अजीत पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की इन 27 स्टार प्रचारकों में मुस्लिम लीडर भी शामिल हैं जिसमें कैबिनेट मिनिस्टर हसन मुशरिफ, पार्टी के अल्पसंख्यक सेल के अध्यक्ष सय्यद जलाल उद्दीन, और नौनिर्वाचित विधायक इदरीस नायकवाड़ी और वसीम बुरहान हैं।
लेकिन सब से दिलचस्प बात यह है कि बीते कुछ एक दो सालों में मुस्लिम राजनीति का चेहरा बनने और मुसलामानों के तथाकथित और स्वयं घोषित दावेदार जो उर्दू अखबारों से लेकर सोशल साइट्स तक तामझाम और मुसलमानों की कयादत के बांगदार दावे करने वाले सलीम सारंग का नाम पूरी लिस्ट में कहीं नहीं दिखाई दिया मतलब उनका नाम पार्टी ने ऐसा गायब किया जैसे गधे के सर से सींग।
सलीम सारंग हमेशा से पार्टी और पार्टी के मुखिया अजीत पवार के जनम दिन से पहले , उनके मंत्री बनने से पहले और उनको भविष्य में मुख्यमंत्री बनने के लिए दक्षिण मुंबई या यूं कहिए कि अजीत पवार का जिन इलाकों से रोज गुज़र होता है वहां बैनर लगाने में आगे आगे नज़र आए ताकि इस से वह अजीत पवार की नजर में रहें।लेकिन हैरानी इस बात की है कि यह सब कर के भी पार्टी ने उन्हें स्टार प्रचारक की सूची से बाहर ही रखा।दूसरे लफ्जों में उन्हें पार्टी में भी पीछे रखा।
हालांकि सारंग ने मुस्लिम कयादत का लबादा ओढ़कर पार्टी के अला उहद्देदारन और पार्टी के लीडर अजीत पवार को यह यकीन दिलाने का हर संभव प्रयास किया चूंकि दादा के पास उनकी सीधी रसाई नहीं है जिसकी वजह से वह मंत्रालय और कई जगहों पर दादा की तारीफ के पुल बांधते हुए बैनरबाजी कर के दादा के दिल में जगह बनाने की कोशिश की लेकिन स्टार प्रचारकों की लिस्ट जैसे ही सामने आई तो पता चला कि बैनर में भले जगह बनाई हो लेकिन दादा के दिल में जगह नहीं बन पाए।
पार्टी ने मुस्लिम चेहरों में से उन्हीं को इस काबिल समझा जिन्होंने ने लंबे समय से पार्टी में मेहनत करते हुए पार्टी और मुस्लिम कयादत की सियासत को बारीकी से समझा जबकि छुटभैये और नाबालिग नेताओं और सियासत की थेरी न समझने वाले और मुसलमानों के नाम पर खुद की दुकान चमकाने वालों को साइड लाइन किया।
हालांकि सारंग का कहना है कि ज्यादा बोलने वाले और कौम को लेकर आवाज़ उठाने वालों को पार्टी में पसंद नहीं किया जाता।और वह अपनी आवाज ऐसे ही उथाते रहेंगे कोई ओहदा मिले या न मिले अब काम और सेवा और चमचागिरी इन सब के बीच क्या फर्क होता है यह उन्हें समझना बेहद जरूरी होगा। नहीं तो ऐसा भी हो सकता है कि जैसे स्टार प्रचारकों की फहरिस्त से उन्हें बाहर किया गया कहीं पार्टी से भी बाहर का रस्ता न दिखा दिया जाए।
अब ऐसे में यह सवाल भी उठना लाज़मी है कि क्या पार्टी ने जिन पुराने नेताओं को इस स्टार प्रचारकों की फहरिस्त में शामिल किया क्या वह मुसलमानों की आवाज़ उठाने में सक्षम नहीं हैं।
सियासत में सतर्कता बहुत जरूरी है नहीं तो राजनीति कम और सेवा के नाम पर मेवा खाने का मन बनाने में चाचगिरी ज्यादा हो जाती है और चमचों का अंजाम क्या होता है वह तो इस लिस्ट के जारी होने के बाद पता ही चल गया।
Post View : 85355