Bombay Leaks Desk
मुंबई:देश की अर्थिक राजधानी मुंबई में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध में दिनों दिन वृद्धि हुई है। अपराधियों का मनोबल काफी बढ़ गया है।शहर में महिलाएं अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही हैं महिलाओं के साथ छेड़छाड़, दुर्व्यवहार, बलात्कार और अपहरण की वारदातों में वृद्धि हुई है। पुलिस अपराधियों पर अंकुश लगाने में नाकाम रही है भले ही हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस आज मना कर महिलाओं की सुरक्षा के दावे कर रहे हों लेकिन महिलाओं के साथ होने वाले अपराध काफी चिंता जनक हैं।
स्कॉटलैंड यार्ड (मुंबई पुलिस) के आंकड़ों पर गौर करें तो महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस साल पिछले दो महीने (जनवरी एवं फरवरी) में ही महिलाओं के साथ होने वाले अपराध के 829 मामले दर्ज किए गए. इनमें छेड़छाड़ के 364, बलात्कार के 78 और अपहरण के 203 मामले शामिल हैं. वर्ष 2016 के जनवरी एवं फरवरी माह में बलात्कार के 135, अपहरण के 164, छेड़छाड़ के 351 और दुर्व्यवहार के 78 मामले दर्ज किए गए थे। हालांकि पिछले साल की तुलना में इस साल के इन दो महीनों में महिलाओं के साथ आपराध की 15 वारदातें कम हुई हैं।हालाँकि कई मामलों में महिलाएं उन नियमों का भी जमकर गलत इस्तेमाल करती हैं जिसके बाद कोर्ट ने भी महिलाओं से जुड़े मामलों को लेकर उसके लिए भी दिशानिर्देश जारी किया उसके बाद से इन मामलों में भी कमी आयी है।
पिछले पांच सालों में महिलाओं पर होने वाले बलात्कार, छेड़छाड़, अपहरण एवं दुर्व्यवहार जैसे अपराध के आंकड़ों पर नजर डालें, तो पता चलता है कि किस तरह से दिन-ब-दिन महिलाओं पर होने वाले अपराध में वृद्धि हो रही है. वर्ष 2012 में 1459 मामले, 2013 में 2935, 2014 में 3550, 2015 में 4810 और 2016 में 5176 महिलाओं पर होने वाले अपराध के मामले दर्ज हैं।
यह आंकड़े तो शहर में महिलाओं के बढ़ते अपराध के एक उदाहरण मात्र हैं इससे कहीं अधिक महिलाओं पर होने वाले अत्याचार के मामले पुलिस स्टेशन ही नहीं पहुंच पाते हैं। कई बार पुलिस के ढुलमुल रवैये के कारण भी पीड़ित महिलाएं परेशान हो कर आरोपी के खिलाफ केस दर्ज नहीं कराती हैं इसका फायदा आपराधिक प्रवृत्ति के लोग उठा रहे हैं। मुंबई पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि बढ़ती जनसंख्या के साथ ही अपराध वृद्धि होना स्वाभाविक है। जब तक लोगों की मानसिकता में बदलाव नहीं होता है अपराध पर पूरी तरह से अंकुश लगा पाना मुश्किल है आज महिलाओं के साथ होने वाले अपराध के स्वरूप में भी बदलाव आया है। अपराधी सोशल मीडिया के माध्यम से महिलाओं को अपना शिकार बना रहे हैं साइबर क्राइम में भी वृद्धि हुई है।
पिछले दिनों भाजपा की कोषाध्यक्ष शायना एनसी, शिवसेना की विधान परिषद सदस्य नीलम गोर्हे एवं एनसीपी की विधायक विद्या चव्हाण को मानसिक प्रताड़ना के दौर से गुजरना पड़ा उन्हें अश्लील मैसेज भेज जे रहे थे पुलिस ने तीनों ही मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है उनसे पूछताछ कर रही है।
नंदिता शाह ( अक्षरासामजिक संस्था ) कहती हैं कि पुलिस एवं ज्युडीसियरी को महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार पर ध्यान देने की जरूरत है आज कनविक्शन रेट केवल 26 फीसदी है कनविक्शन रेट बढ़ाना चाहिए और दोषियों को जल्द एवं कड़ी सजा मिलनी चाहिए।शहर का इंफ्रास्ट्रक्चर महिलाओं की सुरक्षा के अनुकूल नहीं है बांद्रा-कुर्ला काम्प्लेक्स इसका एक उदाहरण है। यहां ऑफिसेस में काम करने वाली महिलाओं की सुरक्षा को लेकर ध्यान नहीं दिया गया है लोगों के मानसिकता में बदलाव की भी जरुरत है। मजा के लिए सब कुछ चलेगा ऐसी सोच रखने वाले युवकों की तेजी से वृद्धि हो रही है डोमेस्टिक वायलेंस भी बढ़ा है।
शायना एनसी (भाजपा प्रवक्ता) कहती हैं कि लोगों की मानसिकता में बदलाव जरुरी है कहीं न कहीं अपराध में वृद्धि का एक कारण यह भी है केवल पुलिस पर ही महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं डाली जा सकती है।लोगों को अपराध पर अंकुश लगाने के लिए आगे आने की जरुरत है।पुलिस को महिलाओं के साथ होने वाले अपराध को लेकर अपराधियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने चाहिए। अनवरी खान (सामाजिक कार्यकर्ता एवं कोरो महिला मंडल फेडरेशन की सदस्य) कहती हैं कि पुलिस का खौफ अपराधियों में कम हुआ है, जिससे महिलाओं में असुरक्षा की भावना बढ़ी है मुंबई में महिलाएं सुरक्षित नहीं है आए दिन महिलाओं एवं युवतियों से छेड़छाड़ एवं रेप की घटनाएं हो रही है पुलिस का जरा भी खौफ गुनाहगारों में नहीं है इसके लिए खुद पुलिस ही जिम्मेदार है जब भी कोई गरीब और बेसहारा पीड़िता पुलिस स्टेशन में जाती है, तो पुलिस वाले उससे तरह-तरह के सवाल करते हैं और बाद में उसकी शिकायत को दर्ज नहीं करते हैं। पुलिस के इस तरह के रवैये के कारण ही महिलाओं के साथ दिनों दिन अपराध में वृद्धि हो रही है।
Post View : 20