मुंबई :मुंबई के जैनबिया इमाम बड़ा वक्फ मिल्कियत की सौदे बाजी करने के जुर्म में बिल्डर अख्तर हसन रिजवी और जावेद हसन रिजवी के खिलाफ मुंबई के mra मार्ग पुलिस थाने ने मझगांव कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है , इस चार्जशीट में अख्तर हसन रिजवी और उनके भांजे जावेद को बतौर आरोपी नामजद करते हुए उनके द्वारा इमामबाड़ा वक़्फ़ मिल्कियत को बेचने का आरोप सिद्ध हुआ है जांच में दस्तावेजों में हेर फेर और छेड़ छाड़ करने के भी पुख्ता सुबूत का जिक्र जांच अफसर प्रदीप मोरे ने किया है इस तरह से अब आरोपी अख्तर हसन रिजवी पर कभी भी कानून का शिकंजा कस सकता है और वह कभी भी जेल की सलाखों के पीछे जा सकते हैं।
https://youtu.be/eCEImgfXRSs?si=W1NhxN7J_J5YUU1S
अब आप को बताते हैं कि आखिर मामला क्या है शिकायतकर्ता आमिर अली पंजवानी के द्वारा 8 मार्च 2019 को मुंबई के MRA मार्ग में आरोपी बिल्डर अख्तर हसन रिजवी और उसके भांजे जावेद हसन रिजवी के खिलाफ धोखाधड़ी और सरकारी दस्तावेजों में छेड़छाड़ फर्जीवाड़े समेत कई संगीन धाराओं के तहत FIR दर्ज कराई थी।FIR दर्ज कराने के लिए शिकायतकर्ता को कोर्ट जाना पड़ा ।
मजिस्ट्रेट ने कहा,था कि “शिकायत में लगाए गए सभी आरोपों और रिकॉर्ड पर दर्ज दस्तावेजों को देखते हुए, ऐसा लगता है कि आरोपी ने ही दस्तावेज तैयार किए थे।” अदालत ने कहा कि चूंकि अपराध का खुलासा हो चुका है, इसलिए पुलिस जांच की जरूरत है।
शिकायत में कहा गया था कि पखमोडिया स्ट्रीट की इस जमीन पर एक ग्राउंड फ्लोर और दो मंजिला इमारत है। ग्राउंड फ्लोर और पहली मंजिल धार्मिक उद्देश्यों के लिए रिज़र्व थी। इसमें कहा गया था कि यह एक “वक्फ संपत्ति” है। शिकायत में कहा गया है कि 2010 में, ज़ैनबिया ट्रस्ट, जिसके अख्तर हसन रिजवी मैनेजिंग ट्रस्टी हैं, उन्होंने ने संपत्ति के पुनर्विकास के लिए सैफी बुरहानी अपलिफ्टमेंट ट्रस्ट (SBUT) को “रिडेवलपमेंट की इजाजत” दी थी। हमने FIR दर्ज होने के बाद आरोपी अख्तर हसन रिजवी से इस बारे में जब पूछना चाहा तो वह आग बगुला होगए।
एसबीयूटी इस क्षेत्र में इमारतों का पुनर्विकास कर रहा है। पंजवानी ने जमीन पर जैनबिया ट्रस्ट के स्वामित्व पर सवाल उठाया। शिकायत में उन्होंने कहा कि संपत्ति अली रजा नमाजी की थी और 1983 में इसे इमाम फाउंडेशन को बेच दिया गया था। उन्होंने कहा कि चूंकि पैसे का विवाद था, इसलिए नमाजी ने बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया। विवाद का निपटारा हो गया और सहमति की शर्तों के अनुसार प्लॉट को इमाम फाउंडेशन के नाम पर पंजीकृत हस्तांतरण द्वारा हस्तांतरित किया जाना था।
शिकायत में कहा गया है कि सहमति की शर्तें 1983 में कभी पंजीकृत नहीं हुईं, लेकिन बाद में 2004 में पंजीकृत हुईं। आरोप लगाया गया कि पंजीकरण से पहले इमाम फाउंडेशन ने अवैध रूप से जमीन को जैनबिया ट्रस्ट के नाम पर स्थानांतरित कर दिया था। कथित जाली दस्तावेजों का जिक्र करते हुए शिकायत में कहा गया है कि भूमि हस्तांतरण के लिए सिटी सर्वे को दिए गए आवेदन में अख्तर ने सहमति डिक्री की मूल प्रमाणित प्रति प्रस्तुत की, लेकिन उस पर कोई मुहर या हस्ताक्षर नहीं था।
शिकायत में कहा गया है कि उन्होंने एडिशनल कलेक्टर के जरिए जारी 24 मई, 2004 की तारीख वाली एनओसी भी जाहिर की, जो पाकमोडिया स्ट्रीट की संपत्ति से संबंधित नहीं थी, बल्कि विले पार्ले की एक संपत्ति से संबंधित थी। शिकायत में कहा गया है कि अख्तर ने जाली सरकारी दस्तावेज तैयार करके अधिकारियों को सौंपे थे।
Post View : 99468