मुंबई : मुंबई के ऐंटी एक्सटार्शन सेल ने महाखबरी सलीम महाराज को गिरफ्तार किया है अब महाराज के कच्चे चिट्ठे खुल रहे हैं छानबीन में पता चला है कि मुंबई में लंबे समय तक वसूली और मांडवाली की दुकान चलाने वाले महाराज की वसूली की दुकान चमकाने में मुंबई के ऐसे अफसर का हाथ रहा जो हमेशा विवादों में रहता है और वह अपना परिचय इस प्रकार से देते हैं कि उनके हाथों की चमड़ी बहुत मोटी हो चुकी है और मुंबई में किसी के बाप की ताकत नहीं कि उनका कोई कुछ कर ले लेकिन महाराज की गिरफ्तारी के बाद यह साबित हो गया है कि मुंबई में कोई तो बाप है जिसने वसूली करने वालों की बैंड बजा दी है।
सलीम महाराज की गिरफ्तारी के बाद यह सवाल उठ रहा है कि इसका नाम महाराज कैसे पड़ा दर असल सलीम महाराज विजय सालसकर का काफी करीबी माना जाता था विजय सालसकर को क्राइम ब्रांच का महाराज कहा जाता था विजय सालसकर का खबरी होने की वजह से यही पदवी महाराज को मिल गई और आखिर कार महाराज जो कभी पेनवाला हुआ करता था अब सलीम महाराज के नाम से जाना जाता है।
महाराज लंबे समय से वसूली और मांडवाली मास्टर के रुप में मुंबई में अपना सिक्का चलाता था और उसका अड्डा मुंबई पुलिस कमिशनर मुख्यालय के पहले माले पर हुआ करता था जहां मुंबई पुलिस कमिशनर और ज्वाइंट कमिशनर लॉ ऐंड ऑर्डर का कार्यलय है लेकिन बीते एक साल से महाराज का अड्डा एटीएस मुख्यालय हो गया।
पिछले साल महाराज और तारिक परवीन का नाम उस समय चर्चे में आया जब दुबई से मुंबई एक किलो गोल्ड की तस्करी करने वालों का गोल्ड महाराज और तारिक प्रवीन ने ऐंठ लिए थे और इसी ऐंठने की वजह से गोल्ड तस्करों को बंधक बना कर उन्हें पीटा गया था मामला पायधूनी पुलिस थाने में पहुंचा और वहां महाराज और तारिक परवीन के खिलाफ़ मामला दर्ज किया गया।
लेकिन एक सीनियर आईपीएस अफसर के आदेश के बाद मात्र एक घंटे में अवैध तरीके से पायधूनी थाने से केस एमआरए थाना ट्रांस्फर कर दिया गया और यहीं से अंडरवर्ल्ड का कालर टाइट हो गया मुंबई पुलिस का मनोबल गिर गया 2 साल बीत जाने बाद न तो गोल्ड बरामद हुआ और न ही गोल्ड की तस्करी करने वाली गैंग तक पुलिस पहुंच पाई न तो आरोपियों को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया।
चूंकि महाराज का पव्वा सीनियर आईपीएस अफसर तक था इसलिए मुंबई पुलिस ने महाराज का बाल भी बांका नहीं कर सकी और यह साबित हो गया कि मुंबई में अंडवर्ल्ड का सिक्का चलता है लेकिन हर पाप के अंत के जैसे इसका भी अंत हो ही गया।
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