बॉम्बे लीक्स, पुणे
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) विधायक अजीत पवार अक्सर शरद पवार से अलग पीएम मोदी के समर्थन में खड़े नजर आते है।इस बार अजीत ने फिर पार्टी अध्यक्ष शरद पवार के उलट जाकर नए संसद भवन का समर्थन किया है। कहा, ‘देश की आज जनसंख्या 135 करोड़ के पार जा रही है।ऐसे में उनका प्रतिनिधित्व करने वाले लोग भी बढ़ेंगे।लिहाजा मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि देश को नए संसद भवन की जरूरत थी। पवार ने संसद भवन का समर्थन करते हुए कहा कि इसे रिकॉर्ड समय में बनाया गया है, कोविड काल के दौरान भी भवन का काम चलता रहा।
एनसीपी में शरद पवार के बाद पार्टी में दूसरे नम्बर पर मुकाम रखने वाले अजीत पवार ने साफ किया है कि अब देश को मिले इस नए संसद भवन के अंदर सभी को संविधान के अनुसार काम करते हुए आम लोगों के मुद्दों को हल करना चाहिए।देखा जाए तो अजित पवार के इस बयान की चर्चा लाजमी है क्योंकि एनसीपी उन दलों में शामिल थी जिसने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया था।शरद पवार ने रविवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि नये संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा विभिन्न ‘धार्मिक रस्मों’ के निर्वहन से यह प्रदर्शित होता है कि देश को पीछे ले जाया जा रहा है।पीएम मोदी ने रविवार को राजधानी दिल्ली में नए संसद भवन का उद्घाटन किया।संसद भवन के उद्घाटन समारोह का कई विपक्षी दलों ने विरोध किया जबकि कई विपक्षी दल केंद्र सरकार का समर्थन करते हुए इस समारोह में शामिल भी हुए। संसद भवन के उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि नया संसद भवन आधुनिक सुविधाओं और नवीनतम उपकरणों से लैस है और इस भवन के निर्माण के दौरान 60 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिला।वहीं एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने नये संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम से दूर रहने संबंधी विपक्षी दलों के फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि इस बारे में सांसदों को भरोसे में नहीं लिया गया। एनसीपी सहित बीस से अधिक विपक्षी दलों ने समारोह का बहिष्कार किया क्योंकि उनका कहना था कि नये संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा किया जाना चाहिए।एनसीपी समेत देश के 21 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन का बहिष्कार किया था। उनका कहना था कि चूंकि राष्ट्रपति संसद का मुखिया होता है इसलिए राष्ट्रपति के द्वारा ही इस भवन का उद्घाटन कराया जाना चाहिए था, जबकि राष्ट्रपति को इस समारोह में आने का न्योता तक नहीं दिया गया, ऐसा कर केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति और देश के आदिवासियों का अपमान किया है।
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