मुंबई में पेडर रोड पर स्थित एंटीलिया’ बाग-ए-करीम यतीम खाना जिसको लेकर लंबे समय से कोर्ट में मामला चल रहा था बाद में सुप्रीम कोर्ट ने एंटीलिया समेत कई प्रॉपर्टी को महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड को इसलिए सौंप ताकि वक्फ बोर्ड इन वक्फ प्रापर्टी का हिसाब किताब करे और यह साफ कर दे की कौन सी मिल्कियत वक्फ की है और कौन सी मिल्कियत वक्फ की नहीं है।महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड ने इसके बाद उन सारे ट्रस्ट के बारे में दस्तावेज तलब करने लगे इसी बीच मुंबई में वक्फ बोर्ड के सदस्यों की मीटिंग हुई इस मीटिंग में एक ठहराव पास किया गया मीटिंग मुंबई के ही वक्फ बोर्ड के कार्यालय में हुई जहां तत्कालीन वक्फ बोर्ड के चैयरमैन डाक्टर वजहत मिर्जा समेत वक्फ बोर्ड के सभी सदस्य मौजूद थे सारे सदस्यों ने इस बात पर इत्तेफाक करते हुए दस्तखत भी किया इस सहमति में सिर्फ फौजिया खान ऐसी सदस्य रही हैं जिन्होंने इस मिल्कियत को नान वक्फ मिल्कियत के ठहराव पर दस्तखत नहीं किया।
आपको बता दें की यह ठहराव पास करने के बाद कई सदस्यों ने इस उम्मीद से दस्तखत किया की एंटीलिया को गैर वक्फ मिल्कियत करार देकर उन्हें भी मलाई खाने को मिलेगी लेकिन हैरानी इस बात की कि इस मलाई में वक्फ बोर्ड के एक ही सदस्य और उहदेदार ने जमकर मलाई खाई जबकि बाकी सभी सदस्यों को इस उम्मीद से रखा की एक बहुत बड़े उद्योगपति के घर में शादी है यह शादी खतम होने के बाद सब को मलाई खिलाई जाएगी जिन लोगों ने एंटीलिया को गैर वक्फ करार देने में ठहराव पर दस्तखत किया है।
यह रिपोर्ट फिलहाल वक्फ बोर्ड के सीओ जुनेद सय्यद के पास मौजूद है हालांकि इस रिपोर्ट के बाद जैसे ही इसकी भनक वक्फ मंत्री अब्दुलसत्तार को हुई तो सत्तार ने जुनेद सय्यद को जमकर खरी खोटी सुनाई और जुनेद से वह रिपोर्ट भी मांगी लेकिन जुनेद ने वह रिपोर्ट की कापी सत्तार को नहीं दी सत्तार इसके बाद आग बगोला हो गए सत्तार ने राज्य के कई आला मंत्रियों से जमकर गहमा गहमी भी की।क्योंकि अब्दुल सत्तार में को इस मामले में भनक तक नहीं लगी और तत्कालीन चैयरमैन वजाहत मिर्जा ने सारे सदस्यों को यह कहकर दस्तखत कराने में कामयाब हो गए की इस मामले में इसे नान वक्फ करने के लिए राज्य के बीजेपी के एक बड़े मंत्री ने उन्हें जिम्मेदारी दी हुई है और कोई भी इस बारे में अगर उनका कहना नहीं माना तो संगीन नतीजे का सामना भी करना पड़ सकता है।
वक्फ के एक सदस्य ने बताया की सदस्यों को यह मंजूर नहीं था लेकिन दबाव और पैसे को लालच में सारे सदस्यों ने दस्तखत भी कर दिया लेकिन सारे सदस्यों को एक फूटी कौड़ी अभी तक नहीं मिली जिसकी वजह से सदस्यों में तत्कालीन चेयरमैन वजाहत मिर्जा के खिलाफ जमकर नाराज़गी पाई जा रही है सदस्यों का यह भी कहना है की वक्फ के इस यतीम खाने को नान वक्फ करने को लेकर जो डील हुई है वह मलाई केवल वजाहत मिर्जा के ही हाथ लगी बाकी सारे सदस्यों को लॉलीपॉप थमा दिया गया।
चूंकि इस मामले मामले में अल्पसंख्यक मंत्री अब्दुल सत्तार को भी हवा नहीं लगने दी गई जिसकी वजह से उन्होंने ने यह तक भी कहा की कुछ नहीं मिला कम से कम उन्हें मुकेश अंबानी से तो मिला दिया जाए।एक बड़ी प्लानिंग के तहेत एंटीलिया को नान वक्फ का यह ठहराव पास किया गया 2017 में राज्य में बीजेपी सरकार के सत्ता में रहते हुए वक्फ बोर्ड के अफसर संदेश तड़वी ने हाई कोर्ट में यह रिपोर्ट दाखिल की थी जिसमें एंटीलिया वक्फ की मिल्कियत यह जाहिर किया गया सरकार बदली और महायुति सरकार आने के बाद सारे विभाग और सारे महकमे में अफसरान और कमेटी के जिम्मेदारान का तबादला कर दिया गया लेकिन वक्फ बोर्ड में किसी का तबादला इसलिए नहीं किया गया ताकि एंटीलिया को नान वक्फ का जो प्लान है वह कांग्रेस के कार्यकाल के सदस्यों से ही कराया जाए।जैसे ही नान वक्फ का ठहराव पास किया गया उसके बाद तत्कालीन वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वजाहत मिर्जा की एमएलसी का पत्ता कट गया और उसके बाद उन्हें वक्फ बोर्ड के चेयरमैन के ओहदे से भी हाथ धोना पड़ा जिसके बाद समीर काज़ी को इस ओहदे पर नियुक्त किया गया।
इस हलफनामे में महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड ने यह साफ कर दिया है कि एंटीलिया महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड की संपत्ति है, जिस पर मुकेश अंबानी ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। चूंकि यह वक्फ भूमि वक्फ कानून के तहत पंजीकृत भी है। वक्फ आयुक्त की सर्वेक्षण रिपोर्ट 2003 की सूची में भी वक्फ स्वामित्व के बारे में इसका उल्लेख है। 1934 में बाग ए करीम यतीमखाना की स्थापना के बाद से यह वक्फ है और मुंबई के पॉश अल्टामोंट रोड पर लगभग 2 एकड़ के परिसर में अनाथ बच्चों को कुरान और अन्य शिक्षा देने के लिए है।
वक्फ सर्वे कमिश्नर 2003 ने कहा कि संपत्ति में एक विशेष कमरा (हॉल) कुरान की शिक्षाओं के लिए उपयोग किया जाता है। इस जगह का उपयोग मुस्लिम बच्चों द्वारा प्रार्थना और नमाज़ अदा करने के लिए भी किया जाता है, और यह भी एक पूर्ण प्रमाण है कि संपत्ति वक्फ बोर्ड की है।
सर इब्राहिम करीम भाई के मूल वक्फ डीड में भी यह बात शामिल है कि वक्फ प्रावधानों के अनुसार इस संपत्ति को बेचने या हस्तांतरित करने का कोई उल्लेख नहीं है। आर शेख के 2004 के नोटिस पत्र में कहा गया है कि मुकेश अंबानी ने महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड के वक्फ फंड में 16 लाख रुपये जमा किए हैं और इसे डेवलप करने की अनुमति मांगी है यह अनुरोध 2004 से लंबित था।
इसके बाद अक्टूबर 2005 में महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड ने बागे करीम यतीमखाना को अंबानी को बेचने के लिए उसके ट्रस्टियों को एनओसी जारी करने के लिए एक आम बोर्ड मीटिंग बुलाई, जिसमें उस मीटिंग के प्रस्ताव में तत्कालीन वक्फ बोर्ड के सदस्य हारून सोलकर और डॉ एमए अजीज द्वारा फर्जी और मनगढ़त एनओसी जारी की गई, जिसमें वक्फ की जमीन को एंटीलिया को बेचने की अनुमति दी गई। वक्फ बोर्ड के एक चेयरमैन एमएम शेख ने इस डील को धोखाधड़ी बताया है। इसके अलावा 2007 में वक्फ बोर्ड के सदस्य पुणे के एयू पठान ने इस मामले को लेकर केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा और केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक सचिव ने एक नोटिस जारी कर पूछा कि इस मामले की सीबीआई से जांच क्यों नहीं कराई जा रही है।
राज्य सरकार सीबीआई जांच का आदेश दे सकती है और तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सीबीआई जांच का आदेश नहीं दिया उस समय नसीम खान मंत्री थे। इसके बाद इस मुद्दे पर, अधिवक्ता डॉ सैयद एजाज अब्बास सदस्य केंद्रीय वक्फ परिषद (सीडब्ल्यूसी) ने कहा कि यह सच है कि महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड ने अपने दूसरे 21-पृष्ठ के हलफनामे में स्वीकार किया है कि एंटिला वक्फ संपत्ति है जो संदेह से परे साबित होता है। लेकिन पूछा कि महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड धारा 52 (अतिक्रमण होने के नाते) के अनुसार आज तक उक्त संपत्ति पर कब्जा लेने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठा सका।
और केवल महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड बनाम यूसुफ चावला केस का हवाला देकर, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने सभी अवैध रूप से बेची गई ऐसी संपत्ति के खिलाफ आदेश दिया है … कि वक्फ संपत्ति पर कोई ऋण, बंधक मंजूर नहीं किया जा सकता है, उस स्थान पर कोई निर्माण नहीं किया जा सकता है, संपत्ति में कोई बिक्री-खरीद सौदा नहीं किया जा सकता है। इस मामले में एंटीलिया के खिलाफ स्पष्ट यथास्थिति स्थगन दिया गया है। इसके विपरीत मुकेश अंबानी उस विशेष मामले में बड़े हारने वाले हैं। रिलायंस के लोग चावला मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट के साथ धोखाधड़ी करने के लिए हथकंडे अपना रहे हैं। तदनुसार इस आधार पर (चावला सीएसईई) वक्फ बोर्ड को इस स्थान पर एंटीलिया के आगे के निर्माण आदि को रोकना चाहिए। महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड बनाम यूसुफ चावला और अन्य के मामले में वक्फ भूमि की बिक्री पिछले कुछ समय से, केंद्रीय वक्फ परिषद की ओर से महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड और राज्य सरकार को एंटीलिया घोटाले सहित 113 वक्फ गबन मामलों के बारे में कई वैधानिक सलाह और पत्राचार भेजे जा चुके हैं। अधिकांश मामले न्यायमूर्ति ATKT शेख आयोग की रिपोर्ट 2015 द्वारा कवर किए गए हैं। सीडब्ल्यूसी ने जनता के सामने इस गड़बड़ी को उजागर किया है और यदि आवश्यकता हुई तो अतिरिक्त दस्तावेज अदालत में दाखिल किए जाएंगे। और मुकेश अंबानी के परिवार को एंटीलिया से निकालने की कार्यवाही शुरू की जाएगी। मामला पहले ही वक्फ कानूनों के दायरे में आ चुका है। हर कोई जानता है कि देश भर में वक्फ माफिया हर मामले में फैसले (खराब) को नजरअंदाज कर देते हैं। कई वक्फ माफिया बिल्डरों के पक्ष में ऐसे आदेश के आने का इंतजार कर रहे हैं ताकि वे वक्फ की जमीन का दोहन और बिक्री कर सकें। वे बस कुछ आदेश चाहते थे ताकि वक्फ की जमीन पर हमारी पकड़ ढीली हो जाए, जैसा कि “एक बार वक्फ हमेशा वक्फ रहता है” के सिद्धांत के तहत होता है…
वक्फ बोर्ड की 2017 की वह रिपोर्ट जिसमे एंटीलिया वक्फ मिल्कियत थी लेकिन लालची और भ्रष्ट सदस्यों ने सन 2024 में इसे नान वक्फ करार देकर ठहराव पास किया
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