मुंबई:छगन भुजबल की नासिक की प्रॉपर्टी को अबतक महाराष्ट्र ऐंटी करप्शन ब्युरो ने ज़ब्त नही किया हालांकि कार्रवाई के बाद से ही लगातार ऐंटी करप्शन ब्युरो भुजबल की इस प्रॉपर्टी को सील करने का दावा कर रही थी क्योंकि भुजबल की यह प्रॉपर्टी सरकारी है जिसे कोड़ियों के भाव मे खरीदी थी जिसका खुलासा महाराष्ट्र ऐंटी करप्शन ब्युरो की जांच मे हुआ लेकिन हैरान करदेने वाली बात यह है कि आखिर हेमा मालिनी की की ज़मीन की कीमत वसूल करने वाली सरकार राज्य सरकार ने भुजबल की इस जगह के बारे में कार्रवाई को लेकर क्यों मौन है।
भुजबल को फांसे तो सब फंसे
इस मौन के पीछे की सबसे बड़ी वजह यह है कि अगर राज्य सरकार ऐंटी करप्शन ब्युरो को अगर भुजबल की नासिक की सरकारी प्रॉपर्टी को ज़ब्त करने का आदेश देती है तो यह कार्रवाई पूरी हो जाएगी और उसके बाद विरोध के स्वर गूंजेंगे और फिर कांग्रेस समेत बीजेपी के भी नेताओं को वह सारी ज़मीन सरकार को वापस करनी होगी या उसकी मार्किट कीमत अदा करनी होगी।जो किसी ने या तो कौड़ियों के भाव खरीदी है या लीज़ पर ली है।
ऐंटी करप्शन ब्युरो ने जैसे ही भुजबल के ठिकानों पर छापे मारने शुरू किए उसके बाद से भुजबल की प्रॉपर्टियों को सील किया ताकि उसपर किसी तरह का व्यवहार ना किया जासके लेकिन नासिक में मौजूद 46,500 फिट जिसमे 25 रूम,जिम,स्वीमिंग पुल है जिसकी कीमत मौजूदा दौर मे 100 करोड़ के आसपास बताई जारही है।उसे अबतक ना ही ऐंटी करप्शन ने सील किया और ना ही बतक राज्य सरकार ने उसको लेकर कार्रवाई का कोई कदम उठाया।
भुजबल की बैकडोर से मदद
ऐंटी करप्शन ब्युरो की जहां भ्रष्टाचार के मामलों मे कार्रवाई करने के लिए सरकार ने इस विभाग का गठन किया है वहीं सरकार ने हर मामलों की इजाज़त लेने की जिम्मेदारी खुद ली है।भ्रष्टाचार के मामलों मे सबसे पहले भुजबल के खिलाफ़ मामला दर्ज करने के लिए ऐंटी करप्शन ब्युरो को राज्य सरकार से इजाज़त मिलने में काफी समय गया फिर मामला दर्ज करने के लिए सेंक्शन लेने के लिए,चार्जशीट दाखिल करने के लिए ऐंटी करप्शन ब्युरो को राज्य सरकार की मोहताजी की ज़रूरत पड़ी।जिसकी वजह से एक लंबा समय बरबाद दुआ और भुजबल को अपने आपको बचाने लिए काफी समय मिल गया।क्योंकि यहा ंकार्रवाई से ज़्यादा सरकार बैकडोर से मदद कर रही है इसी लिए एक छोटी सी इजाज़त को लेकर एसीबी को नाको चने चबाने पड़ते है ंऔर सरकार की जी हुजूरी करनी पड़ती है।
क्या कहते हैं डीजी विजय कांबले
ऐंटी करप्शन ब्युरो ने भी भुजबल की इस प्रॉपर्टी को सील करने के लिए राज्य सरकार से इजाज़त मांगी लेकिन हर मामलों की तरह यह इजाज़त की फाइल राज्य सरकार की रद्दी की टोकरी की शोभा बढ़ा रही है और भुजबल को बैकडोर से राज्य सरकार की मदद मिल रही।
ACB डीजी विजय कांबले ने जानकारी देते हुए बताया कि इस मामले में भुजबल की इस जगह को जो कभी सरकारी ज़मीन हुआ करती थी इसपर पहले ही कार्रवाई की गई है यह जगह कार्रवाई के दाएरे मे है हमने राज्य सरकार को इस बारे में आवगत कराया है लेकिन अबतक सरकार ने इसे ज़ब्त करने की इजाज़त ऐंटी करप्शन ब्युरो को नहीं दी।
तू चुप, मैं चुप,तू खुश मैं खुश
अब ऐसे में हैरानी वाली बात यह है कि एक तरफ बीजेपी सरकार भ्रष्टाचिरयों पर कानून का शिकंजा कसने की बात करती है तो दूसरी तरफ इसलिए भी कार्रवाई की इजाज़त नहीं देती कि एक हमाम में सब नंगे हैं वाली कहावत सच साबित होसकती है।क्योंकि अगर भुजबल की नासिक की इस ज़मीन को सरकार ऐंटी करप्शन ब्युरो को ज़ब्त करने का आदेश या इजाज़त देती है या खुद वापस लेती है तो फिर उन सब लोगों के नाम सामने आऐँगे जिन्होंने सरकारी ज़मीन को कौड़ियों के भाव में लेकर उसे हथिया लिया।इसमे कांग्रेस बीजेपी और दूसरी पार्टियों के नेता भी शामिल हैं।इसलिए सरकार “ तू चुप, मैं चुप,तू खुश मैं खुश ” वाली प्रक्रिया पर अमल कर जंता की नज़र मे खुद को साफ़ सुथरी छवी वाली सरकार साबिक करने की कोशिश कररही है।
हालांकि भुजबल पर कार्रवाई को लेकर ऐंटी करप्शन ब्युरो ने काफ़ी ज़ोर लगाया लेकिन राज्य सरकार की सहमति ना मिलने की वजह से भुजबल की नासिक की ज़मीन को अबतक ना ही ऐंटी करप्शन ब्युरो ने सील किया और ना ही राज्य सरकार ने वापस लिया।
क्या कहा महसूल मंत्री एकनाथ खड़से ने
इस बारे में महसूल मंत्री एकनाथ खड़से से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि ऐंटी करप्शन ब्युरो ने हमें इस प्रॉपर्टी के बारे में लिखा है कि इस जगह को वापस ली जाए।लेकिन ऐंटी करप्शन ब्युरो के कहने से हम वापस नहीं लेगें क्योंकि इस मामले की मंत्रालय में सुनवाई जारी है और इस सुनवाई के बाद ही फैसला लिया जाएगा कि भुजबल की यह जगह वापस ली जाए या नहीं हालांकि भुजबल की यह जगह सरकारी लीज़ पर हैं।खड़से ने कहा कि मंत्रालय की जो कमेटी है वह इस बात का फैसला करेगी कि उन्होंने कौनसे नियमों का उल्लघन किया है जिसके आधार पर ऐंटी करप्शन ब्युरो ने इस जगह को वापस लेने के लिए सरकार से गुहार लगाई है।
खड़से के के इस बयान से साप ज़ाहिर होता है कि खड़से को ऐंटी करप्शन ब्युरो की कार्रवाई पर भरोसा नहीं है।ज़ाहिर सी बात है कि अगर भुजबल की इस ज़मीन पर कार्रवाई हुई तो उसके खिलाफ़ ठोस और पुख्ता सुबूत ही होगें तभी तो ऐंटी करप्शन ब्युरो ने कार्रवाई की है।अब राज्य सरकार को फैसला लेने में इतना समय इसी लग रहा कि अगर भुजबल की इस सरकारी जगह को सरकार वापस लेगी तो इसी कार्रवाई के दाएरे वह सारे नेता आऐंगे जिन्होंने सरकारी जगह पर अपना कब्ज़ा जमा रखा है।
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