बॉम्बे लीक्स ,नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की याचिका पर एलजी ऑफिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यही नही सीजेआई ने दिल्ली एलजी पर सवालों की झड़ी लगा दी।बता दे कि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने एलजी की ओर से एमसीडी में मनोनीत पार्षद यानी एल्डरमैन की नियुक्ति को चुनौती दी है । दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी और एडवोकेट सदान फरासत ने किया। उन्होंने बुधवार को सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने याचिका पर दलीलें रखीं। मामले में अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी।
दिल्ली म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन में 10 मेबर्स को मनोनीत करने के मामले में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना से जवाब तलब किया है। सीजेआई की बेंच ने उनको नोटिस जारी करके मामले की सुनवाई 10 अप्रैल तय की है। सुप्रीम कोर्ट दिल्ली की अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें सरकार ने 10 सदस्यों को MCD में मनोनीत करने पर आपत्ति जताई।सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच के सामने दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वकील ने गुहार लगाई कि उप राज्यपाल का फैसला सरासर गलत है। उन्होंने मंत्रियों के समूह से मशविरा किए बगैर कॉरपोरेशन में 10 सदस्यों को उस समय मनोनीत कर दिया जब चेयरमैन का चुनाव लंबित था। उनका फैसला सीधे तौर पर बहुमत को प्रभावित करने का था।केजरीवाल सरकार की तरफ से पेश एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी कहना है कि दिल्ली मुंशीपल कारपोरेशन एक्ट 1957 के तहत उप राज्यपाल को निर्वाचित सदस्यों के अलावा 10 लोगों को कॉरपोरेशन में मनोनीत करने का अधिकार है। लेकिन मंत्रियों से मशविरा करने के बाद इसमें प्रावधान है कि मनोनीत सदस्यों की उम्र 25 साल से कम न हीं होनी चाहिए। उनके पास म्यूनिसिपल एडमिनिस्ट्रेशन में विशेष जानकारी होनी चाहिए।अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि संविधान के आर्टिकल 239AA के तहत प्रशासन (LG) को सदस्य मनोनीत करने का अधिकार तो है लेकिन वो सरकार के मंत्रियों से बात किए बगैर ऐसा नहीं कर सकते। लेकिन उप राज्यपाल ने अपनी मनमानी करने में संविधान की भी अवहेलना कर डाली।दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में संवैधानिक बेंच के उस फैसले का भी हवाला दिया जिसमें LG और सरकार के अधिकार तय किए गए थे।सरकार ने 2021 में संशोधित किए गए बिजनेस रूल्ज का हवाला देकर कहा कि सदस्यों को मनोनीत करने का प्रस्ताव सरकार की तरफ से आना चाहिए था। इस प्रस्ताव को चीफ सेक्रेट्री या फिर चीफ मिनिस्टर के जरिये एलजी तक पहुंचना था। एलजी को इस पर सात दिनों के भीतर अपनी टिप्पणी करने का अधिकार है।अगर उनकी राय मंत्रियों के प्रस्ताव से अलग होती है तो फिर 15 दिनों के भीतर बातचीत के जरिये मामला सुलझाया जाना होता है। अभिषेक मनु सिंघवी की दलील है कि उप राज्यपाल ने नियमों को दरकिनार कर सीधे ही 10 सदस्यों को मनोनीत कर डाला। ये सरासर गलत है।आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार ने एलजी वीके सक्सेना की ओर से एमसीडी में सदस्य चुने जाने का विरोध किया था। इसके लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट भी गई थी। दिल्ली सरकार ने इसके अलावा मेयर चुनाव में मानोनीत पार्षदों के मतदान के अधिकार को भी सुप्रीम कोर्ट में उठाया था। अभी दिल्ली एमसीडी में नए मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के 6 सदस्यों का चुनाव बाकी है। सरी नजरें अब सुप्रीम कोर्ट पर हैं।
Post View : 36202