मुंबई : हाल ही में आज़ाद मैदान दंगे और हत्या के मुख्य आरपियों द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री ऊधव ठाकरे के साथ स्टेज साझा करने को लेकर आज़ाद मैदान दंगों और हत्या के मुख्य आरोपी तोडु-ए-नागपाड़ा दो टांकी का बाहुबली नथानी बिल्डर का पंटर तथाकथित स्वयं घोषित धर्मधुरंधर श्री मुईन अशरफ़ उर्फ़ बाबा बंगाली चर्चे में हैं कई मीडिया चैनलों ने बाबा बंगाली और राज्य के मुख्य मंत्री को लेकर खबरें चलाईं और बीजेपी ने भी इसका जम कर विरोध किया।
दरअसल बाबा बंगाली अपने साथ 200 मुस्लिम उलमाओं को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री को यह चूरन दे रहे थे की राज्य में मामला एक बार फिर CAA और NRC को लेकर राज्य भर मे हो रहे प्रदर्शन में उन्होंने शान्ति बनाई जबकि हैरानी की बात यह है कि मुंबई समेत पूरे राज्य में जहां भी CAA और NRC के विरुद्ध धरना प्रदर्शन मुसलमानों ने या उनके साथ दूसरे धर्म के लोगों ने किया वहां शान्ति ही थी उसकी सब से बड़ी वजह यह मानी जाती है कि एक भी जगह पर बाबा बंगाली और रज़ा अकैडमी को शामिल नहीं होने दिया गया। मात्र मदनपूरा में गिरफ्तारी का झूटा नाटक करने वाला बंगाली और रज़ा अकैडमी के लोगों ने इसी जगह पर CAA और NRC के विरुद्ध धरना प्रदर्शन का नाटक किया ताकि मुसलमानों को लगे की यही सब े बड़ा खैरख्वाह है और सीधे अब मोदी और अमित शाह से भिड़ जाएगा लेकिन यह केवल मीडिया मीडिया पब्लिसिटी पब्लिसिटी के लिए थे उसके बाद वह किसी भी धरना प्रदर्शन मे ंशामिल नहीं हुए।
दूसरा इसका मुख्य कारण था कि CAA और NRC के विरुद्ध प्रदर्शन करने वाले यह जानते थे की अगर कहीं भी बाबा बंगाली गैंग या रज़ा अकैडमी के कार्यकर्ता शामिल हुए तो यह शान्ति प्रदर्शन नहीं रहता यहां भी आजाद मैदान दंगे जैसी स्थिति पैदा हो जाती इसलिए इन सारी बातों पर विचार करने के बाद दंगाई गैंग को दूर रखा गया अब ऐसे मे सवाल उठता है कि जब दंगाईयों कोदूर रखा गया तो बाबाब बंगाली मुसलमानों का ठेकेदार कैसे बना।
चूंकि बंगाली गैंग और रज़ा अकैडमी जनता के साथ साथ राज्य के मुख्मंत्री को भी यह चूरन देने में कामयाब होगए थे कि यह सारी शान्ति उन्होंने ही बरकरार रखी है इसी लिए मुसलमानों की ठेकेदारी उन्ही के कंधों पर है लेकिन जब मीडिया में इनके काले कारनामों की कुंडली खुली तो बाबा बंगाली उसके बाद से ऐसा विलुप्त हुए कि 26 जनवरी के दिन भी बंगाली बाबा का दूर दूर तक की अता पता नहीं था सिर्फ़ दिखाई दिए तो उनके पंटर और फेसबुकिया मौलाना लहेक लहेक के बंगाली के गुन गा रहे थे।
मुंबई में आज़ाद मैदान , वाईएमसी मैदान , झूला मैदान , अगस्त क्रांति मैदान मोरलैंड रोड , मलाड , भिवंडी वह सारी जगहें जो मुस्लिम बहूल्य इलाके हैं न जगहों पर मुसलमानों ने अपना विरोध जताया और जता रहे हैं लेकिन एक भी जगह रज़ा अकैडमी न तो बाब बंगाली या बाबा बंगाली के पंटर और न ही दूसरे ठेकेदारों का दूर दूर तक की अता पता नहीं है तो ऐसे में सवाल उठता है कि बाबा मुईन बंगाली मुसलमानों को कायेद कैसे बना ठेकेदार कैसे बना जो राज्य सरकार के पास मुसलमानों की ठेकेदारी का राग अलाप रहा था संभव है कि बीजेपी का कार्यकर्ता बाबा बंगाला सरकार बदलते ही दल बदलने के चक्कर में है ताकि उसे शिवसैनिकों की लाइन में बतौर कार्यकर्ता चयन कर लिया जाए।
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