• मिशन यूपी 2022 में आरएसएस की होगी अहम भूमिका- होसबाले और जोशी लखनऊ डटे।
• संघ के नए सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले को मिला मिशन 2022 तो भईया जी जोशी होंगे राममंदिर के केयरटेकर।
लखनऊ ब्यूरो | बॉम्बे लीक्स
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सत्ता का स्वाद चखने के बाद संघ पार्टी को लंबे समय तक गुजरात की तर्ज पर सत्ता में बनाये रखना चाहता है। जिसके लिए आरएसएस ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। जी हाँ गुजरात की तरह उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लंबे समय तक के लिए सत्ता में बने रहते हुए देखना चाहता है। यही वजह है कि संघ के नए सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले को मिशन यूपी 2022 के चुनाव की कमान संभालने के लिए राजधानी लखनऊ में प्रवास करा दिया गया है। वही दूसरी तरफ भैयाजी जोशी राममंदिर निर्माण प्रोजेक्ट के केयरटेकर होंगे।
जी हाँ उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की नजदीकी आती।जा रहे हैं, जिसके बाद सभी राजनीतिक दल भी सियासी मैदान में अपनी फील्डिंग मजबूत करने में जुट गए है। सत्ता धारी बीजेपी भी गुजरात की तर्ज पर यूपी में भी लंबे समय तक सत्ता बरकरार रखना चाहती है।इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बीजेपी को लंबे समय तक के लिए सत्ता में बने रहने के लिए गुजरात सियासी मॉडल को दोहरा रही है।
संघ के नए सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले अब 2022 चुनाव तक लखनऊ में प्रवास करेंगे जबकि भैयाजी जोशी राममंदिर निर्माण प्रोजेक्ट के केयरटेकर होंगे।इससे साफ जाहिर होता है कि बीजेपी के साथ-साथ संघ भी अब मिशन-2022 के लिए जुट चुका है।
साल 2022 की शुरुआत में अगले साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है। जिसमे सबसे अहम उत्तर प्रदेश चुनाव होने है। जहां 2017 में बीजेपी 15 साल के सियासी वनवास को खत्म कर सूबे की सत्ता में लौटी है।ऐसे में आरएसएस किसी भी सूरत में बीजेपी के हाथों से सत्ता जाने नहीं देना चाहती है।क्योंकि आरएसएस और बीजेपी दोनों के लिए ही यूपी सियासी एजेंडे के साथ-साथ धार्मिक और वैचारिक दोनों तौर पर काफी महत्वपूर्ण है।
ऐसे में आरएसएस 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के लिए किसी तरह की गुंजाइश छोड़ना नहीं चाहता। साल 2025 में संघ का शताब्दी वर्ष भी है।ऐसे में संघ ने कुछ बेहद अहम फैसले लिए हैं, जिसके तहत सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले को मुख्यालय नागपुर के बजाय लखनऊ में रहकर सूबे के राजनीतिक माहौल को मजबूत करने का ज़िम्मा सौंपा गया है।
देखा जाय तो पिछले तीन दशक से यूपी की सियासत में सत्ता में रहने वाली पार्टी दोबारा से वापसी नहीं कर सकी है। वही अगले साल फरवरी में होने वाले चुनावों को लेकर बीजेपी की स्थिति पहले की तरह मजबूत नहीं बताई जा रही है।सीएम योगी को लेकर पार्टी विधायको के बीच मन मुटाव को देखते हुए पार्टी को 2022 के चुनाव में काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। यूपी पंचायत चुनाव में बीजेपी का जनाधार देखा गया।जोकि तीसरे नंबर पर रही थी जबकि 2017 में अकेले दम पर बीजेपी 311 सीटों के साथ गठबंधन कर 325 विधायको के बल पर सत्ता पर काबिज हुई थी।
उस दौरान आरएएस ने अपनी वीटो पावर के तहत योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश में सत्ता की कमान तब सौंपी थी।देखा जाए तो 2017 में योगी के नाम पर यूपी का चुनाव न लड़ते हुए मुख्यमंत्री पद की दौड़ का चेहरा तक नही बनाया गया था।
सत्ता हासिल करने के बाद सीएम बने योगी ने अपने हिंदुत्व के एजेंडे को बरकरार रखा। किन्तु पार्टी नेताओं के साथ संतुलन बनाने में योगी के पसीने छूट गए। सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच तनातनी किसी से छिपी नहीं थी। जिसके बाद संघ और बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने लखनऊ से लेकर दिल्ली तक बैठक कर दोनों नेताओं के बीच एक समन्वय बनाने की कोशिश की।
कहा जाता है कि आरएसएस के दूरगामी योजना के तहत हर फैसले होते है। यूपी में संघ सवा चार साल पहले सीएम के तौर पर योगी को आगे लाया था। सूत्रों के मुताबिक संघ योगी को मोदी का विकल्प नहीं बल्कि उनके बाद की बीजेपी के लिए तैयार कर रहा है।इसीलिए 2022 का चुनाव बीजेपी से ज्यादा आरएसएस के लिए भी काफी महत्वपूर्ण बन गया है।
संघ यूपी चुनाव में किसी तरह का सियासी नुकसान उठने के मूड में नही है।यूपी सूबे का अपना अलग ही एक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। वही देखा जाए तो अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। मथुरा और काशी भी यूपी में ही है।जोकि लंबे समय से अयोध्या की तरह ही विवाद स्थल बना हुआ है।
ऐसे में बीजेपी और संघ के अहम नेताओं के साथ बैठके जारी है। संघ द्वारा 2022 के चुनाव को लेकर फीडबैक दिए गए थे। जिसके बाद बीजेपी के कोरग्रुप की बैठक में संगठन और सरकार के बीच बेहतर तालमेल बनाने के साथ-साथ पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी को भी दूर करने का फैसला लिया गया था।
इसीके साथ ही 2022 के चुनाव के मद्देनजर संघ के दो बड़े नेता भैयाजी जोशी और दत्तात्रेय होसबाले की मौजूदगी उत्तर प्रदेश में चुनाव तक बनी रहेगी। बताया जा रहा है कि भैयाजी जोशी अयोध्या में मंदिर निर्माण प्रोजेक्ट के केयरटेकर रहते हुए प्रोजेक्ट पर पूरी नजर रखेंगे।यूपी में राम मंदिर निर्माण संघ का प्रमुख एजेंडा रहा है। अस्सी के दशक में संघ प्रमुख बालासाहब देवरस ने बीजेपी को इसे राजनीतिक आंदोलन में बदलने की सलाह दी थी।फिलहाल राममंदिर निर्माण को 2024 तक पूरा करने का टारेगट रखा गया है।बीजेपी लोकसभा चुनाव में देश भर में इसे अपनी बड़ी उपलब्धि के तौर पर लोगों के सामने पेश करेगी।ऐसे में आरएसएस के दो बड़े नेताओ का चुनाव तक डटे रहना किसी महत्वपूर्ण सियासत की तरफ इशारा कर रहा है। आरएसएस के दोनों बड़े नेता यू पी रहकर राममंदिर निर्माण के साथ-साथ हिंदुत्व मुद्दे पर चुनावी माहौल बनाने का काम पर्दे के पीछे से करते रहेंगे।
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