शाहिद अंसारी
मुंबई : हाजी मस्तान की मौत के बाद हाजी मस्तान के नाम की राजनीति करने वाले तथाकथित गोद लिए हुए बेटे सुन्दर शेखर के लिए बुरी ख़बर है।मस्तान की बेटी शमशाद सुपारी वाला ने साल 2010 में मुबंई सेशन कोर्ट में केस दाखिल किया था जिसमें उन्होंने सुन्दर शेखर को लेकर हाजी मस्तान का बेटा और शमशाद की बहेन घोषित किया।शमशाद ने इस बात को लेकर शुरू से ही आपत्ती जताई लेकिन जब बात नहीं बनी तो उन्होंने कोर्ट का सहारा लिया जिसके बाद सेशन कोर्ट ने 20 जून को यह फरमान जारी करते हुए कहा कि सुन्दर शेखर हाजी मस्तान का बेटा नहीं है न ही वह उनका नौकर है न ही वह इस तरह के शब्दों का उपयोग कर सकते हैं।कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि इस पूरी प्रक्रिया के दौरान शिकायकर्ता यानी हाजी मस्तान की बेटी शमशाद सुपारीवाला का जो भी खर्च हुआ है उसकी वह भरपाई करें।
Bombay Leaks से बात करते हिए शमशाद ने कहा कि हमने कभी सोचा भी नहीं था कि उन्होंने अपनी जिंदगी में इतने लोगों की निस्वार्थ सेवा की लेकिन उनके जाने के बाद कुछ लोग अपने फाएदे के चक्कर में उनका नाम इस्तेमाल करने लगे वहां तक भी ठीक था लेकिन जब पानी सर से ऊपर चढ़ चुका तो ऐसे लोगों को कानून के जरिए सबक सिखाना जरूरी हो गया।हमें कोर्ट पर पूरा भरोसा था इसलिए हमने पूरे 7 साल यह लड़ाई लड़कर उनके नाम की राजनीति करने वालों को सबक सिखाया इस फैसले के बाद उन लोगों को भी चेतानवी है जो हाजा मस्तान का नाम किसी भी तरह से अपने आपको जोड़ कर उनकी प्रापर्टी को हथियाने और उनके परिवार में घुसपैठ करने की कोशिश करते हैं।अगर कोई ऐसा करता है या करने की कोशिश करता है तो हम उसके खिलाफ़ भी कोर्ट में ही अपील करेंगे।शमशाद ने एक अहम बात बताते हुए कहा कि अगर हाजी मस्तान या हमारे परिवार के नाम पर कोई भी इनसे किसी तरह की सौदेबाज़ी करता है तो वह उसका स्वयं जिम्मेदार होगा।
शमशाद ने कहा कि मेरे पिता की मौत के बाद हम वह सदमा तो आज तक बर्दाश्त नही कर सके लेकिन जिंदगी में यह कभी नही सोचा था कि जिसे उन्होंने सहारा दिया वही आस्तीन का सांप बन जाएगा।इस बारे में जब सुन्दर शेखर से बात की गई तो सुन्दर यह कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि उन्हें अबतक कोर्ट का ऑर्डर नहीं मिला जब मिलेगा तो वह अपील मे जाऐंगे।
हाजी मस्तान का शुमार मुंबई के टॉप के स्मगलरों में होता था अपराध की दुनिया में एक समय मस्तान की तूती बोलती थी मस्तान पर कई हिंदी फिल्में भी बन चुकी हैं।मस्तान डॉक पर काम काम करते करते जिंदगी बेहतर होने लगी थी तस्करों की मदद करने से उसे खासा फायदा हो रहा था 1950 का दशक मस्तान मिर्जा के लिए मिल का पत्थर साबित हुआ ।1956 में दमन और गुजरात का कुख्यात तस्कर सुकुर नारायण बखिया उसके संपर्क में आ गया।दोनों के बीच दोस्ती हो गई दोनों साथ मिलकर काम करने लगे उस वक्त सोने के बिस्किट, फिलिप्स के ट्रांजिस्टर और ब्रांडेड घड़ियों की बहुत मांग थी। मगर टैक्स की वजह से भारत में इस तरह का सामान लाना बहुत महंगा पड़ता था। लिहाजा दोनों ने मिलकर दुबई और एडेन इस सामान की तस्करी शुरू की।जिसमें दोनों को खासा मुनाफा हो रहा था। दोनों का काम बढ़ता गया और मस्तान की जिंदगी भी अब बदल चुकी थी। मामूली सा कुली मस्तान बाहुबली माफिया मस्तान भाई बन चुका था यूं तो पहले मुंबई में वर्धा राजन मुदलियार उर्फ़ वर्धा का नाम चलता था. लेकिन वह माफिया डॉन जैसी छवि नहीं बना पाया था। कुछ समय बाद वर्धा वापस चेन्नई चला गया।अब मुंबई अंडरवर्ल्ड की दुनिया में सिर्फ एक नाम था मस्तान भाई यानी हाजी मस्तान।1970 का दशक आते-आते मस्तान मुंबई में अपनी अलग पैठ बना चुका था।उसने दस साल के भीरत मुंबई में एक बड़ा मुकाम हासिल कर लिया था।समुंद्र में उसका राज चलने लगा था।मस्तान जैसा बनना चाहता था, वह उससे ज्यादा ही बन गया था।अब वो अमीर भी था और ताकतवर भी उसे सफेद डिजाइनर सूट पहनने और मर्सिडीज की सवारी करने का बहुत शौक था।उसके हाथ में हमेशा विदेशी सिगरेट और सिगार दिखाई देते थे।ऐशोआराम उसकी जिंदगी का शगल बन गया था।मस्तान की मौत के बाद सुन्दर शेखर ने खुद को उस परिवार का जानशीन ठहराने की कोशिश की लेकिन मस्तान की बेटी शमशाद ने विरोध किया और मामला कोर्ट में जा पहुंचा ।
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