शाहिद अंसारी
मुंबई:मुंबई के दादर इलाके में सिद्धि विनायक मंदिर के पास मुंबई पुलिस के ज़रिये जो भी हरकत की गई वह कैमरे में कैद हुई।फ़ोटो में दिख रहे इस पुलिस रुपी दरिंदे ने अपनी इस हरकत के ज़रिये ना सिर्फ अपनी बल्कि पूरी मुंबई पुलिस की सभ्यता का एक बार फिर से परिचय दिया है।
पुलिस के ज़रिये पत्रकारों को पीटकर अपना उल्लू सीधा करने का यह मामला कोई नया नहीं है लेकिन इस मर्द पुलिस कर्मी इंस्पेक्टर हिन्दूराव शिवाजी चौधरी की हिम्मत की दाद ज़रूर देनी पड़ेगी जिसने भरी मीडिया के सामने फोटोग्राफर दिव्यकांत सोलंकी को पीटा।उसे पता था उसके सामने मीडिया कर्मी खड़े हैं।और वहीँ दुसरे पुलिस कर्मी खड़े इस मर्द को यह भी नहीं कह सके की ना,मर्द ऐसा नहीं करते।पुलिस का यह नंगा नाच 10 मिनट तक चलता रहा दुसरे पुलिसकर्मी तमाशाई बने रहे।
हाल ही में महाराष्ट्र के लातूर ज़िले में एक पुलिसकर्मी को कई लोगों ने पीटा उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ 16 लोगों की गिरफ़्तारी भी हुई।मीडिया ने इस मामले को बड़ी ही गंभीरता से लिया और क्यों ना लिया जाता कियोंकि मामला एक पुलिसकर्मी को बुरी तरह से पीटे जाने का था।
इस वारदात का विरोध मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में हुआ सबने इसकी निन्दा की मुंबई क्राइम रिपोर्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल सिंह ने कहा की यह बहुत ही दुःख की बात है मुंबई पुलिस मीडिया पर हमले कर क्या साबित करना चाहती है जहाँ साबित करना होता है वहां तो कुछ नहीं कर पाते।विशाल ने कहा की हम इस बारे में जल्द ही मुंबई पुलिस कमिश्नर से मिलकर इस मामले के साथ साथ पुलिस और पत्रकारों के बीच बेहतर रिश्ते कैसे बनाएं जाएँ इसपर चर्चा करेंगे और ऐसे पुलिस वालों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई की जाये।
हालाँकि पत्रकारों के साथ मारपीट करने वाले पुलिस कर्मियों के ख़िलाफ़ FIR दर्ज करने का आदेश प्रेस काउंसिल ने जारी किया है।
प्रेस काउंसिल ने राज्य सरकारों को फरमान जरी करते हुए कहा की पत्रकार भीड़ का हिस्सा नहीं हैं।पत्रकारों के साथ बढ़ती ज्यादती और पुलिस के अनुचित व्यवहार के चलते कई बार पत्रकार आजादी के साथ अपना काम नही कर पाते है।उसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने राज्य सरकारों को चेतावनी देते हुए निर्देश भी दिया है कि पुलिस आदि पत्रकारों के साथ बदसलूकी ना करे।किसी स्थान पर हिंसा या बवाल होने की स्थिति में पत्रकारों को उनके काम करने में पुलिस नुकसान नही पहुँचा सकती। पुलिस जैसे भीड़ को हटाती है वैसा व्यवहार पत्रकारों के साथ नही कर सकती।ऐसा होने की स्थिति में बदसलूकी करने वाले पुलिसवालों या अधिकारियों के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज किया जायेगा।
काटजू ने कहाँ कि जिस तरह कोर्ट में एक अधिवक्ता अपने मुवक्किल का हत्या का केस लड़ता है पर वह हत्यारा नही हो जाता है।उसी प्रकार किसी सावर्जनिक स्थान पर पत्रकार अपना काम करते है पर वे भीड़ का हिस्सा नही होते।इस लिए पत्रकारों को उनके काम से रोकना मिडिया की स्वतंत्रता का हनन करना है।प्रेस काउन्सिल ने देश के केबिनेट सचिव, गृह सचिव, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिवों व गृह सचिवों को इस सम्बन्ध में निर्देश भेजा है और उसमे स्पष्ट कहा है कि पत्रकारों के साथ पुलिस या अर्द्ध सैनिक बलों की हिंसा बर्दाश्त नही की जायेगी। सरकारे ये सुनिश्चित करे की पत्रकारों के साथ ऐसी कोई कार्यवाही कही न हो।पुलिस की पत्रकारों के साथ की गयी हिंसा मिडिया की स्वतन्त्रता के अधिकार का हनन माना जायेगा जो उसे संविधान की धारा 19 एक ए में दी गयी है। और इस संविधान की धारा के तहत बदसलूकी करने वाले पुलिसकर्मी या अधिकारी पर आपराधिक मामला दर्ज होगा।
इस मामले में मुंबई पुलिस प्रवक्ता धनंजय कुलकर्णी ने कहा की मामले में जाँच के आदेश दिए गए हैं।लेकिन जब ममला आईने की तरह साफ हो और कैमरे की आँखों ने उन्हें कैद कर लिया हो तो फिर देरी कैसी।
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