Bombay Leaks Desk
मुंबई: महाराष्ट्र उर्दू साहित्य अकैडमी के सदस्यों की शैक्षणिक योग्यता की ख़बर लिखने के बाद नागपाड़ा पुलिस थाने ने पत्रकार शाहिद अंसारी को नोटिस भेजा है।नोटिस में शाहिद अंसारी को हाज़िर होने के आदेश जारी किया गया है।नोटिस में नागपाड़ा पुलिस ने लिखा है कि उर्दू साहित्य अकैडमी की सदस्य कमरुन्निसा सईद जो कि चौथी पास हैं इस ख़बर से उनके और उनके परिवार की बदनामी हुई है इसलिए उन्होंने उस बदनामी को लेकर नागपाड़ा पुलिस थाने में शिकायत की है।जिसके बाद नागपाड़ा पुलिस थाने के इंस्पेक्टर विद्यासागर कालकुंद्रे द्वारा पत्र भेज कर अंसारी को हाजिर होने का आदेश जारी किया गया है।हैरान कर देने वाली बात यह है कि इस पत्र में किसी भी वेब न्युज़ पोर्टल या अख़बार का नाम या ख़बर तक का सही उल्लेख नहीं है लेकिन शाहिद अंसारी का नाम और कार्यालय का पता सही लिखा हुआ है।
अंसारी ने इस नोटिस के बारे में मुंबई पुलिस कमिश्नर को आवगत कराते हुए नोटिस का जवाब भेजा है और मुबंई क्राइम रिपोर्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल सिंह को जानकारी देते हुए पत्रकार यूनियन को इसकी जानकारी दी है जिसके बाद इस मामले को लेकर पत्रकार यूनियन द्वारा मुंबई सीपी के साथ साथ राज्य के मुख्यमंत्री देवेंन्द्र फड़णविस से मुलाकात कर नागपाड़ा पुलिस थाने की इस करतूत के बारे में आवगत कराया जाएगा।
दरअसल इस ख़बर को लेकर आरटीआई से खुलासा हुआ था कि महाराष्ट्र उर्दू साहित्य अकैडमी की सदस्यता के लिए किसी भी तरह की शैक्षणिक योग्यता की ज़रूरत नहीं है बल्कि दूसरे शब्दों में यह कहा जाए की चाटूकारिता के आधार पर यहां की सदस्यता मिलती है इसी लिए कमरुन्निसा सईद को भी सदस्यता मिल गई जबकि वह चौथी पास हैं और इस बात को लेकर उर्दू भाषियों में काफी नाराज़गी है।क्योंकि ऐसे बहुत से लोग हैं जो हाईयर क्वालिफाईड हैं लेकिन उन्हें सदस्य नहीं बनाया गया।
चूंकी चच्ची चौथी पास कमरुन्निसा सईद अगले चरण में उर्दू साहित्य अकैडमी के चेयरमैन बन्ने का सपना देख रही थीं लेकिन इस ख़बर के बाद जब अकैडमी को और जग जाहिर हो गया तो चेयरमैन बन्ने का उनका यह सपना टूट गया।अब इस भड़ास को पूरा करने के लिए उन्होंने नागपाड़ा पुलिस थाने में गुहार लगाई है।चूंकि नागपाड़ा पुलिस थाने में पुलिस वालो के ज़रिए वसूली का लेखा जोखा सब से पहले Bombay Leaks ने प्रकाशित किया जिसकी वजह से नागपाड़ा पुलिस थाने के खिलाफ़ मुंबई पुलिस कमिश्नर के आदेश से मामले की जांच की जा रही है।और इसी दौरान भाईखला जेल में हुई हत्या जिसे नागपाड़ा पुलिस छुपाने की कोशिश कर रही थी उसे भी Bombay Leaks ने ही सब से पहले प्रकाशित किया जिसके बाद मजबूरन नागपाड़ा पुलिस को हत्या का मामला दर्ज करना पड़ा।अब नागपाड़ा पुलिस इस नोटिस की आड़ से शाहिद अंसारी को उत्पीड़ना देने की तरकीबें ढूंड रही है।इसलिए उन्होंने चच्ची चौथी पास को आश्वासन दिया है कि “ नागपाड़ा पुलिस है आपके साथ क्योंकि आप हैं चच्ची चौथी पास ।”
हालांकि कमरुन्निसा सईद की शिकायत मई के महीने में की गई थी लेकिन नागपाड़ा पुलिस अंसारी को नोटिस भेज कर पुलिस थाने में बुला कर टॉर्चर करने की कोशिश कर रही है ठीक उसी तरह से जैसे पिछले साल आज़ाद मैदान दंगों के आरोपी भूमाफिया तथाकथित स्वयं घोषित धर्मधुरंधर श्री मुईन अशरफ़ उर्फ़ बाबा बंगाली के इशारे पर झूटा मामला दर्ज कर हिरासत में हत्या की साजिश रची थी लेकिन उसमें वह सफल नहीं हो पाए।इसिलए इस शिकायत की आड़ से फिर एक बार नागपाड़ा पुलिस ने कोशिश की है क्योंकि वसूली की खबर को लेकर नागपाड़ा पुलिस थाने के सीनियर पीआई संजय बस्वत ने खुद शाहिद अंसारी से दो अखबारों का नाम ले कर कहा कि इसमें “ वसूली की ख़बर किस रिपोर्टर ने छापी है ? ”। बस्वत ने कहा कि “ उन्होंने 34 ट्रेनिंग की है और बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग में कार्यरत थे । ”
2009 में भी बस्वत मुंबई के वरली पुलिस थाने में तैनात थे तब उन्होंने उसी इलाके के एक 85 वर्षी याचिकाकर्ता को उसके घर में घुस कर याचिका वापस करने के लिए धमकी दी थी वापस न करने की सूरत में उन्होंने उसका इनकाउंटर करने की धमकी दी थी यह याचिका भ्रष्ट पुलिस वालो के खिलाफ़ दाखिल की गई थी।
अंसारी के वकील भावेश परमार ने कहा कि नोटिस का जवाब दे दिया गया है “ इससे पहले भी नागपाड़ा ने अंसारी के खिलाफ़ झूटा मामला दर्ज किया था जिसके बाद कोर्ट ने नागपाड़ा पुलिस की एफआईआर को गलत करार दिया अब इस तरह से अगर पुलिस अपने पद का गलत इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है तो हम इसे भी कोर्ट मे ही चुनौती देंगे ।”
क्या कहते हैं पूर्व आईपीएस अधिकारी
पूर्व आईपीएस अधिकारी एस.एस. सोराडकर ने कहा कि “ इस तरह से किसी पत्रकार की खबरों को लेकर नोटिस या पत्र भेजने का अधिकार पुलिस को नहीं है वह खुद ही अपनी नोटिस में लिखते हैं शिकायतकर्ता की बदनामी हुई है तो बदनामी के लिए पुलिस को कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है शिकायतकर्ता को कोर्ट जाना चाहिए पुलिस इस तरह से नोटिस भेज कर अपने पद और पावर का गलत इस्तेमाल करती है इस बात को वरिष्ठ अधिकारियों को संज्ञान में लेते हुए तुरंत सम्बंधित अधिकारी के खिलाफ़ कार्रवाई करनी चाहिए । ”
वहीं पूर्व आईएस अधिकारी और मौजूदा वरिष्ठ वकील आभा सिंह ने कहा कि “ अंसारी ने नागपाड़ा पुलिस थाने की अंतर्गत करप्शन और भाईखला जेल मे हुई हत्या को बेनकाब किया है इसलिए अब नागपाड़ा पुलिस अंसारी को परेशान करने के लिए अपने पद का गलत इस्तेमाल कर अंसारी को परेशान करने की कोशिश कर रही है जबकि पुलिस को ऐसा अधिकार ही नहीं दिया गया कि वह इस तरह से किसी पत्रकार को नोटिस देकर पुलिस थाने में तलब कर सकें ।”
क्या है नोटिस भेजने का नियम
Crpc 154 के तहेत किसी पर दर्ज हुए किसी भी मामले में पुलिस को उस मामले की जांच करने का अधिकार Crpc 157 के तहेत प्राप्त होता है जिसके अंतर्गत वह Crpc 91 और Crpc 160 के तहेत भी उस जुर्म से संबंधित किसी भी व्यक्ति से अपराध से जुड़े कागज़ात हासिल करने या पुलिस थाने में बुला कर उसकी जांच करने का अधिकार प्राप्त होता है ताकि वह जांच में सहयोग करे।लेकिन मात्र Crpc 155 के तहेत के तहेत दाखिल की गई NC में पुलिस को Crpc 155 (2) के तहेत कोर्ट से लिखित रूप से इजाज़त लेनी होती है उस इजाज़त के बाद ही वह इस मामले की जांच कर सकते हैं।नागपाड़ा पुलिस थाने द्वारा Crpc की धारा 154 या 155 के तहेत मामला न दर्ज करते हुए भी उन्हें आखिर किस नियम और कानून के तहेत इस तरह के पत्र भेज कर मामले की जांच करने का अधिकार प्राप्त हुआ है ? क्योंकि नियम और कानूनी में किसी भी मामलों में भी पुलिस को कोर्ट के अदेश के बिना जांच करने का उल्लेख ही नहीं किया गया।ऐसी परिस्तिथि में नागपाड़ा पुलिस थाने उनके आकाओं को खुश करने के लिए नागपाड़ा पुलिस थाने द्वारा स्वंय रचित बस्वत दंड सहिंता 2016 (सीनियर पीआई) के तहेत कार्रवाई को अंजाम दे रही है और इस तरह से वह नियम और कानून का खुल्लम खुल्ला मज़ाक उड़ा रहे हैं।
नागपाड़ा पुलिस की नोटिस का जवाब
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