बॉम्बे लीक्स ,नई दिल्ली
लोकतंत्र का मंदिर माना जाने वाला संदन भवन अब और ज्यादा अत्याधुनिक, भव्य और ‘सुरक्षित’ होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई यानी कि रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं। इस संसद भवन को लेकर एक तरफ देश में उत्सुकता है तो दूसरी तरफ सियासत भी चरम पर चल रही है।वजह नये संसद भवन को लेकर विपक्ष सरकार को घेरने कवायद में जुट गया है।विपक्ष का कहना है कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों किया जाना चाहिए।जबकिं सरकार का मत है कि संसद भवन का मुखिया पीएम होता है ,लिहाजा प्रधानमंत्री ही उद्घाटन करेंगे।ऐसे में नए संसद भवन को लेकर सोशल मीडिया पर भी तरह तरह के बयान देखे जा रहे है।
गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली में नई संसद बिल्डिंग का 28 मई को पीएम मोदी उद्घाटन करने वाले है।पीएम ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था।इस कार्य के लिए राज्यसभा और लोकसभा ने 5 अगस्त 2019 को आग्रह किया था। इसकी लागत 861 करोड़ रुपये आंकी गई थी लेकिन बाद में इसके निर्माण की कीमत 1,200 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।वहीं कांग्रेस ने मोदी से नई संसद के उद्घाटन का विरोध करते हुए कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है।20 अन्य विपक्षी दलों ने भी उसका साथ दिया है।उनका कहना है कि यह लोकतंत्रिक तरीका नहीं है।बीजेपी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उद्घाटन न कराकर उनके पद का अपमान कर रही है।ऐसे में इस पूरे मामले ने अब राजनीतिक रंग दे दिया है। देश के राजनीतिक दलों में इस मुद्दे को लेकर दो फाड़ हो गया।मसला एनडीए vs यूपीए तो है ही लेकिन कुछ विपक्षी दल भी बीजेपी के साथ जा खड़े हुए हैं।जी हाँ उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर 15 दल बीजेपी के समर्थन में आ गए हैं। जबकिं कांग्रेस ने मोदी से नई संसद के उद्घाटन का विरोध करते हुए कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है। 20 अन्य विपक्षी दलों ने भी उसका साथ दिया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया- राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना – यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है।संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है।जवाब में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि स्पीकर संसद के संरक्षक होते हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया है।नई संसद के उद्घाटन समारोह का साक्षी बनने के लिए सरकार ने सभी राजनीतिक पार्टियों को आमंत्रित किया है।लोग अपनी-अपनी सोचने की क्षमता के हिसाब से रीएक्ट करते हैं।हमें इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।।विपक्ष के मुताबिक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का निर्णय न केवल एक गंभीर अपमान है बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जो इसके अनुरूप प्रतिक्रिया की मांग करता है। राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है।फिर भी प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय लिया है।यह अशोभनीय कृत्य राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान करता है और संविधान के पाठ और भावना का उल्लंघन करता है।यह सम्मान के साथ सबको साथ लेकर चलने की उस भावना को कमजोर करता है, जिसके तहत देश ने अपनी पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति का स्वागत किया था।
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