दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दिल्ली के अरविंद केजरीवाल सरकार पर एक और बड़े भ्रष्टाचार और घोटाले का आरोप लगाया है।उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड में एकल बोलीदाताओं को अपग्रेडेशन एवं सुदृढीकरण कार्य सौंपकर 500 करोड़ रुपये का घोटाला किया है।
गौरतलब है कि दिल्ली जल बोर्ड में घोटाले का आरोप लगाया है। बीजेपी ने दावा किया कि केजरीवाल जल्द ही घोटाले में सलाखों के पीछे जाएंगे। बीजेपी मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि शराब घोटाले, डीटीसी बस घोटाले, क्लास रूम घोटाले और शीशमहल घोटाले के बाद अब दिल्ली जल बोर्ड में भी घोटाला सामने आ गया है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के पीएचडी होल्डर केजरीवाल इन सब घोटालों के किंगपिन हैं। लेकिन अगर उन्हें लगता है कि वह संवैधानिक पद पर बैठकर घोटाले पर घोटाला करते रहेंगे और जांच एजेंसी चुप रहेगी,तो ऐसा नहीं होगा। जी हां दिल्ली जल बोर्ड के टेंडर में 500 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाते हुए भारतीय जनता पार्टी ने आम आदमी पार्टी को कटघरे में खड़ा किया है। भाजपा ने अरविन्द केजरीवाल को भ्रष्टाचार की पीएचडी का भी खिताब दिया।भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया के मुताबिक अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड के एसटीपी कार्यों में 500 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला किया। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने न केवल भ्रष्टाचार करने में महारत हासिल कर रखी है बल्कि कमिशनखोरी में भी वे सबसे आगे हैं। ईमानदारी के नाम पर राजनीति में आए केजरीवाल आज भ्रष्टाचार के पर्याय बन गए हैं।कहा कि केजरीवाल को इस गुमान में नहीं रहना चाहिए और वह दिन दूर नहीं है जब अपने तमाम भ्रष्टाचार के लिए अरविंद केजरीवाल भी सजा पाएंगे और जेल की सलाखों के पीछे होंगे। उन्होंने अरविंद केजरीवाल से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की भी मांग की।वहीं दिल्ली भाजपा अध्यक्ष सचदेवा ने सीबीआई, ईडी और दिल्ली एलजी को सूचित किया कि विस्तार के कार्यों की लागत आशा से भी बहुत अधिक है।उन्होंने यह भी खुलासा किया कि भले ही कुछ बोलीदाताओं ने डीपीआर प्रदान करने की पेशकश की थी।लेकिन दिल्ली सरकार ने कार्यों के ठेके पाने वालों के पक्ष में पूर्व-निर्धारित निर्णय के स्पष्ट मामले में उचित परिश्रम और लागत विश्लेषण के बिना कार्यों को आवंटित करने में अत्यधिक जल्दबाजी दिखाई।सचदेवा के मुताबिक10 एसटीपी (सीवेज उपचार संयंत्र) में से केवल पांच को अपग्रेडेशन के लिए चुना गया था।जबकि बाकी को 2022 में 1938 करोड़ रुपये की लागत से अपग्रेडेशन एवं सुदृढीकरण के लिए लिया गया था। चौंकाने वाली बात यह है कि जो डीपीआर बनाई गई थी वो केवल दो एसटीपी – कोंडली और रोहिणी के लिए उपलब्ध है।सचदेवा ने जांच एजेंसियों को लिखे पत्रों में कहा कि कार्यों को जल्दबाजी में सौंपने से पहले मिट्टी की ताकत, सीवेज गुणवत्ता और चरम प्रवाह डेटा और अन्य जैसे स्थानीय कारकों पर अनिवार्य विचार भी नहीं मांगा गया था।
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