिया गया था।राहुल गांधी को कर्नाटक के कोलार में 2019 के दौरान एक चुनावी रैली में की गई उनकी टिप्पणी ‘सभी चोरों का मोदी उपनाम कैसे हो सकता है’ के लिए दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई गई थी। कोर्ट ने राहुल गांधी को जमानत देते हुए शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी और राज्य सरकार को नोटिस जारी किए थे।कोर्ट ने 13 अप्रैल को दोनों पक्षों को सुना और फैसला 20 अप्रैल तक के लिए सुरक्षित रख लिया था।
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